छत्तीसगढ़

अवैध निर्माण के संबंध में उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना व आपकी ओर से उचित कार्यवाही न होने के संबंध में

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर |

सविनय निवेदन है कि मैं आपके ध्यान में एक अत्यंत गंभीर विषय लाना चाहता हूँ, जो कि न केवल नगर नियोजन के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना भी है।

हमारे दोनों निवास (मकान क्रमांक 5 और 7) के मध्य स्थित प्लॉट नंबर 6, जो कि श्री नीरज एवं विशाल मेघानी के स्वामित्व में है, पर निगम द्वारा स्वीकृत नक्शे के विपरीत अवैध निर्माण किया जा रहा है। इस संबंध में मैं निम्नलिखित तथ्य प्रस्तुत करता हूँ:

  1. उक्त अवैध निर्माण की शिकायत मैंने ज़ोन क्रमांक 3 और 9 के कमिश्नर, निगम आयुक्त, महापौर एवं अन्य सक्षम अधिकारियों को की थी।

  2. परंतु जब कोई कार्यवाही नहीं हुई, तो मुझे माननीय उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। दिनांक 04-04-2025 को WPC 1708/2025 में माननीय न्यायालय ने 7 दिन के भीतर नियमानुसार कार्यवाही हेतु आदेशित किया।

  3. न्यायालय के आदेश के बावजूद, आज दिनांक तक न तो निर्माण रोका गया, न ही कोई विधिसम्मत कार्यवाही हुई।

  4. मैंने दिनांक 23-05-2025 को पुनः पत्र द्वारा ज़ोन कमिश्नर को आदेश के अनुपालन हेतु अवगत कराया।

  5. फिर भी कोई ठोस कार्यवाही न होने पर, दिनांक 08-07-2025 को RTI के तहत जानकारी मांगी गई।

  6. दिनांक 09-07-2025 को निगम को आपत्ति पत्र देकर यह स्पष्ट किया गया कि उत्तरदायी पक्ष से किसी भी प्रकार का राजीनामा या निर्माण नियमितीकरण न किया जाए।

  7. इसके बाद भी, 16-07-2025 एवं 04-08-2025 को अवैध रूप से लगाई गई निर्माण सेंटरिंग को हटाने हेतु पत्र दिया गया, क्योंकि इससे जानमाल को खतरा उत्पन्न हो रहा था।

  8. दिनांक 29-07-2025 को मैंने सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों के पूर्व निर्णयों का हवाला देकर कार्रवाई की मांग की, किन्तु अब तक कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया गया।

  9. RTI के उत्तर (04-08-2025) में मुझे अधूरी जानकारी दी गई; दस्तावेजों की पूर्ण प्रति नहीं दी गई, न ही की गई कार्यवाही से संतोषजनक जवाब मिला।

  10. हमारा मानना है कि उत्तरदायी पक्ष द्वारा पूर्णत: भवन अनुज्ञा व स्वीकृत नक्शे के विरुद्ध निर्माण किया गया है, एवं नगर निगम की लापरवाही के कारण यह निर्माण आज तक जारी रहा।

  11. निगम के पंजीकृत इंजीनियर सुदेश भावनानी ने निर्माण नियमों की अवहेलना होते देख कर भी रोकथाम नहीं की।

  12. सवाल यह उठता है कि –

    • न्यायालय के आदेश के बावजूद कार्यवाही क्यों नहीं हुई?

    • सूचना के अधिकार के तहत पूरी जानकारी क्यों नहीं दी गई?

    • मामला न्यायालय में लंबित रहते हुए उत्तरदायी पक्ष से राजीनामा क्यों किया गया या स्वीकार किया गया?

    • निरीक्षण में केवल फ्रंट MOS को ही क्यों देखा गया? अन्य भागों का निरीक्षण क्यों नहीं हुआ?

    • अवैध सेंटरिंग से किसी की जान को खतरा होने पर उत्तरदायित्व किसका होगा?

महोदय, नगर निगम की निष्क्रियता एवं लापरवाही के कारण हम मानसिक, सामाजिक और संभावित भौतिक क्षति की आशंका से घिरे हुए हैं। आपसे निवेदन है कि:

  • अविलंब माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए संपूर्ण निरीक्षण एवं रिपोर्ट तैयार की जाए।

  • उत्तरदायी पक्ष पर नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाए।

  • RTI के तहत समस्त दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियाँ तत्काल प्रदान की जाएं।

  • भविष्य में कोई दुर्घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए।

यदि उपरोक्त बिंदुओं पर त्वरित और संतोषजनक कार्यवाही नहीं की जाती है, तो हमें उच्च न्यायालय की अवमानना याचिका सहित राज्य मानवाधिकार आयोग एवं लोकायुक्त से भी गुहार लगानी पड़ेगी।

सादर,
आशीष अग्रवाल / नंद किशोर अग्रवाल
पता: मकान क्रमांक 5 एवं 7, सेक्टर-1, गीतांजली नगर, रायपुर
मोबाइल: [अपना नंबर लिखें]
दिनांक: 05 अगस्त 2025

 


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