जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की शुरुआत गुरुवार (19 जनवरी) को कर्नाटक संगीत के मामले, सुषमा सोमा के सुमधुर स्वरों के साथ हुई। ओपनिंग सेरेमनी को आगे की ओर, फेस्टिवल के प्रोडूसर, संजॉय के। रॉय ने कहा कि आज से 16 साल पहले, जब डिग्गी पैलेस के दरबार हॉल में हमने इस सपने की शुरुआत की थी, तब यह भी नहीं सोचा था कि एक दिन यह महोत्सव दुनिया का सबसे बड़ा साहित्यकार शो बन जाएगा। उन्होंने कहा कि वास्तव में हम चाहते थे कि एक ऐसा माहौल तैयार किया जाए, जहां युवा और छात्र खुद साहित्य से बातचीत कर सकें।
उदघाटन अवसर पर वर्ष 2021 में, साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लेखक अब्दुलरजाक गुरनाह ने की नोट एड्रेस दिया। गुरनाह लेखन के साथ-साथ कैंट विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के भी प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा है कि लेखन सतत प्रकिया का नाम है। इस प्रक्रिया में आप उन विचारों और विश्वासों को सहज रखेंगे, जो आपके लिए महत्वपूर्ण और अनावश्यक हैं।
लोकप्रिय लेखिका ने साझा किया अनुभव
आज के समय में जब हर जगह मिथक और पुराण का उपयोग या यूँ कहे कि दुरूपयोग किया जा रहा है, तो ऐसे में उत्सव में ब्रह्म पुराण का होना बहुत ही जरूरी था। महाभारत, वाल्मीकि रामायण और विष्णु पुराण जैसे ग्रन्थों का अंग्रेजी अनुवाद करने वाले बिबेक देबरॉय ने पुराणों के संबंध में तथ्यात्मक विचार रखे। आयोग के नीति सदस्य बिबके देबरॉय वर्तमान में प्रधानमंत्री की नीति आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं। उन्होंने बताया कि अपने इतिहास की वास्तविक समझ के लिए सभी पुराणों को पढ़ना चाहिए। उत्सव का एक और सत्र, कथा संधि दो बड़े लेख और उनके बेमिसाल लेखन के नामकरण। लोकप्रिय लेखिका अनामिका और अलका सरावगी ने अपने गहन अनुभव और आने वाली किताबों को किताबों से साझा किया।
लीगेसी ऑफ वायलेंस सत्र में कैरोलिन एल्किन्स और शशि थरूर ने ब्रिटिश साम्राज्य की हिंसा के इतिहास पर बात की। एल्किन्स की पुस्तक, लीगेसी ऑफ़ वायलेंस: हिस्ट्री ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर इन साउथ एशिया में ब्रिटिश शासन के बारे में विस्तार से लिखा गया है। सत्र के दौरान थरूर ने कहा कि हिंसात्मक सर्वेक्षण परियोजना का अहम हिस्सा रहा है। 19वीं सदी के दूसरे हिस्से में वो न्याय, सभ्यता की बात करने लगे थे, तो पहले उनका कोई सबका नहीं था।
फेस्टिवल डायरेक्टर और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका नमिता गोखले की बहु-चर्चित और बहु-प्रशंसित उपन्यास जयपुर जर्नल का हिंदी अनुवाद जयपुरनामा नाम से प्रकाशित हुआ। इसका विशिष्ट विद्वान पुष्पेश पंत और प्रसिद्ध अनुवादक और लेखक प्रभात रंजन ने किया। इस किताब को गोखले ने जेएलएफ ने लव लैटर लिखा था। अभिनेत्री दीप्ति नवल ने अपनी आने वाली किताब ए कंट्री कॉल्ड चाइल्डहुड पर बात कही। आत्मकथा होते हुए भी ये किताब उस देश की कहानी कहती है, जिसे दीप्ति ने अपना बचपन कहा है।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जब मैंने अपने बचपन के बारे में लिखना शुरू किया, तो मैं सिर्फ अपने बारे में नहीं, बल्कि उस समय के बारे में लिखना चाह रहा था, जो मैंने जिया था। इस किताब में वो कहानियां हैं, जिन्हें मैंने नहीं, बल्कि उन कहानियों ने मुझे गढ़ा है। इस किताब में विश्वयुद्ध, इंदिरा गांधी, 62 और 65 का युद्ध, विभाजन आदि का दौर दर्ज है। अंतर्राष्ट्रीय बुकर से सम्मानित कृति राइट समाधि की लेखिका गीतांजलि श्री और उनके अनुवादक डेजी रॉकवेल के नाम पर।
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