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आत्म-घृणा में थोड़ा अटपटा लगता है। बने हुए माहौल में रोज़ाना बड़ी तादाद में लोग इस समस्या से ग्रस्त हो रहे हैं। ये एक प्रकार की भावना की है, जो कई बार हमारे अंदर दूसरों को देखकर बढ़ने लगती है। उन्हें ऐसा महसूस होने लगता है कि वे अन्य लोग जैसे नहीं बनेंगे। वे अपने क्लिक का विवरण बनाकर अन्य लोगों की तरफ व्यवहार करते हैं। जानिए इस प्रकार की भावना से मुक्ति पाने के लिए विशेषज्ञों की क्या राय है। खुद को सीधे तौर पर नीचा दिखाने से खुद से नफरत है (आत्म-घृणा को कैसे दूर करें)दूर करने के कुछ आसान टिप्स।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ. राजकुमार पंत बताते हैं कि हमें यह बात को बताना होगा कि जो व्यक्ति अपने जीवन में खुश है उसे ही दूसरों से प्रेम और सम्मान प्राप्त होता है। वास्तव में वो खुद से भी बेहद प्यार करता है। अगर आप खुद की चिंता करेंगे और आप से प्यार करते हैं, तो निश्चित ही अन्य लोग का भी झुकाव आपकी ओर बढ़ने लगेगा। जब हम अपनी चिंता होने लगती है, तो हम अपने अच्छे और बुरे के बारे में सोचते हैं।
सेल्फ हेटरड की स्थिति से बाहर आने के लिए अपनाएं ये टिप्स
1. अपनी कमियों का प्रतिबिंब करें
सेल्फ़ हेटरेट के पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं। सबसे पहले उन कारणों को देखें। दिनभर में कुछ देर आपके साथ घबराहट। अकेले किसी खाली और शांत स्थान पर बैठते हैं। अपेन आप से कुछ देर से बात करें। आप अपने आप को धोखा देने से अपने उद्देश्य की प्राप्ति नहीं कर पाएंगे। डॉ अजरस के मुताबिक खुद को महसूस करें और इस बात पर ध्यान दें कि आप खुद से नफरत क्यों करते हैं। आपकी विफलता के पीछे क्या कारण है। वे सी कौन सी चीजें हैं, जो आगे बढ़ते हुए आपके रास्ते की रूकावट बन रही हैं। दूसरों के प्रति आपका व्यवहार कैसा है, जिसके कारण लोग आपके पास ज्यादा देर तक रुकते नहीं हैं। जब आप अपनी कमियों पर फॉक्स करेंगे, तो निश्चित है कि आप खुद से नफरत करते हैं, आप कम दिखेंगे।
2. सकारात्मक लोगों के साथ रहें
आपका व्यवहार इस बात पर हमेशा के लिए कर देता है कि आप किसी भी तरह के लोगों से झगड़ते रहते हैं। बहुत बार हमारे आस पास ऐसे लोग होते हैं, जो हमें डीमोटिवेट और बात पर दिखाते हैं। हम से खुद से नफरत होने लगता है। बार-बार काम करने वाला वुमेन अपने आप को इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराता है कि वो बच्चों को पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं। इससे उनकी परवरिश में कमी आई। विशेष रूप से, ये विचार हमारी सोसायटी हमारे अंदर निर्माण करती हैं। ऐसे में कई लोग साथ आ जाते हैं, जो सकारात्मकता प्रदान करने का काम करते हैं। हर बात के लिए खुद को दोषी करार नहीं देते। दूसरी ओर कामकाजी माताएं इस बात पर प्राउड फील कर सकती हैं कि उनके बच्चे बहुत जल्दी स्वतंत्र हो जाते हैं। हर चीज के सकारात्मक पहलू को देखने से आपका नजरिया बदल सकता है।
3. ध्यान जरूरी है
डॉ के अनुसार मेडिटेशन करने से हमारी मां रिलैक्स रहती है और पॉज़िटिव वाइब्स को कैच करता है। अपनी इंद्रियों पर ध्यान केद्रित करके सभी दुश्चिंताओं से मुक्त किया जा सकता है। सुबह उठकर सबसे पहले कुछ समय ध्यान लगाने के लिए बदलें। तनाव इस कदर बढ़ रहा है कि हमें इस बात को भरना होगा कि हर उम्र के लोगों के लिए ध्यान देना बहुत जरूरी है।
4. घूमने के लिए एक्सिट
अपने आप को समझने और खुश रहने के लिए प्रकृति के करीब कुछ देर परतें। आप चाहे, तो परिवार के साथ अन्यथा सोलो ट्रिप पर जाएँ। इससे आप खुद के अंदर बदलाव और ताजगी महसूस करेंगे। घूमने से हमारे हैप्पी हार्मोन रेगुलेट होने वाला है। इससे हमारी कुछ करने की भावना, जानने की अक्ष और स्वयं को प्रकट करने की शक्ति बढ़ती जा रही है।
5. कम्पेरिज़न से बचें
हम खुद ही कई बार अपना सहयोगी व्यवहार करते हैं। कहीं न कहीं इस बात को मान लेते हैं कि हम दूसरों से कम हैं। इस बारे में डॉ अर्जुन का कहना है कि हर व्यक्ति में अलग-अलग गुणवत्ता होती है। ऐसे में खुद को दूसरों से कम महसूस होता है, हमारे अंदर यकीन के कम होने का कारण भी सिद्ध हो सकता है। इस दुनिया में हर व्यक्ति अलग है। कई बार अपमानजनक व्यवहार के लिए हमारे आत्म घृणा का कारण बन जाता है। ऐसे में खुद को अपडेट करें।
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