UNITED NEWS OF ASIA. पिछले कई वर्षो से चल रहे मोनोलॉबी का अंत होने जा रहा है लगातार हो रही शिकायतों को दरकिनार करने का खामियाजा पूर्व मंत्री मोहम्मद को अपने चुनाव में अप्रत्याशित हार से भुगतना पड़ा है लगातार हो रही समीक्षा में पूरे विधानसभा क्षेत्र में नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि शर्मा के कार्यप्रणाली के चलते खराब परिणाम आने की बात सामने आई है प्राप्त जानकारी के अनुसार आज कवर्धा नगर पालिका के सत्रह पार्षदों के दल ने पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर के सामने खुलकर नाराजगी व्यक्त की है जिसके बाद पूर्व मंत्री ने नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि शर्मा को पद से इस्तीफा देने का आदेश दिया है
कवर्धा के सीनियर पार्षदों को कभी नही किया समर्थन
नगर पालिका अध्यक्ष शर्मा द्वारा अपने पूरे कार्यकाल के दौरान कभी भी कांग्रेसी पार्षदों को समर्थन नही करने की शिकायत सामने आती थी पर तत्कालीन मंत्री ने किसी भी तरह की कार्यवाही नही की थी
बीजेपी पार्षदों को किया सहयोग,परिणाम भुगत रहे मंत्री
अपने कार्यकाल के दौरान शर्मा पर बीजेपी पार्षदों के साथ साठगांठ करने के आरोप लगे थे
बीजेपी पार्षदों के दल ने अपने पार्टी को लिखित में शिकायत देकर अपने नेता प्रतिपक्ष की इस बात की शिकायत की थी
संघर्षशील कार्यकर्ताओं को छोड़कर नौ सीखिए युवाओं को किया था आगे
शर्मा पर पार्टी के लोगो द्वारा ये आरोप सरेआम लगाया जाते रहा की उनके द्वारा पार्टी के लिए समर्पित निष्ठावान कार्यकर्ताओं को छोड़कर नए लोगो का समूह बनाकर उन्हें फायदा पहुंचाने का कार्य किया जाते रहा जिसके चलते कार्यकर्ता पार्टी से नाराज रहे और विधानसभा चुनाव में कार्य नही किए
झंडा कांड के समय गलत निर्णयों ने बदल दिया कवर्धा का मिजाज
अध्यक्ष ऋषि शर्मा को पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर ने फ्री हैंड देकर कवर्धा सौंपा था,जिस दौरान कवर्धा में झंडा कांड हुआ था उसके बाद लिए गए अधिकतर फैसले शर्मा के थे जिसके चलते कवर्धा शहर का मिजाज दिनोदिन खराब होते चला गया
कवर्धा शहर का असंतोष फैला पूरे विधानसभा में
आमतौर पर ये बाते जगजाहिर है की कवर्धा शहर में पार्टी के खिलाफ फैला असंतोष धीरे धीरे पुरे विधानसभा में फेल गया था जिसके चलते आज पार्टी की ये दुर्दशा हुई है
कुछ विशेष लोगो के लिए समर्पित थे शर्मा
शर्मा अपने कार्यकाल के दौरान कुछ विशेष लोगो के लिए समर्पित नजर आए जनहित के मुद्दो को छोड़कर पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़कर वो बीजेपी के लोगो,ठेकेदारों के लिए काम करते रहे जिसका खामियाजा आज मोहम्मद अकबर को भुगतना पड़ा