
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर | मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पं. विद्याचरण शुक्ल के जन्मदिवस के अवसर पर उनके समर्थकों ने जीरम घाटी हत्याकांड की सच्चाई सामने लाने का संकल्प लिया है। पंडित विद्याचरण शुक्ल के पुराने सहयोगियों और समर्थकों ने ऐलान किया है कि वे अब इस हाई प्रोफाइल हत्याकांड की निष्पक्ष जांच हेतु सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
ज्ञात हो कि 25 मई 2013 को बस्तर की जीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों ने भीषण हमला किया था, जिसमें तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा समेत कई शीर्ष नेता शहीद हुए थे। इस हमले में गंभीर रूप से घायल हुए पंडित विद्याचरण शुक्ल का इलाज के दौरान निधन हो गया था।
एनआईए की जांच पर सवाल
एनआईए की जांच रिपोर्ट में इस हमले को नक्सली दहशत फैलाने की कार्यवाही बताया गया, लेकिन कोई अन्य साजिश का एंगल सामने नहीं आया। हालांकि, 2018 में कांग्रेस सरकार द्वारा गठित एसआईटी जांच पर बाद में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश दे दिया गया। समर्थकों का मानना है कि इतने बड़े कांड की एसआईटी जांच आवश्यक है, और अब सुप्रीम कोर्ट में जाकर वे सच्चाई उजागर करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करेंगे।
समर्थकों की व्यापक एकजुटता
हाल ही में पं. विद्याचरण शुक्ल की पुण्यतिथि पर पूरे प्रदेश से आए उनके समर्थकों ने रायपुर में बैठक की, जिसमें अधिवक्ता मनोज सिंह ठाकुर, प्रमोद तिवारी, राम अवतार देवांगन, शिरीष अवस्थी, सुरेश उपाध्याय, संजय मिश्रा, नीतिन झा, विकास गुप्ता, आभा मुदलियार, कोरमा राव सहित अनेक लोगों ने हिस्सा लिया।
बैठक में वक्ताओं ने इस बात पर गहरा दुख जताया कि अब तक इस हमले के पीछे की साजिशों पर से पर्दा नहीं उठ पाया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में केवल नक्सल एंगल पर रिपोर्ट तैयार कर देना बलिदानी नेताओं के साथ अन्याय है।
सुप्रीम कोर्ट जाएगी याचिका
वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज सिंह ठाकुर ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। यह कदम न सिर्फ पं. विद्याचरण शुक्ल बल्कि हमले में बलिदान हुए अन्य नेताओं के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। समर्थकों ने स्पष्ट किया कि इस लड़ाई का मकसद किसी राजनीतिक लाभ के बजाय सच्चाई और न्याय की स्थापना है।
छत्तीसगढ़ संघर्ष परिषद के नेताओं ने भी इस मुहिम का समर्थन करते हुए पं. विद्याचरण शुक्ल के बलिदान को व्यर्थ न जाने देने का संकल्प लिया है।
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