
संसद पर हमला; 13 अटैचमेंट 2001 को संसद दिए गए फैसलों में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे। झटके का वो दिन जिसे कोई नहीं भूल सकता, साल 2001 में सत्र सर्दियों के दौरान गलती ने इस हमले को अंजाम दिया था । उस दिन सुबह भी हर रोज की तरह गहमगहमी थी।
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विंटर सेशन चल रहा था किसी को भी कोई अंदाजा नहीं था इस दृढ़ में घुसकर पर हमला कर देंगे। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ये एक ऐसी घटना थी जिससे पूरा देश प्रभावित हुआ था। का आतंकवादी ऐसा नापाक हरकत भी कर सकता है। पूरा देश हैरान था कि संसद पर हमला कैसे हो सकता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हुए हमले आज 21वें शनिवार को हैं। 13 जकड़न 2001 को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद औए 5 आतंवादियों ने भारत की संसद पर हमला किया था ।
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चल रहा था शीतकालीन सत्र, संसद की बैठक के बाद भारी हंगामा करवाई 40 मिनट के लिए रोक कर रखा गया था। संसद का फैसला होता ही नेता सोनिया गांधी सभा से निकलकर और अटल बिहारी सेवानिवृत्ति अपने सरकारी आवास के लिए निकल गए थे। बहुत से सांसद वहां से जा चुके थे गृह मंत्री लाल कृष्णा आडवानी अपने साथी मंत्री और लगभग 200 सांसद के साथ मौजूद थे। उपराष्ट्रपति कृष्णकांत शर्मा के कार काफिले में सुरक्षाकर्मी सुरक्षा सदनों से उनके आने का इंतजार कर रहे थे। और ठीक उसी पल में एक राजदूत कार तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ती है और उपराष्ट्रपति की कार से टकरा जाती है। कोई कुछ समझ नहीं पाटा इतने में एक एम्बेसडर कार के चारो दरवाजे खुलते है और गाड़ी में बैठे पांचो फियबर अंधाधुंध गोलियां खाते हुए देखी हैं। पांचो एके– 47 से युक्त थे।पहली बार संसद भवन लोकतंत्र की दहलीज पार कर चुका था। संसद भवन में वाणिज्य की आवाज गूंज रही थी। अपरिचित के पहले हमले का शिकार बने थे वे 4 सुरक्षाकर्मी जो एम्बेसडर कार को रोकने की कोशिश कर रहे थे। प्रदर्शनों में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे।
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