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रेल परियोजना से प्रभावित 35 गांवों को राहत, जल्द हटेगी जमीन रजिस्ट्री पर लगी रोक

UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित खरसिया-नवा रायपुर-सालिकराम होते हुए परमलकसा तक नई डबल रेल लाइन परियोजना को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। रेलवे विभाग आगामी 15 दिनों के भीतर इस परियोजना का फाइनल नक्शा तैयार कर राज्य सरकार को सौंपेगा। इसके बाद रेललाइन के दोनों ओर 10-10 मीटर की भूमि छोड़कर बाकी क्षेत्र में खरीदी-बिक्री पर लगी रोक हटाई जाएगी, जिससे प्रभावित किसानों को बड़ी राहत मिलेगी।

 278 किमी लंबी रेल परियोजना को केंद्र की मंजूरी

यह डबल लाइन रेल प्रोजेक्ट 278 किलोमीटर लंबा होगा, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है। खरसिया से शुरू होकर यह लाइन नवा रायपुर होते हुए परमलकसा तक जाएगी। परियोजना से छत्तीसगढ़ के उद्योग, यातायात और क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की उम्मीद है।

 35 गांवों में लगी है खरीदी-बिक्री पर रोक

इस परियोजना के लिए किए जाने वाले भू-अर्जन के कारण 35 गांवों की जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाई गई है। प्रशासन ने यह कदम भारतमाला परियोजना के तहत हुए भूमि अधिग्रहण घोटाले को ध्यान में रखते हुए एहतियातन उठाया है, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता रोकी जा सके।

 किसानों की बढ़ती परेशानी: रोजाना दर्जनों आवेदन

खासकर तिल्दा, आरंग और अभनपुर ब्लॉक के ग्रामीण शादी-ब्याह और आर्थिक जरूरतों के चलते खरीदी-बिक्री पर लगी रोक को हटाने की मांग कर रहे हैं। जिला कलेक्टोरेट और राजस्व विभाग में रोजाना 11 से 12 आवेदन इस संबंध में पहुंच रहे हैं। किसानों का कहना है कि खेती ही उनका एकमात्र जीवन साधन है, और जमीन का लेन-देन रुकने से वे आर्थिक संकट में आ गए हैं।

किसानों की व्यथा: संकट के समय नहीं बिक पा रही जमीन

ग्रामीणों के अनुसार फसल खराब होने या अचानक खर्च बढ़ने की स्थिति में वे जमीन बेचकर जरूरतें पूरी करते हैं। लेकिन फिलहाल प्रतिबंध के चलते यह रास्ता भी बंद हो गया है। इस कारण शादी, इलाज, कर्ज चुकाने जैसे मामलों में भी उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

 प्रशासन की पहल और समाधान की दिशा में कदम

राजस्व विभाग की मांग पर रेलवे ने तय किया है कि पखवाड़े भर में फाइनल नक्शा तैयार कर राज्य को सौंप दिया जाएगा। इसके आधार पर केवल जरूरी अधिग्रहण क्षेत्र को चिन्हित कर बाकी ज़मीन पर लगे प्रतिबंध हटाए जाएंगे, जिससे किसानों की परेशानियां कुछ हद तक कम हो सकें।

यह निर्णय न केवल किसानों को आर्थिक राहत देगा बल्कि रेल परियोजना के भू-अर्जन प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाएगा। अब सभी की निगाहें रेलवे द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले फाइनल लेआउट प्लान पर टिकी हैं, जो इस प्रक्रिया की दिशा तय करेगा।

 


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