
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में गुरुवार को मंत्रियों और विधायकों के निजी सचिव (पीएस) और निजी सहायकों (पीए) के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने किया। इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, संसदीय कार्यमंत्री केदार कश्यप, और विधानसभा सचिव सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
पीए-पीएस निभा सकते हैं निर्णायक भूमिका: डॉ. रमन सिंह
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए कहा, “राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता में से सिर्फ 100 लोग ऐसे हैं, जिन्हें जनप्रतिनिधियों के रूप में कार्य करने का अवसर मिला है। इन जनप्रतिनिधियों के साथ जुड़े पीए और पीएस यदि प्रशिक्षित और जागरूक हों, तो वे न केवल नेताओं की छवि निखार सकते हैं, बल्कि उनकी कार्यक्षमता में भी वृद्धि कर सकते हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि पीएस-पीए को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं, बजट, प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और विधानसभा की प्रक्रिया की जानकारी होनी चाहिए। “नेताओं की छवि उनके स्टाफ द्वारा ही गढ़ी जाती है। उन्हें केवल कागज उठाने वाले नहीं, बल्कि सलाहकार और सहायक की भूमिका निभानी चाहिए।”
नेता की ‘आबादी’ और ‘बर्बादी’ पीएस-पीए पर निर्भर: डॉ. चरणदास महंत
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने अपने संबोधन में कहा कि विधायक और मंत्री की सफलता में उनके निजी सहायकों की भूमिका अहम होती है। “अगर किसी विधायक या मंत्री को बर्बाद करना हो तो पीए-पीएस ही काफी हैं, और अगर उन्हें आबाद करना हो तो भी वही सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।”
महंत ने कहा कि केवल चिट्ठियां टाइप कराना और फाइलें संभालना ही इनका काम नहीं है। “इन्हें अपने नेता की अच्छाई और बुराई दोनों बतानी चाहिए, ताकि वे खुद को बेहतर बना सकें।”
कार्यशैली पर दिया गया विस्तृत प्रशिक्षण
कार्यक्रम के दौरान विधानसभा सचिव द्वारा कार्य प्रक्रिया, प्रश्नोत्तर, विधेयकों की प्रस्तुति, बजट की समझ, सुरक्षा व्यवस्था और जनसंपर्क कौशल जैसे विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। आयोजन का उद्देश्य विधायकों और मंत्रियों के कार्यालय कार्यों को अधिक दक्षता और पारदर्शिता से संचालित करना था।
पूर्ववर्ती सरकार में प्रशिक्षण की कमी पर भी चर्चा
इस अवसर पर पूर्व सरकार के कार्यकाल में इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित न होने पर भी चर्चा हुई। नेता प्रतिपक्ष महंत ने कहा कि यदि पीए-पीएस को अंधेरे में रखा गया, तो कई फैसले गलत हो सकते हैं और जनप्रतिनिधियों की हार-जीत पर भी असर पड़ सकता है।
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