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एससीओ सदस्य देशों ने उग्र के किसी भी कार्य को ‘अपराधिक, अनुचित’ बताया

साझा बयान में कहा गया है कि किसी भी धर्म, संप्रदाय, राष्ट्रीयता या जातीय समूह से संबंध नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के नेताओं ने राजनीतिक और भू-राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ”आक्रामक, अनुचित” करार देते हुए चरमपंथी विचारधारा का इस्तेमाल किया। ‘ बताया गया। एससीओ देशों ने अपने-अपने राष्ट्रीय विधानमंडलों के घटक जैसे कि असहमत, अल्पसंख्यक समुदाय और चरमपंथी समुदाय की समान सूची तैयार करने के लिए आम सहमति की सहमति पर साझा सिद्धांत विकसित करने की तैयारी की है। भारत के राष्ट्रपति भवन में डिजिटल माध्यम से आयोजित इस बैठक के समापन पर एक साझा वक्तव्य जारी किया गया।

इसमें सदस्य ने कहा है कि देश में आतंकवादी समूहों और आतंकवाद के पनाहगाहों को बंद करने, आतंकवादी भर्ती से जुड़े इलाकों को बंद करने और सीमा रेखा पार की छुट्टियों पर लगाम लगाने के साथ-साथ आतंकवाद के आतंकवादी समूहों और आतंकवादियों की पनाहगाहों को खत्म करने की दिशा में कदम उठाएंगे। ।। कहा गया है कि इसमें सदस्य देश के सभी स्वरूपों के संक्षिप्त शब्दों में निंदा की गई है, बदनाम करना यह किसी के द्वारा और किसी उद्देश्य के लिए होता है। साझा बयान में कहा गया है कि किसी भी धर्म, संप्रदाय, राष्ट्रीयता या जातीय समूह से संबंध नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्रपति पद की शपथ में हुई इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहजाद शरीफ आदि मौजूद रहे। शिखर सम्मेलन की बैठक में अलग से ‘डेल्हीपत्रा’ जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि एससीओ के सदस्य देश के स्टूडियो से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। डिजिटल परिवर्तन पर भी एक घोषणापत्र जारी किया गया।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को गलत बताया है। यह ख़बर टीपी-भाषा की पुस्तक से प्रकाशित की गई है।



 


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