
‘सुनो ऐ दुनिया वालों बापू की ये अमर कहानी’, ‘ये हवा ये रात ये चांदनी तेरी इक अदा पे निसार है’, ‘उड़ जा पं रेछी कि अब ये देश हुआ बेगाना’, ‘तुम सीमित हो माता, पिता तुम सिमे हुए हो, तुम बंधे हो बंधु सखा तुम सीमित हो’, ‘चुप-चुप बैठे हो, कोई बात नहीं है’, ‘जो डाल जरूर डालते हैं सोने की चिड़ियां करते हैं बसेरा’, ‘मेरे लिए गए रंगून, वहां से किया है टेलिफून’, ‘ ओ मेरी प्यारी बिंदु’ आदि-आदि. गीतों की सूची इतनी लंबी है हमारे मन के रंग। हमारे मन के इन रनों को शब्दों में व्यक्त किया जाता है राजेंद्र कृष्ण ने. वे राजेंद्र कृष्ण जो खुद को राजेंद्र क्रिशन कहलाना पसंद करते थे।
6 जून इनहीं राजेंद्र कृष्ण की जयंती है। 6 जून सन 1919 को अविभाजित भारत के जलालपुर में जन्मे राजेंद्र कृष्ण का पूरा नाम राजेंद्र कृष्ण दुग्गल था। बचपन से ही कहानी, गीत, कविता के प्रति रूझान रखने वाले राजेंद्र कृष्ण के फिल्मी दुनिया में आने की कहानी भी दिलचस्प है। लेखिका-पत्रकार गीताश्री द्वारा विरोध पुस्तक ‘वो भूली दास्तां’ तथा अन्य लेखकों के संस्मारन हमें दायरा-संवाद लेखक राजेंद्र कृष्ण की लंबी यात्रा के कई रोचक दृष्टिकोण से वाकिफ करवाते हैं। हम उन्नीस संदर्भों की दशाएं राजेंद्र कृष्ण के जीवन और रचना को संसार को समझते हैं।
राजेंद्र कृष्ण के बड़े भाई बोलते थे इसलिए राजेंद्र भी पढ़ाई पूरी करने के बाद संचार में पहुंच गए। वहीं बिजली विभाग में हेड क्लर्क की नौकरी लग गई। बचपन का शौक था और वह निष्क्रिय में भी जारी हो रहा था। फिर 1945 में संचार में आयोजित एक मुशायरे ने अपना मुंबई आगमन का मार्ग खोल दिया। हुआ यूं कि मुशायरे मशहूर में शायर जिगर मुरादाबादी बोल्ड तब तक राजेंद्र कृष्ण अपने कलाम पढ़ चुके थे। मगर जब जिगर मुरादाबादी तक युवक राजेंद्र की इच्छा पूरी होती है तो उन्होंने राजेंद्र को फिर से पढ़ने के लिए कहा। राजेंद्र ने क्या खूब पढ़ा कि जही मुरादाबादी प्रसन्न हो गए। सार्जेंटर से राजेंद्र कृष्ण ने लेखन को महान कार्य बनाने का फैसला किया और मुंबई का रुख किया।
मुंबई में ही चल रहा था संघर्ष, एक बड़े हिट का इंतजार था। राजेंद्र कृष्ण ने एक गीत लिखा है जो उनके सबसे अच्छे गीतों में से एक है। यह गीत उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के बाद लिखा था। ‘सुनो, श्रवण, ऐ दुनिया वालों, बापू की अमर कहानी’ गीत को मोहम्मद रफी ने गाया था और इस गीत की लोकप्रियता के कारण रफी की चर्चा भी हुई। लेखक राजेंद्र कृष्ण की चर्चा कुछ कम हुई है।
1948 में ही आई ‘प्यार की जीत’ फिल्म में राजेंद्र कृष्ण के गीत ‘तेरे लिंक्स ने चोरी किया’ को सुपर स्टार सुरैया ने आवाज दी। और इस गीत ने राजेंद्र कृष्ण को बड़ी पहचान दे दी। 1949 में आई फिल्म ‘बड़ी बहन’ का गाना ‘चुपचुप रुकना जरूर कोई बात है, पहली मुलाकात है पहली मुलाकात है’ तो मुहावरा बन कर हमारे जीवन का अंग बन गया। 1951 की फिल्म ‘बहार’ का गाना ‘सांया दिल में आया रे’ की तस्वीरें जुबान पर चढ़ गई थीं।
इन गीतों से सफलता की जो यात्रा शुरू हुई उसमें राजेंद्र कृष्ण ने हर रंग के गीत लिखे हैं। जैसे, दिलीप कुमार अनिर्णीत फिल्म ‘गोपी’ का भजन ‘सुख के सब साथी, दु:ख में न कोई’ अपनी सफलता के गवाह खुद हैं। इसी फिल्म का गीत ‘रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दाना तिनका, कौआ मोती खाएगा’ भी हमारे मुहावरों में शामिल है जिसका प्रयोग हम तब करते रहते हैं। फिल्म ‘मैं चुप रहूंगी’ के लिए लिखा गया गाना हमारी दुआओं का हिस्सा है।
तुम मरते हो माता, पिता तुम सीमित हो
तुम सीमित हो बंधू, सखा तुम सीमित हो
तुम मरते हो साथी, तुम घायल हुए
नो ना अपना सिवा
तुम सीमित हो नैय्या, तुम सीमित खेवैय्या
जो खिल नहीं वो फूल हम हैं
आपके स्टैज की धूल हम हैं
दया की दृष्टि सदा ही की
तुम सीमित हो बंधू, सखा तुम सीमित हो
तुम मरते हो माता, पिता तुम सीमित हो
तुम सीमित हो बंधू, सखा तुम सीमित हो।
और जब लोरी की याद आती है तो ‘अलबेला’ फिल्म के लिए राजेंद्र कृष्ण का लिखा ही हमारे पास होता है। क्या खूब लोरी है, ‘धीरे-धीरे आज फिर अंखियों में, निंदिया आज फिर आ जा रही है, धीरे-धीरे आज।’ 1965 में आई फिल्म ‘खानदान’ के गीत ‘तुम सीमित मेरे मंदिर तुम सीमित मेरी पूजा, तुम सीमित देवता हो, कोई मेरी आंखें देखे तो समझ के तुम मेरे क्या हो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतों का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था।
राजेंद्र कृष्ण के जीवन के कई पहलू हैं, जिनमें से एक यह है कि अपनी सफलता से वे कभी बौराए नहीं। हमेशा सहत-सरल बने रहे। जैसे उनके लखपति बनने की भी एक कहानी है। राजेंद्र कृष्ण को घोड़े की दौड़ में पैसा लगाने का शौक था। एक बार रेस का जैकपॉट उनका नाम निकला। यह करीब 48 लाख का जैकपॉट टैक्स मुक्त था। उन्नीस में से एक लाख प्रधानमंत्री आपदा कोष में जमा करवाए। गवाह हैं कि जब प्रधान मंत्री इंस्पिरेशन गांधी को पता चला कि जैकपॉट से दायर राशि टैक्स मुक्त है तो उन्होंने नियम बदल दिया। स्थान हैं कि इस चरण से हॉर्स रेस से जुड़े लोग राजेंद्र कृष्ण से नाराज हो गए थे।
बहरहाल, इस किससे से अलग राजेंद्र कृष्ण का एक फलसफा हम राह रोशन कर सकते हैं। यह फलसफा अपनी उचित और जरूरी चीजों के लिए जगह बना रहा है। यदि हम यह शिकायत करते हैं कि अच्छी चीजों को देखा, पढ़ा या सुना नहीं गया है, उनका कोई खेल नहीं बचा है तो राजेंद्र कृष्ण से सीखना चाहिए। उनके जमाने में भी जगह नहीं थी लेकिन उन्हीं बेहतरीन गानों के लिए जगह बनाई गई थी। इस जगह को बनाने के लिए उन्नीस स्क्रिप्ट राइटर होने को साधन बनाया गया है। एक इंटरव्यू में उन्नीस ने कहा था कि आम तौर पर एक फिल्म में छह या सात गाने होते हैं जिसमें रोमांटिक सिचुएशन ज्यादा होती है। शामिल तो कोई पैगाम नहीं दिया जा सकता। मैं स्क्रिप्ट राइटर भी हूं, संवाद भी लिखता हूं तो इसलिए कोई न कोई सिचुएशन ऐसी निकालता हूं, जिसमें देशभक्त, भजन, या समाजवाद की बात हो या गजल हो जाए।
उन्नी लोगों ने ऐसे बहुत सारे तैयार किए और इतने बेहतरीन नगों में हमें दिए जिनके बिना हमारी संगीत की महफिलें अधूरी हैं। गायक तलत महमूद की आवाज़ के कारण आज भी बहुत सुने जाते हैं और उनके तीन सुपरहिट गीत हैं, जिनमें से अधिकांश राजेंद्र कृष्ण के हैं। इन गानों में ‘ये हवा ये रात ये चांदनी तेरी इसकी अदा पे निसार है’, ‘हमसे आया न गया, आशिक को न कहा’, ‘इतना न मुझ से तू प्यार बढ़ा’, ‘आंसू समझ के क्यूं मुझे आंख से गिरे दिया’, ‘फिर वही शाम वही गम वही तनहाई’, ‘मैं तेरी दृष्टि का सुरूर हूं, याद हो के न याद हो’ जैसे गीत शामिल हैं। जीवन के अंतिम पड़ाव तक सक्रिय रहे राजेंद्र कृष्ण का 23 सितंबर 1987 को मुंबई में निधन हो गया।
पहली शुरुआत में हर रंग के गाने की बात कही थी तो हास्य का रंग भला कैसे बने रह सकते हैं? ‘शाम पर्दे खिड़की तुम सीटी बजाना छोड़ दो’, ‘ओ मेरी प्यारी बिंदु’, ‘एक चतुर नार करके सिंगार’, ‘ईना मीना डीका’, ‘मेरा दाब है गधों का नेता’ जैसे गीतों के लेखक की खोज करेंगे तो एक वही नाम सामने आएगा, राजेंद्र कृष्ण। उनके लिखे कुछ सर्वकालिक गीत हैं:
उन्हें ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते
अपनी तो ये रिश्ता है कि हम कुछ नहीं कहते।
ये उसी की मेहनत है, जो किसी का हो गया
प्यार ही में खो गया।
न झटकों जुल्फ से पानी ये मोती टूट जाएंगे
क्वांटम कुछ न बिगड़ेगा लेकिन टूट जाएंगे।
इस भरी दुनिया में कोई भी हमारा न हुआ
गैर तो गैर अपनों का सहयोग न हुआ।
ये ये हवा वाली रात ये चांदनी तिरी एक अदा पे निसार है
मुझे क्यूं न हो तिरी आरजू तिरी जुस्तुजू में बहार है।
इसलिए न मुझसे तू प्यार बढ़ा के मैं एक गीत आवारा
कैसे किसी का सहयोग बनूं के मैं स्वयं प्रत्यक्ष दिखता हूं।
चल उड़ जा रेछी पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना
भूल जा अब वो मस्त, हवा वो उड़ना डाली।
पल पल दिल के पास, तुम रहते हो
जीवन मिले पत्ते, ये कहते हैं।
मन डोले, मेरा टन डोले
मेरे दिल का करार दिया रे
इसके बजाय कौन बासुरियायां।
जादूगर सायं छोड़ दें मोरी बैयां
अब आधी रात को घर जाने दो।
मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है
अफसोस ये है कि वो हम से कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है।
ऐ दिल मुझे बता दे तू किस पे आ गया है
वो कौन है जो आने वाले ख्वाबों पे छा गया है।
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टैग: बॉलीवुड, बॉलीवुड हस्तियां, हिंदी फिल्में
पहले प्रकाशित : 06 जून, 2023, 11:53 IST



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