छत्तीसगढ़राजनांदगांव 

डोंगरगढ़ की सड़कें बनीं रणभूमि, सिस्टम की चुप्पी से फूटा जन आक्रोश

UNITED NEWS OF ASIA. डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)।शहर की सड़कों पर अब सिर्फ ट्रैफिक नहीं, मौत दौड़ रही है। मुंबई-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे डोंगरगढ़ में बायपास न होने की वजह से भारी वाहनों की आवाजाही शहर के बीचों-बीच हो रही है। तेज रफ्तार ट्रक स्कूल, अस्पताल, बाज़ार और दफ्तरों के सामने से गुजरते हैं, जिससे हर कदम पर दुर्घटना का खतरा मंडरा रहा है।

बीते एक साल में शहर में 60 से अधिक सड़क हादसे हो चुके हैं। 2024 में जहां 52 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, वहीं 2025 के शुरुआती महीनों में ही 12 नए मामले सामने आ चुके हैं। तीन दिन पहले एक युवक की ट्रक से कुचलकर मौत हो गई, जिससे शहर में आक्रोश है। चालक मौके से फरार हो गया था, जिसे बाद में पकड़ा गया—but सवाल अब भी कायम है: क्या मां की सूनी गोद भर सकेगी?

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक पर मंडरा रहा खतरा
केंद्रीय विद्यालय, सरस्वती शिशु मंदिर और अन्य कई बड़े स्कूल इस मुख्य सड़क पर स्थित हैं। रोज़ाना हज़ारों बच्चे इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं। दवा लेने निकले बुज़ुर्ग हों या बाज़ार जाती महिलाएं—हर किसी को ट्रकों और डंपरों के साए में चलना पड़ रहा है।

अफसर भी मान रहे हैं समस्या, पर समाधान नहीं
डोंगरगढ़ के एसडीओपी आशीष कुंजाम ने ट्रैफिक दबाव को हादसों की बड़ी वजह माना है। वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिकारी के.के. सिंह ने कैमरे के सामने तो चुप्पी साधी, पर दबी ज़ुबान से स्वीकारा कि “बायपास के लिए सर्वे चल रहा है।” हालांकि यह सर्वे कब तक चलेगा, और कितनी जानें इसकी कीमत बनेंगी—इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

जनता की सहनशीलता जवाब दे चुकी है
वर्षों से बायपास की मांग की जा रही है। कई बार आंदोलन, ज्ञापन और धरना दिए गए, लेकिन फाइलें अब भी आलमारियों में दबी हैं। अब यह सिर्फ एक सड़क निर्माण की मांग नहीं, जीवन और मृत्यु के बीच की लड़ाई बन चुकी है।

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