‘क्लास’ वेब सीरीज रिव्यू: गिल्टी प्लेजर एक ऐसा आफत का नाम है जिसकी वजह से बड़े-बड़े ज्ञान और नैतिकता के पुजारियों को अपनी स्पष्ट सुथरी इमेज से हाथ खींचा है। ये ठीक ही है जैसे किसी स्वच्छ से नेता के एक से अधिक राक्षसों से संबंध होना या किसी फिल्म कलाकार का अंडरवर्ल्ड से दोस्ताना ताल्लुकत होना। हम दूसरों के जीवन में कई तरह से आनंद लेते हैं, भले ही वह अपने घर में रहने के लिए तैयार हों। नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज हुई एक सीरीज ‘क्लास’ की चर्चा जोर पकड़ रही है। स्कूल के बच्चों के मुख्य पात्रों को लेकर बने ये वेब सीरीज न सिर्फ बेहद अमीर लोगों की जिंदगी में ताकझंक करती है बल्कि फ्री सेक्स, प्री-मैरिटल सेक्स, एक्स्ट्रा मैरिटल सेक्स, ड्रग्स, शराब और हिंसक व्यवहार या भाषा को लगभग महिमामंडित करने का काम करती है करता है। हर साल पता चलता है कि इस तरह का कॉन्टेंट नहीं देखा जाना चाहिए, लेकिन गिल्टी प्लेजर क्या करें।
क्लास ये वेब सीरीज, स्पैनिश सीरीज ‘इलीट’ का हिंदी रूपांतरण है और दर्शकों के लिए एक डैमोक की घंटी भी है। ये घंटी इसलिए है कि इस सीरीज में जो कुछ दिखाया गया है, आम आदमी को या मध्यम वर्ग को लग सकता है कि ये जुड़ जाता है और उनके बच्चे कमजोर हो जाते हैं, लेकिन वे इसे रोकने के लिए कुछ नहीं करेंगे।
इस तरह की कहानी या इस तरह की घटना/दुर्घटना सिर्फ कल्पना में ही हो सकती है इसलिए कई चीजों की स्वतंत्रता ली गई है। कहानी, नूरपुर खटोला के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले तीन गरीब बच्चों की है – धीरज कुमार वाल्मीकि (पिषयू चौराहा), सबा बंधक (बीच में सहगल) और बल्ली सहरावत (कवि सिंह) की। इन स्कूलों की इमारत में आग लग जाती है और फिर इन्हें कॉम्पेन्सेशन के नाम पर दिल्ली के सबसे बड़े और महंगे स्कूल, हैम्पटन इंटरनेशनल में फ्री भर्ती करा दिया जाता है।
दिल्ली के सबसे बड़े रईसों के बच्चे इस स्कूल में सामान्य हैं। बहुत ही शीर्ष और बहुत नीच कक्षा के इन बच्चों को नामांकित के बराबर माना जाता है। जिस बिल्डर ने इन गरीब बच्चों के स्कूल को आग लग जाती है, उसके बच्चे भी इन वर्गों की कक्षाओं में सामान्य होते हैं। पूरी सीरीज में इन दोनों के बच्चों के आपसी झगड़े की कहानी सामने आई है लेकिन इस में बिल्डर की विद्रोही बेटी की मौत के साथ सीरीज खत्म हो गई है और पुलिस सब से पूछताछ कर रही है। इलियट के 6 सीजन आए थे तो उम्मीद है कि क्लास के भी 6 सीजन आएंगे।
अव्वल तो ये कहानी हिंदुस्तान में नहीं हो सकती इसलिए दर्शकों को इसे कपोल कल्पना की तरह देखना चाहिए। जिस तरह स्कूल की कल्पना की जाती है (हैम्पटन इंटरनेशनल) वो किस शहर में होते हैं। लड़के-लड़कियों को शोफर ड्रिवेन कार स्कूल में भर्ती होता है। किसी के साथ उसका पर्सनल बॉडीगार्ड भी होता है। कुछ स्कूल की पार्किंग में कार सेक्स कर रहे होते हैं तो किसी की नजर में तीसरा साथी होता है तो किसी अपने बॉयफ्रेंड को किसी और लड़की को पट कर सेक्स टेप बनाने के लिए कह रही है। मां की बर्थ पार्टी में स्ट्रिपर होते हैं और पिता अपने धंधे के लिए आते हैं, पकौड़े के स्कूल के निशान से भी गुरेज नहीं होता है। ये कहाँ होता है? ये कौन सा स्कूल है? ये कौन सी क्लास है? ये लोग कहाँ से आते हैं?
वैसे हर साल एक मैगजीन “सेक्स सर्वे” करता है जो ऊटपटांग डेस्के के सवालों से भारत के करीब एक दर्जन शहरों के चुनिंदा लोगों की सेक्स संबंधी इच्छाएं, कल्पनाएं और आदतें बनती हैं। कई बार लगता था कि ये सब भी होता है भारत में, लेकिन अब इसे लेकर कोई वितृष्णा या आश्चर्य नहीं होता। विदेशों का कंटेंट और पोर्न फिल्में देखकर लोग मानसिक विकृतियों को घर में ही ले लेते हैं। लेकिन ये सब स्कूल में हो रहा है, देख कर डर लगता है।
कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग एकदम सटीक हैं। कहानी तो चूंकि मूल स्पेनिश श्रृंखला ही है लेकिन स्क्रीनप्ले और डायलॉग पूरी तरह से भारतीय हैं। लेखक मंडली का काम अद्भुत कहा जा सकता है। गरीब छात्र रेव पार्टी करते हैं, जहां उनके अमीर क्लासमेट एक पुराने स्थान में बसी पुराने सी बिल्डिंग में आते हैं। शराब, फी आम, गांजा और ड्रग्स इस गरीब रेव पार्टी में आम मिलते हैं या बिकता है।
इस इमारत के घटिया से पूर्वाश्रम में दो छात्र भी सेक्स करते हैं। गरीब छात्रों को अमीरों की पार्टी में इनवाइट मिलता है तो अमीर दोस्त, अपने अमीरों से गरीब दोस्तों के कपडे खरीद रहे हैं। अमीर दोस्त शराब पानी की तरह पीते हैं और गरीब दोस्तों को इतना बड़ा घर देखकर आश्चर्य नहीं होता। गरीब छात्र, अमीर छात्रों के घर में कनेक्शन नहीं होते बल्कि उनकी करोड़ों की राशि भी जुड़ जाती है। मतलब कुछ भी हो रहा है? ये कौन लोग हैं, येसा स्कूल कौन है, ये किस तरह का आइकॉनिक डिवाइड है, लेकिन कभी देखा नहीं गया, सुना नहीं गया।
प्रभावी की बात कर लेते हैं, सब का अभिनय अच्छा है। अंजलि शिवरामन को सबसे पहले एक दो सीरीज में देखा गया है। इस सीरीज में उनका काम ठीक है, पूंजीपति पिता और सामाजिक मां से विद्रोह करती है, ड्रग एडिक्ट गर्ल। पियूष चौराहा पहले एक्सट्रैक्शन नाम की फिल्म में दिख रहे हैं। बाकी लगभग सभी कलाकार नए हैं या उनका पुराना काम कुछ खास नहीं है। ऋतु शिवपुरी को देखकर आश्चर्य हुआ। कबीर सदानंद और केतन सिंह के रोल बहुत ही छोटे और महत्वपूर्ण दिए गए थे। पुलिस वालों की भूमिका में विजय कुमार डोगरा और नीरज खेतपाल बहुत ही विश्वसनीय हैं।
अशीम अहलूवालिया कम्युनिटी और ऑडियंस को निर्देशित कर रहे हैं कि जाने क्या उम्मीदें होंगी जब उन्होंने मिस लवली जैसी हैरतअंगेज फिल्म का निर्देशन किया था। लवली, हिंदी सिनेमा के पन्ने पर एक नई दुर्घटना हुई। फिर कुछ समय बाद अरुण गवली की ज़िंदगी पर बनी फ़िल्मी ज़िम्मेदारियाँ आईं। अशीम ने मुख्यधारा की ओर आने की कोशिश की हालांकि दायित्वों की कहानी इतनी गहरी थी कि दर्शकों को ये भी कला फिल्म लगी। फिर अचानक आशीम को रेखित के लिए इलियट का भारतीय संस्करण बनाने का मौका मिलता है और हम देखते हैं अशीम का एक ऐसा स्वरूप जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी। पूरी सीरीज में अशीम सहज नजर आते हैं, हालांकि कुछ एपिसोड गुल धर्मानी और कबीर मेहता ने जारी किए हैं लेकिन सीरीज के निर्देशन तो आशीम ही हैं।
लेकिन ये सीरीज कुछ ऐसे लोगों के नाम से जानी जाती है जिन्हें सामान्य तौर पर क्रेडिट नहीं मिलता है। संजीव मौर्या)। उत्पादन डिजाइन (स्वप्निल भालेराव, मधुर महाजन)। सेट डेकोरेशन (दिव्या जैन)। कोस्तुम (लवदीप गुल्याणी)। ये नाम शायद ही कभी कभी प्रमुख से दिखाया जाएगा लेकिन क्लास को एलीट के स्तर पर बनाने और उसके भारतीयकरण करने में इन लोगों का योगदान है वो अभिनेताओं से ज्यादा है। क्लास वैसे तो देखने जैसा नहीं है, क्योंकि एक तो सेक्स, अभद्र भाषा, क्राइम, को ट्रेन से ज्यादा दिखाया गया है और ग्लोरिफाई भी किया गया है, लेकिन अगर कभी देखने का मौका मिल रहा है तो कोशिश कर के इन अनसंग ही रोजगार के काम को ध्यान से देखेंगे और सराहेंगे। कक्षा का स्कूल पता नहीं है, कक्षा की कक्षा निश्चित रूप से आम दर्शकों को भारी विवरण देती है। संभल कर देखिएगा।
विस्तृत रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
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पहले प्रकाशित : 09 फरवरी, 2023, 22:47 IST