
व्लादिमिर मैक्सिम, रूस के राष्ट्रपति
यूक्रेन अनाज गलियारे पर भारत: यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के लिए रूस को दोषी ठहराने वाले पश्चिमी देशों के दबाव को नोटिस कर जब भारत ने कहा कि वह जहां से वहां से तेल की खरीद करेगा तो यह बात बहुत अच्छी लगी थी। खासकर ऐसे नशे में जब पश्चिमी देश छाया के खिलाफ हो और इसके बावजूद भारत फ्रैंक रूस के साथ खड़ा हो। यूक्रेन को लेकर अब ऐसा दूसरा मौका आया है, जिस पर भारत के स्टैंड ने एक बार फिर से छायांकन को खुश कर दिया है। मामला यूक्रेन युद्ध के बढ़ने से खाद्य संकट को लेकर है, जिस पर भारत मानवजाति के रिश्तेदार मदद के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने यूक्रेन के अन्न संभावनाओं (ग्रेन कोरिडोर) में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के यूक्रेन ‘अन्न गलियारा’ में शामिल होने की संभावना नहीं है और वैश्विक दक्षिण क्षेत्र में विभिन्न देशों को भोजन सहायता पहुंचाने के लिए भारत के पास दृष्टिकोण व्यवस्था मौजूद है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अन्न गलियारा में शामिल होने पर विचार कर रहा है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ”हम वैश्विक दक्षिण क्षेत्र में देशों को सहायता पहुंच रहे हैं। मेरे पास स्पष्ट नहीं है कि हम इसमें (अन्न गलियारा) शामिल होंगे, बेतरतीब: नहीं। हमारा ध्यान दक्षिण-दक्षिण व्रत तंत्र पर होगा।
संयुक्त राष्ट्र बनवाया था अन्न गलियारा
बागची ने कहा कि अभी की स्थिति में मेरे पास यह जानकारी नहीं है कि हम सबसे पहले इसमें शामिल होना चाहते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच तुर्किये और संयुक्त राष्ट्र का समझौता है जिसे काला सागर अन्न गलियारा के रूप में सबसे पहले जाना जाता है। यह पूछे जाने पर कि अमेरिका के प्रतिबंध के बीच रूस के एक जहाज ने भारतीय बंदरगाह पर लंगर डाला था, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने इस विषय पर कोई नीतिगत बयान नहीं दिया है। उन्होंने कहा, ”क्या प्रतिबंधित है, क्या नहीं है। यह तकनीकी मामला है और मैं कह रहा हूं कि तेल प्राप्त करने के मामले में हमने अपनी स्थिति बार-बार स्पष्ट की है।













