
विमुद्रीकरण: केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही बताया है। यह फैसला 5 जजों की पीठ ने सुना है। बेंच ने इस फैसले पर कहा कि 500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। इस फैसले को संविधान पीठ ने चार-एक बहुमत से सुनाया। बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक जजमेंट को पलटा नहीं जा सकता।
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संविधान पीठ ने चार-एक बहुमत से सुनाया फैसला:
नोटबंदी के इस फैसले को 5 जजों के संविधान में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे। इनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बाकी चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा। उन्होंने लिखा था कि नोटबंदी का फ़ैसला अवैध था। हालांकि उन्होंने कहा कि यह सरकार का पुराना फैसला है, कोई असर नहीं करेगा।
सरकार ने आरबीआई से ली थी सलाह: संविधान पीठ
5 जजों के संविधान पीठ ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र सरकार ने आरबीआई से बातचीत की थी। इससे यह साबित होता है कि नोटबंदी सरकार का मनमाना फैसला नहीं था। संविधान पीठ ने इस फैसले के साथ ही नोटबंदी के खिलाफ सभी 58 याचिकाएं खारिज कर कब्जा कर लिया। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 2016 में 1000 और 500 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया था।
दो दिन बाद कृत्य होंगे संविधान शिक्षक के अध्यक्ष:
संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्याय एस अब्दुल नजीर 4 जनवरी, 2023 को निरस्त हो जाएंगे।
याचिका की याचिका थी कि रद्द करने का अधिकार नहीं:
नोटबंदी में दावा याचिका की दलील थी कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26 (2) किसी विशेष मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों को पूरी तरह से रद्द करने के लिए सरकार को अधिकृत नहीं करती है। धारा 26 (2) एक विशेष श्रृंखला केसी नोट्स को रद्द करने का अधिकार देता है, संपूर्ण नोटों को नहीं।
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