हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नोटबंदी से काले धन पर लगी है, यौन हिंसा में कमी आई है, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला है और अब सर्वोच्च न्यायालय ने इसे सही ठहराया है। असम के सवाल ने आगे कहा कि राफेल डील हो, आधार अधिनियम हो, पीएम केयर हो या सेंट्रल विस्टा, निर्णय ने उन्हें असंवैधानिक करार दिया लेकिन हर बार कानून और जनता की अदालत गलत साबित हुई।
नोटबंदी को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को अनावश्यक नहीं बताया है। कहीं ना कहीं यह बीजेपी के लिए एक बड़ी खबर है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बीजेपी नेता जबरदस्ती विपक्षी पार्टियों पर हमलावर हैं। दरअसल, विपक्षी दल बीजेपी को लेकर इस मुद्दे पर घोर विरोध कर रहे हैं। इन सबके बीच असम के पात्र हिमंत बिस्वा सरमा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जनता और कानून की अदालत में फैसला एक बार फिर से गलत साबित हुआ है। असम के उत्तर ने कहा कि नोटबंदी को लेकर सभी ने होल्ला मचाया था, लेकिन 2016 के बाद से कई चुनावी जनादेशों ने ऐतिहासिक निर्णय को जनता का समर्थन किया है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नोटबंदी से काले धन पर लगी है, यौन हिंसा में कमी आई है, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला है और अब सर्वोच्च न्यायालय ने इसे सही ठहराया है। असम के सवाल ने आगे कहा कि राफेल डील हो, आधार अधिनियम हो, पीएम केयर हो या सेंट्रल विस्टा, निर्णय ने उन्हें असंवैधानिक करार दिया लेकिन हर बार कानून और जनता की अदालत गलत साबित हुई। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि कांग्रेस को चुनिंदा अल्पसंख्यक दस्तावेज का हवाला देते हुए और बहुमत के फैसले को पहचानने की आदत है। उत्तराखंड के प्रधानमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पष्ट करता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला देशहित में लिया था। सभी तत्व का पालन किया गया। आरबीआई से भी बात की गई थी। इससे किछ विपक्षी दलों के पेट में दर्द हुआ।
सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया। पीठ ने बहुमत से लिए गए फैसले में कहा कि नोटबंदी के फैसले की प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी। हालांकि बी. वी. नागररत्न ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए। एस.एस. ए. नजीर की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों के संविधान पीठ ने कहा कि आर्थिक मामले में संयम की आवश्यकता है और अदालत सरकार के फैसले की समीक्षा नहीं कर सकती है। शैक्षणिक नज़ीर के योग्यता बी. आर. गवई, मिश्रित बी. वी. नागरात, ब्रॉडबैंड ए. एस. बोपन्ना और दलाली वी. रामासुब्रमण्यन भी शामिल हैं।
अन्य समाचार