निजी स्वभाव निवेश नहीं बल्कि यह पूरी तरह से जमावड़ा है। अगर इसका लाइसेंस जारी किया गया, तो ये अगले वित्तीय संकट की वजह बन सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को यह चेतावनी दी। वे साथ ही ऐसी धारणाओं पर रोक लगाने की मांग भी करते हैं। दास ऐसे ही प्रबल विरोधी हैं और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट तक गया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि अर्थव्यवस्था में आर्थिक और वित्तीय स्थिरता से जुड़े बड़े जोखिम शामिल हैं और हम इसके बारे में हमेशा बयान दे रहे हैं।
लापरवाही का मूल्यांकन तेजी से गिरा
अधीनस्थों के गवर्नर ने कहा कि पिछले एक साल में ऐसी घटनाएं हुई हैं जिससे पहल करने के बारे में संकेत मिले हैं। इनमें से एक घोटाला FXX का धराशायी होना शामिल है, जो अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़े वित्तीय धोखाधड़ी में से एक है। दास ने कहा, इतना सब होने के बाद, मुझे नहीं लगता कि हमें अपने रूख के बारे में कुछ और कहने की जरूरत है। निजी नजर का मूल्यांकन 190 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 140 अरब डॉलर रह गया। उन्होंने कहा कि भारत में प्रणालीगत नौकरशाही बनी हुई है, लेकिन बाहरी कारकों से कुछ ‘नुकसान’ होगा।
सागर और ऋण में बड़ा अंतर नहीं है
दास ने कहा कि मौद्रिक नीति और विकास पर घरेलू कारण निर्देशित रहेंगे। इसके अलावा यह अमेरिकन फेडरल बैंक की कार्रवाई जैसी अन्य चीजों पर भी गौर करती है। दास ने मुद्रा पर कहा कि पॉलिसी पर नियोजित रहते हुए सरकार और केंद्रीय बैंकों के बीच ‘बेहद समन्वित प्रयास’ किया जा रहा है। स्वतंत्र गवर्नर ने कहा कि जाम और ऋण वृद्धि के बीच संबंधपरक रूप से कोई विशेष अंतर नहीं है, और जो अंतर लग रहा है, वह आधार प्रभाव के कारण है।