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रजत शर्मा ब्लॉग: रामचरितमानस के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए बिहार के मंत्री बर्खास्त | रामचरितमानस पर अभद्र टिप्पणी करने वाले मंत्री को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए

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इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रामचरितमानस द्वारा की गई एक टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू साधु-संत सरकार से उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं।

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बयान दिया था कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस ‘समाज में घृणा फैलाता है’ और याचिकाओं के खिलाफ भेदभाव करता है। राजद से ताल्लुक रखने वाले चंद्रशेखर ने जोखिम से इनकार किया है।

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह को संदेश देते हुए शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा, ‘आज से करीब 700 साल पहले 15-16वीं सदी में रामचरितमानस लिखा। तुलसीदास जी ने लिखा रामचरितमानस। उन्होंने उत्तर कांड में लिखा है, पूजिए विप्र शील गुण हीना, पूजिए न शूद्र ज्ञान प्रवीणा।’ अगर यह विचारधारा अधूरी है तो भारत को ताकतवर बनाने का सपना पूरा नहीं हो सकता। इसका मतलब यह है कि ज्ञान से प्रवीण बाबा भीमराव अंबेडकर भी पूजनीय नहीं हैं। ऐसी शिक्षा समाज में द्वेष बोती है। उसी उत्तरकांड में लिखा है, ‘जे बरनाधम ऑयली कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा। बरन में अधम कौन-कौन लोग हैं? तेली, कुम्हार, लेखक, कोल, कलवार, जाली और जाली आदि आययां। उसी में आगे लिखा है कि अधम जाति में विद्या मिले, भयहुं यथा अहि दूध पिलाए। यानी कि अधम जाति के लोग विद्या पाकर जुड़ जाते हैं, जैसे कि दूध पीने के बाद सांप हो जाता है। अगर ये शास्त्र हमारे सामने हों, जो द्वेष को इस तरह से बोते हों, तो मैं मार्कर हूं कि द्वेष का माहौल स्थिति भारत को ताकतवर नहीं बना सकता।’

बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने बिहार के शिक्षा मंत्री को ‘अज्ञानी’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘रामचरितमानस में ऐसी चीजें कहीं नहीं लिखी जाती हैं। रामचरितमानस का कहना है कि हिंदुत्व जीवन आजीविका की कार्यप्रणाली है।’

पूर्व केंद्रीय कानून रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘यह कैसे अशिक्षित शिक्षा मंत्री हैं, जो भगवान राम की कहानी संभव नहीं है। वह हिंदू भावनाओं की अनदेखी कर रहे हैं। या तो वह जोक मांगें या लगातार कुम्हारें उन्हें बर्खास्त कर दें। भगवान राम की कहानी को सभी व्यूअर्स है। ये नेता कुछ नहीं जानते, बस भाषण देते हैं। निवर्तमान कुमार के मंत्री ने रामचरितमानस का अपमान करके देश का अपमान किया है।’

राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘चंद्रशेखर को रामचरितमानस की दूसरी चौपाइयों को भी पढ़ना चाहिए। भगवान राम ने तो जाति के लोगों को गले लगाया, सभी लोगों की धारणाओं को बदला। हमारी सभी पार्टी धर्मग्रंथों का सम्मान करती है। चंद्रशेखर जो कह रहे हैं, उनकी सोच हो सकती है, लेकिन यह हमारी पार्टी की सोच नहीं है।

चिराग पासवान खुद पर्लिटिक्स हैं, लेकिन उन्हें भी बिहार के शिक्षा मंत्री की बात बुरी लगी। चिराग पासवान ने कहा, ‘भगवान राम भारत के आदर्श हैं, देश की आत्मा हैं। रामचरितमानस को घर-घर में पूजा जाता है। इस तरह की पवित्र किताब के बारे में इस तरह की रोशनी की बात शोभा नहीं करती। ये सबके पीछे ताले हैं, क्योंकि वह समाज में बंटवारा करके ही अपनी कुरसी धोए हैं।’

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने बीच की लाइन ली। उन्होंने शिक्षा मंत्री के बयानों को गलत बताया, लेकिन उन्हें पद से हटाकर भूख पर खामोश हो गए। अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, ‘भगवान राम की, रामायण की, रामचरितमानस की आलोचना कोई नहीं छोड़ेगा। शिक्षा मंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह की बात नहीं कहनी चाहिए। उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शिक्षा मंत्री को अपने पद से हटाने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार ने वोट के चक्कर में हिंदुओं के सम्मान की शर्तें रखी हैं, और इसे अपने मंत्री के माध्यम से करवा रहे हैं। चंद्रशेखर का बयान इसका सबूत है। बिहार की जनता इस अपमान के लिए बर्खास्त नहीं होगी।’

नौकर शून्य कुमार ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके मंत्री ने वास्तव में क्या कहा। श्री राम जन्मभूमि मंदिर के उच्च पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, ‘जो बात चंद्रशेखर ने कही है, वैसी बात कोई अज्ञानी ही कह सकता है। ऐसे अज्ञानी को कम से कम शिक्षा मंत्री के पद पर रहने का कोई हक नहीं है। मंत्री या तो मांगें या सरकार उन्हें निराश करें।’

अपनी राम कथा के माध्यम से पूरी दुनिया में रामचरितमानस की व्याख्या कर रहे कवि विश्वास ने कहा, ‘चंद्रशेखर एक अशिक्षित शिक्षा मंत्री हैं। जिसके मानस में जहर हो, वह रामचरितमानस के बारे में ऐसा ही बोलेगा।’ कुमार विश्वास ने कहा कि क्या बिहार के शिक्षा मंत्री किसी दूसरे मजहब के धार्मिक ग्रंथों के बारे में इस तरह की बात कहने की हिम्मत बढ़ा सकते हैं।

वैसे रामचरितमानस में एक चौपाई है, ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरतें तिन तैसी’, यानी जिसकी जैसी भावना होगी, उसे प्रभु की वैसी छवि दिखेगी। मैं रामचरितमानस का बहुत बड़ा ज्ञाता नहीं हूं, लेकिन इसे एक महान ग्रंथ बना रहा हूं। मानस के बारे में थोड़ा बहुत मैं जानता हूं। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने जिन चौपाईयों का हवाला दिया, वे सभी उत्तरकांड की हैं। दावा किया जाता है कि उत्तरकांड, गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस का हिस्सा नहीं था। इसे शायद बाद में जोड़ा गया।

अगर इसे रामचरितमानस का हिस्सा मान लिया जाए तो भी मैं लंबित कि चंद्रशेखर यादव जिस चौपाई का हवाला देकर मानस को गुस्सा फैलाने वाला ग्रन्थ बताते हैं, इसमें शामिल है कि ‘पूजहिं विप्र सकल गुण हीना। शूद्र न पूजहुं वेद प्रवीणा।’ इसमें बिहार के शिक्षा मंत्री ‘विप्र’ को ब्राह्मण और ‘शूद्र’ की व्याख्या पिछडे, पत्रिका और आदिवासियों की तरह कर रहे हैं। लेकिन रामायण में विप्र का मतलब ब्राह्मण नहीं है, बल्कि यहां इसका मतलब सदाचारी और शूद्र का मतलब दुराचारी है। सुंदरकांड में हनुमान जी के लिए ‘विप्र’ शब्द का प्रयोग हुआ है और रावण को ‘शूद्र’ कहा गया है।

इस चौपाई का मतलब है जो सदाचारी है चाहे वह गुणहीन हो, कमजोर हो, उसका सम्मान होना चाहिए और अनाचारी है वह कितना भी बड़ा विद्वान हो, बलवान हो, उसका सम्मान नहीं होना चाहिए। रावण प्रकांड पंडित था, वेदों का ज्ञाता था, शिवभक्त था, लेकिन अनाचारी था। इसलिए उसकी पूजा नहीं होती। हालांकि इस तरह की बातें चंद्रशेखर जैसे लोगों को समझ नहीं आतीं, न वे आएंगी क्योंकि उनका मस्कद समाज को शेयरना है।

बिहार में पहले ही न्यू कुमार जातिगत अनुपातों पर ध्यान दें, प्रावधानों का सर्वे करें। बाकी बचे काम उनके मंत्री इस तरह के बयान दे रहे हैं। कुमार विश्वास ने सही कहा है कि बिहार के ‘अशिक्षित’ शिक्षा मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बातरजत शर्मा के साथ’ 12 जनवरी, 2022 का पूरा एपिसोड

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