
समीक्षा: कुछ फिल्मों के निर्देशक की सोच शिकार हो जाती हैं। परिगेट्टू परिगेट्टू ऐसी ही एक फिल्म है। निर्देशन के लिए ये तय करना मुश्किल होगा कि वो कहानी को कैसे खत्म करें और नेगेटिव शेड वाले हीरो को फाइनल में जेल जाने से कैसे बचाएं। फिल्म की कहानी बहुत अच्छी कहानी है। पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी की खोज करता है एक नौजवान कर्ज लेकर अपनी जिंदगी चला जाता है और परिणामस्वरूप उस बहन के इलाज के लिए पैसे जुगाड़ने का बोझ और आ जाता है। मध्यम वर्ग का लड़का हमेशा कोई भी गलत कदम उठा कर पैसा कमाना चाहता है क्योंकि अपने पिता और अपनी जिंदगी की जद्दोजहद ने उसे इतना खुश ही होने दिया है कि बड़ा सपना देखना है तो रास्ते ही गलत दशकों को देखें। ये बात फिल्मों में कई बार धुंधली नजर आती है लेकिन हर बार हीरो की विवशता को समझने की कोशिश करते ही रहते हैं।
परि गेटटू परिगेटू कहानी है एक नौजवान अजय (सूर्या श्रीनिवास) की जिसकी गर्लफ्रेंड प्रिया (अमृता अंश) को डेविड ब्रदर (योगी) अपना पास गिरवी रखता है। अजय एक और अपराधी अब्दुल भाई (जयचंद्र) से मदद मांगता है। अब्दुल उसे ड्रग ले जा कर कहीं डिलीवर करने के लिए कहता है। डेविड के 10 लाख और बहन के इलाज के लिए 15 लाख, इस तरह से 25 लाख रुपये के लिए अजय ये सौदा मंजूर कर लेता है। क्या अजय पुलिस से मैसेज करता है? क्या अमृता को डेविड के चंगुल से बचाया जा सकता है? इन सवालों के जवाब इस थ्रिलर फिल्म परगेटटू परिगेटटू में मिलेंगे।
फिल्म के लेखक निर्देशक रामकृष्ण थोटा की ये पहली फिल्म है। फिल्म के हीरो सूर्या श्रीनिवास की ये पहली फिल्म है। फिल्म की नायिका अमृता आचार्य की ये पहली फिल्म है। प्रोड्यूसर ए यामिनी कृष्णा की ये पहली फिल्म है। सिनेमेटोग्राफर कल्याण सामी की भी ये पहली ही फिल्म है। इसलिए फिल्म थोड़ी अधपकी है और तार की तरह खिंच गई है। अगर डी वेंकट लॉर्ड इस फिल्म के कई हिस्से हैं, तो इस फिल्म के दृश्यों को सही तरीके से संपादित करते हैं तो शायद समय बचा जा सकता है और फिल्म के थ्रिल वाले हिस्सों में और मज़ा आ सकता है। कहानी में कैद हो तो एडिटिंग से छिपाया जा सकता है।
हीरो, नौकरी नहीं करता लेकिन उसे करोड़ों का कर्ज मिल जाता है। पढ़ा हुआ हीरो है, और गुंडे उसकी गर्लफ्रेंड को उसके सामने लेने के लिए लिखा जाता है और वो देखता रहता है। कोई भी गुंडा उसे ड्रग ले जाने के लिए 25 लाख रुपये देने को तैयार हो जाता है, लेकिन हीरो के चेहरे पर उसकी नजर नहीं पड़ती। गुंडा तो है लेकिन उसका चेला कॉमेडियन क्यों है? हीरोइन इतनी आसानी से गुंडे के चंगुल से कैसे भाग ले सकती है? भाग कर वो भ्रष्ट पुलिसवाले की ही गाडी में लिफ्ट कैसे ले जाता है? हेरोइन पुलिस थाने गाडी की चाबी के साथ हीरोइनों के साथ इतनी आसानी से कैसे जुड़ जाती है। ये सभी प्रश्न नहीं बढ़ते अगर संपादन में इन दृश्यों को काट दिया जाता।
फिल्म का काम दिलचस्प है। इस तरह की फिल्म भी पहली बार बनी है लेकिन ये फिल्म बंधी हुई है और इसलिए देखने वालों का आपस में नाता बना रहता है। फिल्म में गाने भी रखे गए हैं, रविवार तिलांजलि देना जरूरी था। आइटम नंबर इसलिए रखा गया था कि विलन की इमेज बनाई गई थी। परिगेटु परिगेट्टू का अर्थ दौड़ो होता है। एक गाना भी थीम पर बनाया गया है जो कि बासुरा है और फिल्म के साथ उसका कोई तालमेल नहीं लगता। प्रोफेशनल स्टंट की कमी है। डायरेक्टर रामकृष्ण भी इस फिल्म में अभिनय करते हुए नजर आते हैं लेकिन वो बहुत खराब अभिनेता हैं। ये फिल्म देखने के लिए या नहीं इसका फैसला करना मुश्किल है लेकिन एक अच्छी कहानी की बलि दे दी गई है।
विस्तृत रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
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प्रथम प्रकाशित : 02 अक्टूबर, 2021, 13:37 IST
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