
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा | प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रानीदहरा जलप्रपात एक बार फिर दर्दनाक हादसे का गवाह बना। रविवार को यहां बाढ़ के तेज बहाव में तीन युवक बह गए, जिनमें से एक की मौत हो गई, एक को ग्रामीणों ने बचाया, जबकि तीसरे युवक को कई घंटों की तलाश के बाद देर शाम खोज लिया गया। लगातार हादसों के बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता और सुरक्षा उपायों की कमी इस बार फिर चर्चा में है।
मृतक की पहचान मुंगेली निवासी नरेंद्र पाल (45) के रूप में
बारिश के कारण अचानक जलप्रपात में आए उफान ने मौके पर पहुंचे मुंगेली निवासी नरेंद्र पाल (पिता – अवतार सिंह) को बहा लिया। बाद में डॉयल 112 की टीम ने उनका शव बरामद किया। नरेंद्र अपने दोस्तों के साथ यहां घूमने आए थे।
बेमेतरा से लौटते समय दो युवक भी बहे
इसी दौरान बेमेतरा जिले से आए दो युवक, मोटरसाइकिल से लौटते वक्त रास्ते में आए नाले के उफान में फंस गए। एक युवक को खेत में काम कर रहे ग्रामीणों ने बहादुरी दिखाते हुए बचा लिया और उपचार हेतु अस्पताल पहुंचाया गया, जबकि दूसरा युवक लापता रहा। पुलिस और गोताखोरों की कई घंटों की मशक्कत के बाद अंततः उसे भी खोज लिया गया।
मौत का स्थायी ठिकाना बनता जा रहा है रानीदहरा
पिछले तीन वर्षों में रानीदहरा में 8 लोगों की मौत हो चुकी है।
अगस्त 2024: डिप्टी सीएम अरुण साव के भांजे तुषार साहू की मौत
सितंबर 2024: नागपुर के अलफाज अंसारी डूबे
सितंबर 2023: राहुल ठाकुर व शुभम झरिया की मौत
और अब नरेंद्र पाल की दुखद मौत
यह घटनाएं बताती हैं कि रानीदहरा एक खूबसूरत जगह होने के बावजूद, प्रशासनिक लापरवाही के कारण मौत का जलप्रपात बन चुका है।
प्रशासन के खिलाफ लोगों में आक्रोश
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।
न कोई चेतावनी बोर्ड
न कोई बैरिकेडिंग या घेराबंदी
न तैनात बचाव दल या रेस्क्यू पोस्ट
हर हादसे के बाद प्रशासन “जांच” और “सावधानी” के दावे करता है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
मांग: स्थायी सुरक्षा उपाय हो
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि—
रानीदहरा को रेड जोन घोषित किया जाए
चेतावनी बोर्ड, सीमाएं तय करने वाली बैरिकेडिंग, और
स्थायी रेस्क्यू टीम की तैनाती हो
हर साल बारिश के मौसम में रानीदहरा जैसे जलप्रपात पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, लेकिन जब सुरक्षा के इंतजाम नदारद हों, तो ऐसे स्थान मनोरंजन नहीं, मौत की यात्रा में बदल जाते हैं। अब वक्त है कि प्रशासन सिर्फ घटना के बाद क्रिया की औपचारिकता नहीं, बल्कि घटना से पहले सतर्कता की जवाबदेही निभाए।
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