2024 के चुनाव से पहले देश के दो प्रमुख सियासी दल बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी-अपनी ताकत दिखाई शुरू कर दी है। कभी रोड शो तो कभी रणनीतिक स्थिति की शुरुआत हो गई है। सोमवार को दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू हुई साथ ही पीएम मोदी ने छोटा सा रोड शो भी किया। आदित्य, पंजाब में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जारी है। बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अगले लदान साल में होने वाले सभी चुनावों को जीतने का लक्ष्य रखा। उन्होंने कहा कि 2023 पार्टी के लिए अहम साल है क्योंकि 9 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में करीब साढ़े तीन सौ सदस्य होते हैं। इनमें से 50 स्थायी आमंत्रण सदस्य और 179 विशेष आमंत्रण सदस्य हैं। विशेष आमंत्रण सदस्यों में 35 केंद्रीय मंत्री, 12 उम्मीदवार, विभिन्न राज्यों में पार्टी के संबंधित नेता, प्रदेश अध्यक्ष और सभी पूर्व सदस्य शामिल हैं।
भाजपा की रणनीति स्पष्ट है। उनके पास मजबूत नेता के रूप में नरेंद्र मोदी हैं और पार्टी मोदी के नाम पर वोट मांगेगी। चुनाव चाहे विधानसभा का हो या 16 दिन का, फोटो नरेंद्र मोदी ने ही लिया। मोदी की साफ-सुथरी छवि और लोगों तक प्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाने की क्षमता पर बीजेपी का फोकस होगा। मोदी की रणनीति स्पष्ट है कि जनता के पास जा रहा है। जनता से शिकायत है और जनता जो कमियां पूछती हैं उन्हें दुरूस्त करना है।
वहीं, कांग्रेस बीबीसी की रणनीति के विपरीत। कांग्रेस की रणनीति है नरेंद्र मोदी की छवि पर हमला। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के केंद्र में भी यही रणनीति है। कांग्रेस का दावा है कि राहुल की ‘भारत जोड़ने की यात्रा’ से बीजेपी डर गई है। इस यात्रा में लोगों की संख्या बढ़ने से बीजेपी नेतृत्व चिंतनशील है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राहुल गांधी की रणनीतिकार जयराम रमेश ने कहा कि मोदी का रोड शो एक घटना है वहीं राहुल की भारत जोड़ो यात्रा एक आंदोलन है।
राहुल की यात्रा को करीब चार महीने होने वाले हैं और वे कन्याकुमारी से पंजाब तक करीब 3200 किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। लेकिन न उनका बदला, न शैली का बदला, न डायलॉग बदले। कई बार उनका पूरा भाषण सुनने के बाद पता ही नहीं लगता कि इसमें नई बात क्या है ? और सिर्फ राहुल गांधी का यह हाल नहीं है, कांग्रेस पार्टी का भी यही हाल है। कांग्रेस का अगला अधिवेशन 24 से 26 फरवरी तक छत्तीसगढ़ के रायपुर में होगा।
कांग्रेस अभी भी पुराने परगमन तरीकों से चुनाव लड़ना चाहती है और जीतना चाहती है। कर्नाटक में अप्रैल में चुनाव हो रहे हैं। सोमवार को खूबसूरत गांधीनगर पहुंचें जहां उन्होंने महिलाओं की एक रैली को संदेश दिया। इस रैली का नाम कन्नड़ में रखा गया ‘नायिकी’, जिसका अर्थ है मैं एक महिला नेता हूं। इस रैली में इमरान गांधी ने ऐलान किया कि अगर कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी तो परिवार चलाने वाली हर महिला को हर महीने दो हजार रुपये दिए जाएंगे। कांग्रेस ने इस घाटे को गृह लक्ष्मी योजना का नाम दिया है। इससे पहले कांग्रेस ने सरकार बनने पर हर घर को 200 यूनिट बिजली मुक्त देने का वादा किया था। यूनीक ने कर्नाटक की बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी सरकार के मंत्री सरकारी प्रोजेक्ट 40-40 प्रतिशत कमीशन ले रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस शुरू से अंतर से चुनाव देखती थी लेकिन बाद में कांग्रेस टूट गई और अब कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है। विधानसभा में 224 विधायक कांग्रेस सदस्यों की संख्या 224 से घटकर 80 हो गई है। दल-बदल के कारण कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार गिरी और सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी अब सत्ता में है। गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद कर्नाटक एक ऐसा बड़ा राज्य है जहां कांग्रेस ही, बीजेपी के साथ सीधे प्रचार में हैं। कर्नाटक में कांग्रेस के पास नेता भी हैं और कार्यकर्ता भी हैं लेकिन पार्टी की अंदरुनी गुटबाजी कांग्रेस का खेल खराब है। सिद्धारमैया और डी. के. शिवकुमार का विवरण जगजाहिर है।
कांग्रेस हाईकमान अभी इन दोनों नेताओं के बीच सुलह पर आरोप लगा रही है। कर्नाटक जैसा ही दमदार राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच है। वहां भी पार्टी सुलह की कोशिशों में जुटी है। सेंटर में एक नेतृत्व क्षमता के अभाव में कांग्रेस के अंदर इस तरह का गुटबाजी एक अभिशाप की तरह है। वहीं बीजेपी का नेतृत्व ठीक इसके विपरीत है, जिसे हम सब देख रहे हैं।
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