
UNITED NEWS OF ASIA. कबीरधाम कलेक्टर द्वारा नगरीय निकाय अंतर्गत वार्डवार आरक्षण तय करने 19 दिसम्बर की तिथि घोषित कर दी गयी है जिसे लेकर दावेदारों की धडकने तेज हो गयी है।
आपको बता दे छग सरकार ने कैबिनेट की बैठक में पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए निकायों में आरक्षण के नियम बदल दिए हैं और इसका अध्यादेश भी जारी किया है. दरअसल अब त्रिस्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों के चुनावों में ओबीसी की आरक्षण सीमा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी गई है. इसके लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने अनुशंसा की थी. यह फैसला ओबीसी वर्ग के लोगों को अधिक से अधिक जनप्रतिनिधित्व देना तय करेगा।
इससे ये माना जा रहा है की कवर्धा नगर पालिका के कई पार्षद पद के दावेदार या तो वार्ड बदल लेंगे या फिर चुनाव ही नहीं लड़ेंगे
कवर्धा नगर पालिका अध्यक्ष ओबीसी आरक्षित होने की संभावना
जानकार बताते है की कवर्धा नगर पालिका अध्यक्ष की सीट इस बार ओबीसी आरक्षित हो सकती है, मुमकिन है ओबीसी महिला का आरक्षण कवर्धा नगर पालिका मे तय हो सकता है।
ओबीसी मुक्त होने पर बीजेपी से चंद्रप्रकाश चन्द्रवंशी, वर्तमान अध्यक्ष मनहरण कौशिक, पार्षद पवन जायसवाल,अनिल साहू, सुनील साहू का नाम सामने आ सकता है वहीँ कांग्रेस मे गणेश योगी, संतोष नामदेव, बलदाऊ चंद्रवंशी, प्रत्याशी हो सकते है।
वहीँ महिला आरक्षित होने पर बीजेपी से पूर्व अध्यक्ष देवकुमारी चन्द्रवंशी, मनीषा अनिल साहू जैसे अनुभवी महिला नेताओं का नाम आगे आ सकता है, वहीँ कांग्रेस मे गंगोत्री योगी, अरूंधती चन्द्रवंशी के नाम सामने आ सकते है।
नगर पालिका अनारक्षित पुरुष होने पर सामान्य वर्ग मे बीजेपी से सभापति उमंग पाण्डेय, डॉ आनंद मिश्रा, श्रीकांत उपाध्याय, प्रमोद लुनिया, राजा टाटिया और कांग्रेस से पार्षद अशोक सिंह, मोहित माहेश्वरी, विकाश केशरी, भीखम कौशले, संजय लांझी,को पार्टी मैदान मे उतार सकती है।
ओबीसी आरक्षण से बदल जायेंगे दावेदारों के वार्ड
19 दिसंबर को होने वाले आरक्षण से पहले कयास लगाए जा रहे है की कई वर्तमान अनारक्षित वार्ड, आरक्षित हो जायेंगे जिससे कई वर्तमान पार्षद समेत दावेदारी करने वालो को वार्ड बदलना पड सकता है।
एक अनुमान के मुताबिक केवल 4-5 वार्ड ही अनारक्षित हो सकते है, हालांकि इसकी पुस्टि आने वाले दिनों मे ही हो सकती है।
वहीँ नगरीय निकाय चुनाव मे कांग्रेस संगठन पीछे दिखाई दे रहा है, बीजेपी के दावेदार लगातार सम्पर्क चालू कर चुके है पर कांग्रेस अभी तक शहर मे संगठन तक खड़ा नहीं कर पायी है।
पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष को इस्तीफा दिए हुए लगभग एक साल होने को है पर कांग्रेस ने अभी तक न ही शहर अध्यक्ष की नियुक्ति की है न ही शहर संगठन की।
कयास लगाए जा रहे है की आरक्षण के बाद दावेदारी से बाहर होने वाले दावेदार को कांग्रेस का शहर अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है।
ये महज हमारा अनुमान है, आने वाले दिन मे वार्ड वार आरक्षण तय होने के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी।
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