
UNITED NEWS OF ASIA. श्रीदाम ढाली,भानुप्रतापपुर (कांकेर)।राज्य सरकार जहां प्रदेशभर में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ‘युक्तियुक्तकरण’ की नीति लागू कर रही है, वहीं कांकेर जिले के शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी इस व्यवस्था को पलीता लगाने पर आमादा हैं। संयुक्त संचालक, स्कूल शिक्षा, जगदलपुर द्वारा स्पष्ट आदेश जारी होने के बावजूद, जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) अशोक पटेल और खंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) द्वारा शिक्षकों का अवैध रूप से संलग्नीकरण अब भी जारी है।
सरकार के आदेश को ठेंगा, चल रही मनमानी
संयुक्त संचालक द्वारा संलग्नीकरण समाप्त करने के स्पष्ट निर्देश सभी DEO और BEO को दिए गए थे। इसके बावजूद कई शिक्षकों को एक से अधिक स्कूलों में संलग्न कर रखा गया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह सब मोटी रकम लेकर किया जा रहा है।
विभागीय जानकारों के अनुसार 100 से अधिक शिक्षक आज भी नियमों के विरुद्ध संलग्न हैं, जिससे अंतर्वर्ती ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है।
प्रमुख केस स्टडीज़: अफसरों की ‘चहेती पोस्टिंग’ का खुला खेल
केस-1: दो प्रधानपाठक, एक स्कूल
गंगा कोमरे, जो कि मूलतः आसुलखार स्कूल में पदस्थ हैं, उन्हें सलिहापारा स्कूल में संलग्न कर दिया गया है, जबकि वहाँ कुसुमलता शर्मा पहले से प्रधानपाठक के रूप में पदस्थ हैं। नियमों के अनुसार एक स्कूल में दो प्रधानपाठकों का कोई प्रावधान नहीं है।
केस-2: सुदूर अंचल छोड़कर सुविधा की पोस्टिंग
लेमेस खरे, जो कि हड़फड़ (दुर्गुकोंदल) में मूल पदस्थ हैं, उन्हें प्राथमिक शाला साल्हे में संलग्न किया गया है। प्रधानपाठक ने बताया कि उन्हें न तो कोई आदेश दिखाया गया और न ही रिलीव करने की अनुमति है। यह कार्रवाई खंड शिक्षा कार्यालय की सहमति से की गई है।
केस-3: BEO-DEO की ‘साठगांठ’
रामकुमार जायसवाल, जो कि माध्यमिक शाला कोंगेर में नियुक्त हैं, उन्हें आमाकड़ा स्कूल में संलग्न किया गया है। स्कूल प्रबंधन के पास इस बाबत कोई आदेश नहीं है, मगर BEO और DEO की मिलीभगत से यह संलग्नीकरण जारी है।
केस-4: अन्तागढ़ में मनमानी
मोनिका सोनी, जिनकी नियुक्ति सुलीपारा में है, एक साल से अन्तागढ़ स्कूल में संलग्न हैं। यह संलग्नीकरण किसी स्पष्ट आदेश के बिना किया गया है। “अधिकारियों के पसंदीदा शिक्षकों के लिए नियम नहीं चलते,” यह बात क्षेत्र में आम हो गई है।
सरकार की नीति, ज़मीनी हकीकत से दूर
राज्य सरकार ने स्पष्ट कहा है कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य छात्रों की पढ़ाई बाधित करना नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना और संसाधनों का न्यायसंगत उपयोग करना है। इसके तहत:
शिक्षकों की आवश्यकता वाले स्कूलों को पर्याप्त शिक्षक मिले।
कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों में विलय किया जाए।
बच्चों को विषय विशेषज्ञ शिक्षक और बेहतर माहौल मिले।
लेकिन कांकेर जिले के कुछ ब्लॉकों में – भानुप्रतापपुर, दुर्गुकोंदल और अन्तागढ़ – में स्थिति उलट है। ग्रामीण और आंतरिक इलाकों से शिक्षक हटा कर उन्हें नगर और सुविधा वाले इलाकों में भेजा जा रहा है। इससे उन स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
DEO अशोक पटेल का ‘साइलेंट मोड’
जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी अशोक पटेल से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही कोई प्रतिक्रिया दी। यह रवैया खुद ही प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है।
अब जरूरी है सख्त कार्रवाई
इस तरह की अनियमितताओं से राज्य सरकार की मंशा और योजनाएं धराशायी हो रही हैं। आवश्यकता है कि उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के विरुद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई अधिकारी शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ न कर सके।
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