छत्तीसगढ़

राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा 2024 विवाद: चयनित अभ्यर्थियों के प्रशिक्षण में अनावश्यक विलंब, शासन पर उठा सवाल

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर | छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वर्ष 2024 में आयोजित राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा को लेकर गहराया विवाद अब न्यायालय तक पहुंच चुका है। विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से चयनित अभ्यर्थियों ने शासन की कार्यशैली और फैसलों पर सवाल उठाए हैं।

परीक्षा एवं परिणाम की वैधता:
परीक्षा का आयोजन जनवरी 2024 में 6 केंद्रों में किया गया था, जिसके परिणाम फरवरी में घोषित हुए। शिकायतों के बाद उच्च न्यायालय बिलासपुर में दायर याचिका WPS 1832/2024 को न्यायालय ने अप्रैल में खारिज करते हुए परीक्षा को वैध बताया।

जांच समिति की तथ्यात्मक त्रुटियां:
शासन ने अगस्त में एक पाँच सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की, जिसने बिना अभ्यर्थियों की सुनवाई, बैठक व्यवस्था, या पर्यवेक्षकों/केंद्राध्यक्षों के बयान लिए ही पक्षपातपूर्ण निष्कर्ष दे दिए। समिति ने 22 अभ्यर्थियों को पारिवारिक संबंधों के आधार पर दोषी ठहराया, जबकि RTI से प्राप्त जानकारी में मात्र 10 अभ्यर्थी ही आपस में संबंधित पाए गए।

🔹 न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी:
उच्च न्यायालय ने 14 जनवरी 2025 को WPS 7889/2024 में शासन को 15 दिनों के भीतर प्रशिक्षण शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिसे शासन ने मौखिक रूप से स्वीकार भी किया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, इसके तुरंत बाद शासन ने गृह विभाग से पुनः जांच पत्राचार किया और फिर मार्च 2025 में EOW/ACB जांच की नई प्रक्रिया शुरू की।

चयनित अभ्यर्थियों के अधिकारों का हनन:
परीक्षा को वैध बताने के बावजूद, शासन द्वारा प्रशिक्षण रोकना, रिपोर्ट सार्वजनिक न करना, और मीडिया व राजनीतिक दबाव में निर्णय लेना चयनित अभ्यर्थियों के कॅरियर व जीवन पर सीधा असर डाल रहा है। तीन बार उच्च न्यायालय द्वारा परीक्षा को वैध ठहराए जाने के बावजूद, शासन किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंच रहा।

अभ्यर्थियों की मांग:


134 से अधिक चयनित अभ्यर्थियों ने एकजुट होकर WPS 1205/2025 व 1206/2025 के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और निष्पक्ष प्रशिक्षण प्रक्रिया की मांग की है।

प्रमुख प्रश्न यह हैं:

  • जब परीक्षा को न्यायालय द्वारा वैध ठहराया जा चुका है, तो प्रशिक्षण क्यों रोका गया?

  • शासन द्वारा मीडिया व राजनीतिक प्रभाव में आकर निर्णय लेना क्या न्यायसंगत है?

  • चयनित अभ्यर्थियों को कब मिलेगा उनका पदोन्नति का अधिकार?

इस संपूर्ण प्रकरण में अभ्यर्थियों की स्पष्ट मांग है कि “प्रक्रिया का पालन करते हुए न्याय किया जाए, न कि किसी दबाव में आकर भविष्य बर्बाद किया जाए।”

चयनित अभ्यर्थियों का स्पष्ट संदेश:

“हम किसी भी राजनीतिक दल या विचारधारा से प्रेरित नहीं, केवल अपने परिश्रम के आधार पर चयनित हुए हैं। हम चाहते हैं कि मीडिया इस सत्य को जनता तक पहुंचाए और शासन संवेदनशील होकर न्याय करे।”

 


यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ एशिया पर खबरों का विश्लेषण लगातार जारी है..

आपके पास किसी खबर पर जानकारी या शिकायत है ?
संपर्क करें unanewsofficial@gmail.com | 8839439946, 9244604787

व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें


विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 9244604787


निष्पक्ष और जनसरोकार की पत्रकारिता को समर्पित
आपका अपना नेशनल न्यूज चैनल UNA News

Now Available on :

Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page