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रजत शर्मा का ब्लॉग | बिहार शराब त्रासदी का कड़वा सच: जीवाणु की नाकामी पर्दा डालने के लिए शामिल हो रहे हैं

रजत शर्मा ब्लॉग, बिहार जहर त्रासदी पर रजत शर्मा ब्लॉग- इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: इंडिया टीवी
इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा

बिहार की ज़हरीली शराब त्रासदी में मंगलवार को मरने वालों की संख्या 75 तक पहुंच गई। रविवार और सोमवार को अवैध शराब जबर्दस्त करने के लिए पटना, दानापुर, सारण और मुजफ्फरपुर में ऑपरेशन क्लीन ड्राइव के तहत भाग लिया। पश्चिमी चंपारण की धानगर टोली में स्थानीय शराब माफिया के लिए काम करने वाली महिलाओं सहित कई लोगों ने आबकारी विभाग की टीम पर हमला कर दो लोगों को घायल कर दिया।

विशेष जांच दल ने सारण जिले के इसुआपुर से स्थानीय शराब व्यवसायी अखिलेश राय अरे यादव को गिरफ्तार कर लिया, उसके बताए ठिकानों से 2.17 लाख रुपये बरामद किए। अकेले सारण जिले से ही शराब कारोबार से जुड़े 28 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ज़हरीली शराब पीने से 31 लोगों की आंखों से रोशनी चली गई है।

इंडिया टीवी पर सोमवार रात प्रसारित प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया है कि कैसे पुलिस ने देसी शराब की भट्टियों की तलाश के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया। राजविंदर सिंह भट्टी ने बिहार पुलिस की पोल का काम संभाला है और वह शराब माफिया के खिलाफ जारी अभियान की निगरानी कर रहे हैं। पहली बार पुलिस शराब की भट्टियों का पता लगाने के लिए गंगा नदी के बीच में बने टापुओं (दियारा) के जंगल में घुस गई। पुलिस मो नदी पार करती है और शराब के भट्टियों तक पहुँचने के लिए नावों का इस्तेमाल करती है। वैसे आम तौर पर यहां पुलिस के दिन के समय भी जाने से डरती थी। पुलिस ने कई भट्टियों को नष्ट कर दिया, लेकिन शराब माफिया नौकरशाह होने में सफल रहे। क्यों? क्या किसी ने उन्हें पहले से जानकारी दी थी?

इंडिया टीवी के रिपोर्टर परमाणु चंद्र और पवन नारा पुलिस की साझेदारी के साथ नदी के बीचों बीच बने दियारा के जंगल वाले इलाके में गए। जितनी मात्रा में शराब ज़ब्त की गई, वो इस सरकारी दावो को खारिज करने के लिए पर्याप्त है कि पिछले छह साल से राज्य में शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू किया जा रहा था। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि पिछले एक हफ्ते में जहरीली शराब से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, लेकिन सरकारी आंकड़ों की सुई 38 पर अटकी है।

बिहार पुलिस को पता था कि गंगा नदी के विशाल इलाके में बने टापुओं में अवैध शराब बन रही थी। ड्रोन तकनीक का उपयोग करते हुए, आपस में मारपीट करने वाली टीम पूर्वा और सपरा के बीच एक जगह कैचमेंट एरिया में कम से कम 3.5 किलोमीटर के अंदर गई और जहरीली शराब बनाने का निशान लगाया। तब वहां भी एक शराब तस्कर मौजूद नहीं था। अवैध शराब से अवैध ड्रम और जाह्न ज़ब्त किए गए। ऑल डेडिकेशन की एक्शन की वीडियोग्राफी की गई। चूँकि 20 हज़ार अवैध ज़हरीली शराब ज़ब्त की गई थी और इसे नावों से ले जाना मुश्किल था इसलिए बरामद की गई शराब को पुलिस ने नदी में बहा दिया। पुलिस ने खाली ड्रम और शराब बनाने के दूसरे साजोसामान में आग लगा दी।

पुलिस ने पूर्व के मनेर में भी रामपुर सोन नदी के टापू पर अवैध शराब के बड़े स्रोत को नष्ट कर दिया। यहां हजारों जहरीली शराब के ड्रम और पॉलीथिन की थैलियों को छिपाकर रखा गया था, जबकि सैकड़ों जहरीली शराब के अंदर छिपी हुई थी। पुलिस मनेर में जहरीली शराब बनाने के धंधे में 6 लोगों को ही गिरफ्तार कर सकते हैं।

दानापुर के एक घनी आबादी वाले मोहल्ले में दीघा एम्स फ्लाईओवर के पास पुलिस ने जमीन के नीचे गढ्ढा खोदकर महुआ, जवा और गुड़ से भरे ड्रम, खुली और पॉलीथीन बैग को ज़ब्त कर लिया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दो दिन पहले भी इसी तरह की हरकत की गई थी, उस वक्त सारा सामान ज़ब्त हो गया था लेकिन सिर्फ 48 घंटे के अंदर जहरीली शराब बनाना फिर से शुरू कर दिया गया। मुजफ्फरपुर में पुलिस ने रामनगर चौक के पास से अचल वैन से 960 लीटर विदेशी शराब के 112 कार्टन ज़ब्त किए।

निओन्ट्रिक सरकार दावा कर सकती है कि इस तरह के संबंध में शराब माफिया को जड़ से खत्म करने के अपने दृष्टिकोण के सबूत हैं, लेकिन मुझे लगता है कि ये सिर्फ दिखावटी हैं।

इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने सोमवार को सक्रिय चंद्र को पुलिस की निगरानी में रखा और उन्होंने वीडियो भेजा, जिससे साफ पता चला कि उस क्षेत्र में शराब माफिया का पूरा राज था। अतिसंवेदनशील भी वहां जाने से थे। कुछ दिनों पहले गंगा नदी के दियारा पर रेत माफिया के दो गुटों के बीच फायरिंग हुई थी। पांच लोगों की मौत हो गई, लेकिन पुलिस नदी के किनारे पेय पीते हुए रही। हत्यारे बेखौफ भाग निकले और काफी देर बाद पुलिस ने शवों को उठाने का हंगामा किया।

यह पिछले 6 साल से एक खुला राज है कि पुलिस ने जहां सोमवार को मामला दर्ज किया था, वहां अवैध शराब का कारोबार काफी समय से चल रहा था। शराब माफिया पिछले 6 वर्षों से खुले में सभी उपकरणों का उपयोग कर बेखौफफ भट्टियों में अवैध शराब बना रहा था। बिहार पुलिस के पास कार्रवाई के लिए ड्रोन, नाव और पर्याप्त स्टाफ था। शराबबंदी कानून हाल ही में नहीं बना था। ज़हरीली शराब से लोग पहली बार मर नहीं रहे थे। नोकरी कुमार ने शराब के कारोबार को जड़ से खत्म करने का संकल्प पहली बार नहीं लिया है। लेकिन जब एक साथ छेड़खानी हो गई, तो नेशनल मीडिया ने झूठ की लाशें दिखाना शुरू कर दिया, आरोप लगाया कि सरकार को घसीटा और नकारात्मक कुमार के ‘सुशासन’ की छवि का परदाफाश हुआ तो पुलिस ने अपनी राइफलें, ड्रोन और नाव चला लीं व शराब की भट्टियों को नष्ट करने पहुंच गए।

अगर यही कार्रवाई पुलिस ने सालों पहले की होती तो आज सैकड़ों परिवार अपनों के लिए न रोते। इतनी सारी चिताएं न जलतीं। सैकड़ों बच्चे अनाम न होते हैं। बिहार के मंत्री सुनील कुमार अपने दावों पर अभी भी कायम हैं कि ज़हरीली शराब से केवल 38 लोगों की मौत हो रही है। मंत्री ने मीडिया पर “मामले को बढ़ाया-चढ़ाकर पेश करने” का आरोप लगाया। उन्होंने बिहार की तुलना में अन्य राज्यों में अवैध शराब से संबंधित मामलों के मामले में मामले दर्ज किए, लेकिन उनके अपने सहयोगी दल कांग्रेस ने अपने आंकड़ों को सच नहीं बताया।

कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने कहा, अवैध शराब के सेवन से 100 से ज्यादा लोगों की मौत होने का अंदेशा है। राजद के विधायक केदारनाथ सिंह ने कहा कि मंत्री का दावा गलत है। उन्होंने कहा, अकेले सपारा में जहरीली शराब से अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ट्रिगर ने मांग की है कि सरकार को कंपकंपी शराब से होने वाली मौत के बारे में सही तथ्य और आंकड़े सामने आने चाहिए। सरकार का समर्थन करने वाले भाकपा (माले) ने सोमवार को जहरीली शराब से हुई मौत को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

मौत को लेकर हो-हल्ला मचाने के बावजूद निर्दोष कुमार लगातार यह कह रहे हैं कि जहरीली शराब से मौत कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा, ऐसा हर जगह होता है और बिहार को बेइज्जत किया जा रहा है। सर यही बात पर अछूते हैं कि उनकी सरकार संबद्धता के रिश्ते को कोई नहीं देगा। लेकिन अब जब मामला गंभीर हो गया है तो राजद, जेडीयू, कांग्रेस और वामपंथी विधायक भी अज्ञानी की मांग कर रहे हैं।

भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, कमजोर कुमार कमजोर तर्क दे रहे हैं और शराबबंदी के मुद्दों पर लोगों को सख्त करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने मजाकिया लहज़े में कहा, “सरकार की नाक के नीचे जहरीली शराब और बड़े पैमाने पर जा रही है। यह उनकी सरकार की विफलता का जीता जागता सबूत है। थाना पुलिस सब बंद कर दे। जो अपराध करेगा, सो खुद जेल चलेगा।”

ग्राहिराज सिंह की बात सही है। निकु कुमार अपनी स्पष्ट-सुथरी छवि को बचाने के लिए गलत तर्क दे रहे हैं, झूठ बोल रहे हैं। अगर निट्रिक कुमार कहते हैं, “जो पीएगा वो मरेगा” तो सवाल ये है कि जो पिलाएगा वो क्या वो मौज करेगा। जहरीली शराब पीने वालों की जान चली गई, उनके बच्चे अनाथ हो गए और उनकी पत्नियां विधवा हो गईं। वो सरकार तो की बरुखी, दोषी, भ्रष्टाचार और माफिया के साथ मिलीभगत की सजा काट रही है। इन अजनबियों को क्यों नहीं दिया जाना चाहिए? ये पीड़ित शराब नहीं पीते थे। उन्होंने कोई पाप नहीं किया है। 2016 में जब गोपालगंज में जहरीली शराब के सेवन से लोगों की मौत हुई थी, तब कुमार की सरकार ने मृत के परिजनों को 4-4 लाख रुपये दिए थे। क्या गोपालगंज और छपरा के लोगों के लिए मुआवजे के नियम अलग हैं?

कड़वा सच यह है कि सक्रिय कुमार सरकार अपनी नाकामी छिपाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। मरने वाले 75 लोगों की सूची में उनके नाम और विवरण हैं, लेकिन उनकी सरकार 38 मौतों के आंकड़े पर अटकी हुई है। परिजनों पर बिना खींचे शवों का अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया जा रहा है। सरकार संवेदना जताने के बजाय मृत के परिजनों का मजाक बना रही है। सरकार को समर्थन देने वाले मतदाता भी चिंतित हैं, लेकिन नौकर के चेहरे पर कायम है। त्रासदी के समय बिहार की जनता इस तरह की हंसी नहीं देगी। लोग फ्रैंक सवाल कर रहे हैं कि क्या यही निकु कुमार का ‘सुशासन’ है? (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बातरजत शर्मा के साथ’ 19 दिसंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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