
इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
बिहार के सारण जिले के छपरा में ज़हरीली शराब पाकर मरने वालों की संख्या गुरुवार को बढ़कर 39 हो गई। अधिकारियों ने कहा कि कई परिवार सख्त शराबबंदी कानून लागू होने के कारण यहां मौत के बारे में सूचना देने से कतरा रहे हैं। ज्यादातर पीड़ित मशरक और इसुआपुर क्षेत्र से हैं।
बुधवार को बिहार विधानसभा के अंदर बिहार के निवर्तमान कुमार का एक ऐसा रूप दिखा, जो पहले कभी नहीं देखा था। झुंझलाहट में झुंझलाते हुए निकर ने विपक्षी भाजपा के नेताओं से कहा, ‘तुम सभी को क्या हो गया है? तुम सब झूठ बोल रहे हो। जो तुम मांग रहे हो और कर रहे हो, वह गांधी राजनीति है। याद रखो कि तुम (शराबबंदी के समर्थन में) पहले क्या कहते थे।’
आम तौर पर शांत रहने वाले न्यूमेर से मैसेज कर रहे थे और बंधे हुए बीजेपी नेता चिल्ला रहे थे। उन्होंने कहा: ‘तुम सब ड्रग हो गए हो…तुम सीमित सब बिहार में गड़बड़ी कर रहे हो….तुम सब बरबाद हो जाओगे।’
बिहार के लोगों ने पहली बार नीतीश कुमार को इतनी कठोर भाषा का इस्तेमाल करते हुए देखा। आस-पास जहरीली शराब से हुई मौत पर चर्चा के लिए भगवान ने नोटिस दिया था, जिसे नामंजूर कर दिया गया। जैसे ही सहयोगियों ने अपनी मांग को लेकर बेरुखी शुरू कर दी, वैसे ही नौकरों ने अपना आपा खो दिया और अन्य सदस्यों ने फ्रैंक को नजरअंदाज कर दिया।
निकुकुमार अपनी शालीनता के लिए जाने जाते हैं, अनुभवी नेता हैं। वह जानते हैं कि सदन में आमतौर पर ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता है। उत्तेजकवे की शुरुआत हुई, जब कुर्ढ़नी से विधानसभा उपचुनाव में लाइव बीजेपी नेता केदार गुप्ता के शपथ ग्रहण समय बीजेपी के सदस्य ‘कुढ़नी तो एक करोड़ी है, पूरा बिहार बाकी है’ का नारा लगाने लगे।’
सक्रिय कुमार पहले तो शांत रहे, लेकिन जब बीजेपी के नेताओं ने क्वेश्चन आवर में छपरा में जहरीली शराब से अफवाहों के मुद्दे पर चर्चा की मांग की तो होने पर वेल में आना चिल्लाना शुरू की, तो उन्होंने आपको खो दिया। बीजेपी के नेता शराबबंदी के साथी, और माफिया का संरक्षण देकर शराब की कालाबाजारी को बढ़ावा दे रहे थे।
जब स्पीकर ब्रेक से शांत होने की अपील कर रहे थे, अपनी सीट पर वापस जाने को कह रहे थे, उस घड़ी आंख से आंख उठती है और चिल्लाती है। निवर्तमान ने कहा कि जब बिहार में शराबबंदी का फैसला हुआ, तब बीजेपी के नेता तुम्हारे साथ थे, लेकिन ‘अब सब शराब पीने वाले हो, नशे में हो गए हो, बहुत गुस्सा काम कर रहे हो, इसे नहीं छोड़ा जाएगा।’ वे बोलने वाले से सभी नेताओं को यहोवा से निकालने की सभी मांग करते हैं। आम तौर पर शांत रहने वाले न्यूरॉन्स में कांप रहे थे, और उनका यह रुख देखकर पूरा भगवान हैरान रह गया था।
नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि संबंधित सदस्यों का अपमान करने के लिए चुटकुला मांगा जाना चाहिए। विजय सिन्हा ने आरोप लगाया कि बिहार में अपराधी, माफिया और माफिया ‘जंगल राज’ को बढ़ावा दे रहे हैं।
इसके बाद परमाणु कुमार फिर से भड़क गए और विजय सिन्हा से कहा, ‘तुम पूरी तरह बर्बाद हो जाओगे। रिकॉर्ड पता है कि तुम कैसे जीते हो, और कौन गया था तब तुम जीत गए थे।’ निवर्तमान कुमार यह कहना चाहते थे कि विजय सिन्हा के क्षेत्र में वह प्रचार करते थे, इसी वजह से चुनाव में उनकी जीत हुई थी।
बीजेपी के नेताओं ने बाद में सदन के बाहर धरना दिया और आरोप लगाया कि बिहार में शराब माफिया कुछ ताकतों के संरक्षण में काम कर रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी, जिन्होंने 15 साल तक लगातार उपमुख्यमंत्री का काम किया, उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार पहले तो ऐसे नहीं थे। पता नहीं उन्हें क्या हो गया है। उम्र का असर है या स्थिति का, कह नहीं सकता। लेकिन निशाचर का यह रूप देखकर हैरानी होती है।’
पिछले कुछ महीनों में लगातार कुमार ने कई बार संयम खोया है। वहीं, लालू प्रसाद यादव के सूरज यादव विधानसभा में खामोश हैं। बाद में उन्होंने बेहद सधे हुए अंदाज में निकु कुमार का बचाव किया। उन्होंने कहा, ‘शराबबंदी का शपथ तो बीजेपी के नेताओं ने भी ली थी। शराबबंदी के फैसले के बाद बीजेपी सरकार भी शामिल थी। उनके नशे में भी जहरीली शराब से मरने की घटनाएं होती थीं, लेकिन तब बीबीसी ने ऐसा हुक क्यों नहीं किया। बीजेपी के मंत्री के घर से भी शराब बरामद हुई थी।’
तेजस्वी यादव को बीजेपी पर इलजाम लगाने का पूरा हक है। उनकी यह बात सही है कि जिस घड़ी में बिहार में शराबबंदी का फैसला हुआ था, उस वक्त काम करने वाला बैकबंकर कुमार के साथ सरकार में शामिल था। लेकिन यह भी सही है कि जब पहले बिहार में जहरीली शराब पीकर लोगों की जान गई थी, उस वक्त तेज यादव और उनके पार्टी के नेताओं ने भी बटन दबा दिया था। 2 साल पहले नंबवर 2020 की बात है। उस समय तेजस्वी यादव के नेता थे और बीजेपी सरकार में था। उस ज़बरदस्त कुमार ने कठोर को इसी तरह डांटा था। उन्होंने कहा, ‘दोस्त का लड़का है इसलिए सुनता रहता हूं, लेकिन अब बहुत हो गया।’
जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत निश्चित रूप से चिंता की बात है। ये सरकार और प्रशासन की नाकामी है। पिछले एक साल में बिहार में जहरीली शराब पीने से करीब 100 लोगों की मौत हो गई है। पिछले साल अगस्त में सारण जिले में जहरीली शराब से 9 लोगों की मौत हुई थी और 17 लोगों की आंखों पर रोशनी डाली गई थी। इसी साल 21 मार्च को भागलपुर, बांका और मधेपुरा में पकना शराब पीने से 37 लोगों की जान चली गई थी। पिछले साल 5 नंबवर को मुजफ्फरपुर और गोपालगंज में 24 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने की वजह से हुई थी। ये तो वे मामले हैं रविवार रिपोर्ट हुई, जो चर्चा में आ गए। ऐसे न जाने कितने मामले होंगे जिनके बारे में पीड़ित परिवार शराबबंदी कानून के तहत कार्रवाई के डर से अपनों की मौत की सूचना भी नहीं देंगे।
चूंकि इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं, इसलिए निकु कुमार के फैसले पर सवाल उठाना कोई गलत बात नहीं है। जब निवर्तमान ने शराबबंदी का फैसला किया था, उस वक्त राजद ने अपना विरोध जताया था। तेजस्वी यादव शराबबंदी का विरोध करते हुए कह रहे थे, ‘बिहार में शराबबंदी है, लेकिन शराब की घर में नाराजगी हो रही है। घर-घर शबाब मिल रहा है। शराबबंदी कानून भ्रष्ट पुलिस जांच के लिए भ्रष्टाचार का जरिया बन गया है।’
हालांकि निवर्तमान कुमार शराबबंदी के मुद्दे पर अडिग हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा, शराबबंदी मेरी व्यक्तिगत इच्छा से लागू नहीं की गई, बल्कि राज्य की महिलाओं के अनुरोध पर इसे लागू किया गया। पिछली बार जब जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई थी, तो कुछ लोगों ने कहा था कि अजनबियों को देखा जाना चाहिए। अगर कोई जहरीली शराब पीएगा तो वह मरेगा ही। इसकी मिसाल हम सबके सामने है। ऐसी आदत पर शोक किया जाना चाहिए और पकना शराब के बारे में जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। लोगों को इसके बारे में समझाना होगा।’
निवर्तमान कुमार ने गुरुवार को कहा कि अधिकारियों ने अवैध शराब की बिक्री में गरीब लोगों को शामिल करने का निर्देश दिया है। निवर्तमान ने कहा, ‘अवैध शराब बनाने वाले और शराब का कारोबार करने वाले लोगों को पकड़ा जाएगा।’
लेकिन खुद निवर्तमान कुमार के साथियों की राय अलग है। राजद नेता और पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने मांग की कि शराबबंदी कानून वापस ले लिया जाए और लोगों में जागरूकता फैलाने पर जोर दिया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार ही अवैध शराब के व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं, और शराबबंदी कानून के उल्लंघन के मामले बढ़ने के कारण अदालत पर भी दबाव बढ़ रहा है।
न्यूट्रीक कुमार के सियासी विरोधी और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ‘ऐसा करता है कि निकुंक किसी तनाव में हैं, हताशा में हैं। अब यह हताशा राजनीतिक मजबूरियों की है, या फिर नए सिरे से अध्यक्ष के अध्यक्ष, यह कहना मुश्किल है।’
पिछले कुछ दिनों से कमजोर कुमार बार-बार कह रहे हैं कि अब तेज यादव को ही सारा काम करना है, बिहार की सरकार को संभालना है। निवर्तमान पार्टी में तो यहां तक चर्चा है कि वह जदयू का राजद में विलय कर सकते हैं। जाहिर सी बात है कि इस सुगबुगाहट से नौकरों की पार्टी के कई नेता परेशान हैं। उनमें से सबसे बड़े नाम उपेंद्र कुशवाहा हैं, जो निवर्तमान की तरह कुर्मी समुदाय के नेता हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने बुधवार को कहा, ‘किसी ने आधिकारिक रूप से (विली के बारे में) कुछ नहीं कहा है, न ही हमारी पार्टी की तस्वीर पर कोई चर्चा हुई है, लेकिन अगर कोई जदयू का राजद में विलय करना चाहता है तो यह एक आत्मघाती है कदम होगा।’
उपेंद्र कुशवाहा सक्रिय कुमार के पुराने साथी हैं, लेकिन कुछ साल पहले दोनों के रास्ते अलग हो गए थे। उन्होंने अपनी राष्ट्रीय जनता समता पार्टी बनाई और एनडीए के साथ चले गए। वे मोदी की पहली सरकार में मंत्री बने और जब मोदी की दूसरी सरकार में मंत्री नहीं बने तो NDA छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जदयू में विलय कर दिया, और शून्य से उन्हें जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। उपेंद्र भी कुरमी समाज में आते हैं और उन्हें लगता है कि भर्ती के बाद उनका भी वही परिणाम होगा। लेकिन अब अचानक से मजबूती को आगे बढ़ाने वाले हैं, जदयू को राजद में सहज करने की बात हो रही है। इसके चलते उपेंद्र कुशवाहा को अपनी सियासी मुस्तकबिल की चिंता सता रही है।
बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने दावा किया कि राजद और जदयू का विलय तैयार है क्योंकि सत्ता में आने के लिए लालू यादव ने यही शर्त रखी थी। उन्होंने बिजली से पहले ही कहा था कि बिहार को स्थायी करने के लिए वह राष्ट्रीय राजनीति में जाते हैं। सुशील मोदी ने कहा, ‘अब जदयू के नेताओं को अपना भविष्य खुद देखना होगा।’ आने वाले दिनों में जदयू के अंदर विद्रोह की स्थिति पैदा हो रही है। जदयू के अंदर खलबली मची हुई है, लोग नहीं चाहते कि उनका विलय हो जाए। वे नहीं चाहते कि टिकाऊ के नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ें। इसलिए आने वाले कुछ महीनों के भीतर बिहार की राजनीति में कई भूचाल आने वाले हैं।’
सुशील मोदी की ही बात को बीजेपी के एक अन्य नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने आगे सीक्वेंस। उन्होंने कहा, ‘नीतीश ने 2025 तक अपनी गद्दी सुरक्षित कर ली है। अब जदयू के दूसरे नेता देखें कि उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। अब राजद जदयू को ठग रहा है या जदयू राजद को, यह पता नहीं चल रहा है। लेकिन मैं जदयू के लोगों से जुड़ा हूं कि 2025 का उनका भविष्य पांव में है, वे उनकी चिंता शुरू कर दें।’
राजद के नेता शिवानंद तिवारी ने कहा, ‘नीतीश कुमार 2005 से ही बिहार के पेज हैं। अब अगर वह तेज को गद्दी निर्देशित करने की बात कर रहे हैं, तो इसमें क्या गलत है? तेज यादव खुद को साबित कर चुके हैं, इसलिए वह मुख्यमंत्री के अध्यक्ष के स्वभाव के अनुरूप हैं।’
यह सही है कि लोगों ने परमाणु कुमार को पहली बार इस तरह से त्रुटि में कांपते हुए देखा। उन्होंने अपना संयम क्यों खोया, यह समझने की जरूरत है। इसकी दो वजहें हैं।
सबसे पहले, बिहार में 6 साल पहले निकुंक कुमार ने शराबबंदी का कानून तो बना दिया, पर जमीन पर लागू नहीं करवा पाए। बिहार में आज भी आसानी से शराब मिल जाती है, बस पास में पैसे होने चाहिए। चूंकि गरीब लोग ज्यादा कीमत की शराब खरीद नहीं सकते, इसलिए वे खाते, जहरीली शराब पीते और पीते हैं। पहले राजद ने कहा था कि शराबबंदी लागू नहीं कर सकते तो कानून वापस ले लेता है, अब वही बात बीजेपी कह रही है। पहले वे बीजेपी पर अटके हुए थे, अब उनकी सरकार राजद के आंकड़े चल रहे हैं। और इस तरह निरंकुश दोनों तरफ से फंस जाते हैं।
दूसरा, निकुंक भी निराश हैं क्योंकि वह जानते हैं कि अब आधे दिनों में उनकी कुरसी जा सकती है। उन्हें तेजस्वी यादव बना ही रहे हैं। नौकरीपेशा कुमार मजबूर हैं। न तो वह शिकायत से नाराजगी जता सकते हैं, और न ही अपनी कुरसी को बचा सकते हैं। वे राष्ट्रीय स्तर की राजनीति का सहारा लेने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह घुल भी गए। विरोधी दलों में प्रधान मंत्री पद के दावों का फेहरिस्ट बहुत लंबा है, और इसमें न्यून कुमार का नाम काफी नीचे है। अब निंरपरक तो कहां जाएं। वह पिछले 17 साल से बिहार के नंबर हैं।
निकु कुमार सियासत के पेशेवर खिलाड़ी हैं और वह हर बार पलटकर अपनी कुरसी को बचाते हैं। लेकिन अब पलटी मारने का सारा स्टॉक खत्म हो गया है। अब पाला बदलने की कोई धारणा नहीं बची, ऐसे में क्रोध आना, आप स्वभाव से हारे हुए हैं।
मैं नीकु कुमार पिछले कई दशकों से जानता हूं। वह व्यवहार में शालीनता रखने वाले, मुस्कुराकर अपनी बात कहने वाले नेता हैं। मैंने उन्हें कभी एरर में नहीं देखा। लेकिन ऐसा लगता है कि शास्त्रीय लोगों ने उन्हें बहुत परेशान किया है। जिस बीजेपी से उन्हें दुख हुआ था, वह एक के बाद एक चुनाव जीत रही हैं। जिन नरेंद्र मोदी के साथ परमाणु कुमार ने छोड़ दिया, वह 2024 की रेस में सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। गुजरात में मोदी की ऐतिहासिक जीत शून्य कुमार को यकीन काफी चुभती होगा। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बातरजत शर्मा के साथ’ 14 दिसंबर, 2022 का पूरा एपिसोड



- लेटेस्ट न्यूज़ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- विडियो ख़बरें देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
- डार्क सीक्रेट्स की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- UNA विश्लेषण की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें