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राजस्थान जानिए क्यों जाट नेता हनुमान बेनीवाल, हरीश चौधरी एक दूसरे के कट्टर विरोधी हैं ऐन | राजस्थान: हनुमान बेनीवाल, हरीश चौधरी

राजस्थान राजनीति: राजस्थान की राजनीति में जाट समाज का वोट बैंक का फैसला माना जाता है, लेकिन प्रदेश के 7 लोगों को करीब 50 विधानसभा क्षेत्रों पर खासा प्रभाव होने के बावजूद भी जाट समाज को ज्यादा महत्व नहीं मिलता है। वैसे तो जाट समाज के कई नेता हुए हैं लेकिन जाट समाज के नेतृत्व को लेकर अब दो जाट दिग्गज नेता अपने वर्ग के जंग जीतने के लिए एक-दूसरे को निशाने पर ले रहे हैं। कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी (हरीश चौधरी) व राष्ट्रीय डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद व सांसद हनुमान बेनीवाल (हनुमान बेनीवाल) के बीच जुबानी हमलों के चलते एक बार फिर सियासत गरमा गया है।

दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी क्यों हैं

कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने 2 दिन पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी के कमिशनर हनुमान बेनीवाल को निशाने पर लेते हुए कहा था कि यह पार्टी सीएम अशोक गहलोत का आभास कराती है। उसके बाद दोनों के बीच जुबानी जंग तेज हो चुंकी है। आर अपार हनुमान सांसद बेनिवाल लगातार बाड़मेर का दौरा करते हैं और वहां पर मंच से हमेशा हरेश चौधरी पर ध्यान साधते आते हैं। इस तरह बोलने के पीछे बाड़मेर जाट समाज के वोट बैंक में सेंध लगने का डर है। इससे पहले बायतु में सांसद हनुमान बेनीवाल पर ग्रीनश चौधरी के भाई सहित अन्य लोगों ने जानलेवा हमला किया था। उस मामले की 3 साल बाद स्थिति दर्ज की गई। ग्रीनश चौधरी जब राजस्थान सरकार के मंत्री थे। उस दौरान नागौर के भी प्रभार रहे ग्रीनश चौधरी ने कई जगह हनुमान बेनिवाल को घोटालों की कोशिश की और जाट समाज में अपना वर्चस्व बनाए रखने की कोशिस की थी।

आर उम्मीदवार नागौर सांसद हनुमान बेनिवाल जाट समाज सहित युवा काफी लोकप्रिय हैं। बेनीवाल ने ग्रीनश चौधरी को जवाब देते हुए यह भी कहा कि चौधरी दिल्ली वालों व ईडी से डर के अनर्गल बयान दे रहे हैं। हो सकता है कि हरीश चौधरी बीजेपी में जाने की तैयारी में हों। हनुमान बेनीवाल पर बायटू में जानलेवा हमला हुआ था। उस मामले को बेनीवाल संसद तक लेकर गए। बाद में उसकी राजस्थान पुलिस का मामला दर्ज हुआ। हनुमान बेनीवाल ने इतना कहा कि 2018 के चुनाव में हरीश चौधरी ने मेरे आगे हाथ-पांव जोड़े थे, जब मैं फॉर्म नहीं अपना तो ग्रीनश चौधरी हार जाता हूं। हनुमान बेनीवाल को लगातार बाड़मेर के दौरे पड़ रहे थे। उनका सीधा फायदा भाजपा के कैलाश चौधरी को मिला जो विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे। वहीं पिछले चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल कर सांसद बने थे।

राजस्थान के जाट बाहुल जिले-: बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, नागौर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, भरतपुर, चित्तौड़गढ़, चार, बाड़मेर, टोंक, सीकर, जोधपुर हैं। इन द्वीपों की विधानसभाओं में 50 से 60 सीट हैं। उस पर निर्णायक महत्व वाले जाट समाज एक मुश्ताक वोट करता है।

राजस्थान की राजनीति में हमेशा से ही जाट समाज का सबसे बड़ा महत्व है। वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में विगत जाट नेता परसराम मदेरणा के पीसीसी अध्यक्ष होने के नाते उनके रिश्तेदार सीएम का चेहरा मानकर जाट समाज ने कांग्रेस के पक्ष में जमकर वोटिंग की थी।

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