नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तेजी से वैश्विक स्थिति और अमेरिका-चीन में भीषण टकराव, ईरान-इराक युद्ध, आर्मिनिया-अजरबैजान युद्ध और चीन-ताइवान तनाव जैसे मुद्दों ने तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ा दिया है। ऐसे में रूसी राष्ट्रपति अपनी किसी बंध को कमजोर नहीं होना चाहते। रूस और चीन के संबंध काफी मजबूत हैं और दोनों ही देश अमेरिका के कट्टर विरोधी हैं। शोक भारत से भी रूस की पारंपरिक और घनिष्ठ गहरी दोस्ती है। दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत और चीन सबसे मजबूत और ताकतवर देश हैं, जो किसी भी देश को नाको चने चबवा सकते हैं। मगर भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं। ऐसे में भारत-चीन प्लेऑफ तो इसके साइड इफेक्ट को भी उठा सकता है, क्योंकि इससे रूस ग्लोबल बैटल में कमजोर होगा। इसलिए रूस भारत और चीन के बीच संबंध को सामान्य देखना चाहता है।
रूस को पता चला है कि यदि भारत और चीन दोनों देशों के साथ संबंध बना रहे हैं तो अमेरिका और पूरा यूरोप भी कुछ गलत नहीं करेगा। रूस ने सोमवार को अमेरिका पर अपने फायदे के लिए भारत और चीन के बीच ”विरोधाभासों” का ”सक्रियता” से सेवन करने का आरोप लगाया है। रूस का कहना है कि मास्को और नई दिल्ली ने दशकों पुराने संबंध पर परस्पर विश्वास किया है जिससे दोनों में से हर किसी को मौजूदा भूजनिक संबंधों से समझौता होने में मदद मिलेगी। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने एक सम्मेलन में कहा कि यूक्रेन संघर्ष पर अमेरिका के कब्जे में पश्चिमी देशों के ”अहंकारी” और ”लड़ाकू” दिखायी से भू-राजनीतिक बदलाव के कारण भारत-रूस के संबंध ” तनाव में हैं। उन्होंने कहा कि मैक्रों के साथ अपनी आर्थिक भागीदारी बढ़ाना चाहता है क्योंकि पाकिस्तान, भारत सहित पूरे क्षेत्र के लिए एक ”कमजोर” सही नहीं है। बाद में एक ट्वीट में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मतलब था कि एक ”अस्थिर” पाकिस्तान क्षेत्र में किसी के भी हित में नहीं है। वह ‘इंडिया राइट्स नेटवर्क’ और ‘सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स’ द्वारा आयोजित ‘भारत-रूस सामरिक भागीदारी में अगले चरण: पुराने मित्रता नए क्षितिज’ पर एक सम्मेलन में बोल रहे थे।
भारत-चीन के सामान्य रिलेशन से पूरी दुनिया को होगा फायदा
एक सवाल के जवाब में अलीपोव ने कहा कि रूस, भारत-चीन के संबंध को सामान्य दृश्य चाहता है और इससे न केवल एशिया की सुरक्षा बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा को काफी फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा, ”हम समझते हैं कि इसमें बहुत गंभीर भ्रम हैं, दोनों देशों के बीच बहुत गंभीर सीमाएं हैं। हमारी चीन के साथ सीमा की समस्या है, एक घंटे चीन के साथ सशस्त्र संघर्ष हुआ, बातचीत करने में हम करीब 40 साल लग गए लेकिन आखिरकार एक समाधान खोजने का एकमात्र तरीका है।” अलीपोव ने कहा, ”मैं यह नहीं कह रहा हूं रहा हूँ कि भारत या चीन को क्या करना चाहिए। यह भारत और चीन के बीच पूरी तरह से एक अस्पष्ट मामला है और हम इसमें कोई दखलंदाजी नहीं करते हैं। लेकिन जितने जल्दी दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो जाते हैं, उतना ही पूरी दुनिया के लिए यह बेहतर होगा। अगर हमारे प्रयासों की आवश्यकता होगी तो हम यह करेंगे।
भारत और रूस के संबंध में आया तनाव
भारत-रूस संबंध के ‘तनाव’ में होने की अपनी आशंका को स्पष्ट करते हुए रूसी राजूदत ने दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी पर पश्चिमी स्वीकृति के प्रभाव की ओर इशारा किया। अलीपोव ने कहा कि रूस भारत के साथ सहयोग में विविधता लाना चाहता है और दोनों देशों के बीच संबंध किसी के खिलाफ नहीं हैं। भारत के साथ रूस के समग्र ब्यौरे पर उन्होंने कहा, ”अमेरिका के विपरीत हमें एक-दूसरे को तथा दुनिया को यह बताने की जरूरत नहीं है कि कुछ कारणों से पूर्व में हमारे बीच निकटता से साझेदारी संभव नहीं हो सकती। अलीपोव ने दावा किया कि अगर अमेरिका का चीन के साथ तालमेल बना रहता है या नई दिल्ली बीजिंग के साथ संबंध सुधार में तय हो जाता है तो भारत के प्रति अमेरिका का रवैया बदल सकता है। उन्होंने कहा, ”इसलिए वह अपने फायदे के लिए भारत और चीन के बीच विरोधाभासों की सक्रियता से व्यवहार कर रहा है।
यह भी पढ़ें…
चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट ने दुनिया के कई देशों को बनाया कंगाल, भारत की भविष्यवाणी हुई सच
चीन और अमेरिका के संबंधों के “गुब्बारा” बढ़े युद्ध के खतरे के बाद फूटे, अब होगा विश्व युद्ध?