
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर ने लोकमाता अहिल्यादेवी होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह में उनके जीवन और कृतित्व पर प्रकाश डाला। रायपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में सोमवार को आयोजित इस व्याख्यान में रामदत्त चक्रधर ने लोकमाता के महान कार्यों को विस्तार से बताया और कहा कि उनके जीवन से हमें वर्तमान और भावी पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
रामदत्त चक्रधर ने कहा कि लोकमाता अहिल्यादेवी एक सामान्य परिवार से थीं, लेकिन उनके जीवन में साहस, प्रशासनिक क्षमता और आध्यात्मिकता जैसे गुण थे, जिन्होंने उन्हें महान वीरांगना और कुशल शासक बनाया। उन्होंने कहा कि अहिल्यादेवी ने संपूर्ण भारत को एकात्मता के सूत्र में पिरोया और अपने राज्य में स्थायी समाधान के साथ कई विद्रोहों को नष्ट किया।
रामदत्त चक्रधर ने अहिल्यादेवी के प्रशासनिक कौशल की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि जब नासिक में निर्माण कार्य के दौरान आर्थिक अनियमितता की शिकायत आई, तो लोकमाता ने तत्काल संबंधित अधिकारी को हटाया। इसी प्रकार, पंढ़रपुर में निर्माण कार्य की गुणवत्ता जांचने के लिए उन्होंने हाथियों का उपयोग किया। उन्होंने यह भी कहा कि लोकमाता के राज्य में कोई भी निर्धन व्यक्ति धनवान के उत्पीड़न से बचा रहता था, क्योंकि वह मानती थीं कि जनता और शासन का संबंध मां और संतान जैसा होना चाहिए।
सह सरकार्यवाह ने लोकमाता की आध्यात्मिकता को भी सराहा और बताया कि उनके जीवन में शिवलिंग और मंदिरों का निर्माण महत्वपूर्ण स्थान रखते थे। उन्होंने काशी, बद्रीनाथ, केदारनाथ और गया जैसे स्थानों पर मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार करवाया। न्याय और सनातन मूल्यों की उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसे सभी को आत्मसात करना चाहिए।
रामदत्त चक्रधर ने इस अवसर पर कहा कि यह स्वर्णिम कालखंड है, जिसमें हम अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और धारा 370 के समाप्त होने जैसे ऐतिहासिक क्षणों के साक्षी बन रहे हैं। इस महान समय में हमें लोकमाता अहिल्यादेवी के जीवन चरित्र को याद करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा लेनी चाहिए।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक टोपलाल वर्मा ने भी त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ प्रांत में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में व्याख्यानमाला, निबंध प्रतियोगिता और रंगोली निर्माण जैसे आयोजन किए गए, जिनमें युवाओं और प्रबुद्धजनों की बड़ी संख्या में भागीदारी रही।
इस मौके पर पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति सच्चिदानंद शुक्ल, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंदेल और अन्य प्रमुख व्यक्तित्व उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में एक आकर्षक नृत्य नाटिका का मंचन भी किया गया।
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