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राज कपूर बर्थ एनिवर्सरी: पाकिस्‍तानी सैनिकों की वो जलेबी, राज कपूर का बचपन और पेशावर की पुश्‍तैनी हवेली

तारीख थी 14 दिसंबर 1924, अंग्रेजी हुकूमत के पेशावर में कपूर हवेली के पेट में उस दिन किलकारी गूंजी थी। पृथ्वीराज कपूर और रामसरनी देवी को उनकी पहली संतान का सुख मिला था। छह भाई-बहनों में अपना इस सबसे बड़े औलाद का नाम तब सृष्टि नाथ कपूर रखा गया। यह गोरा और गोल मतोल बच्चेचा तब परिवार से लेकर आस-पड़ोस तक सबका दुलारा था। पिता पृथ्वीराज कपूर कडक मिजाज के थे। चाहते थे कि उनका यह बेटा अपनी किस्मत खुद लिखा। ऐसा भी हुआ। 24 साल की उम्र में सृष्टि नाथ कपूर ने फिल्म का निर्माण का काम हाथ में लिया और देखते ही देखते भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा शोमैन राज कपूर बन गया। तीन राष्ट्र भिन्न फ़िल्मों का पुरस्कार, 11 फ़िल्मों का सम्मान, पद्म भूषण से लेकर दादा साब फाल्के परस्‍कार तक राज कपूर ने हर वह सम्‍मान पाया, जो किसी भी सिनेमा के कलाकार के लिए एक सपना होता है। लेकिन राज कपूर के सपने की दुनिया पर्सन सदस्यों से कहीं आगे लाइट-कैमरा और एक्शन की वो दुनिया रही, जो आखिरी दम तक उनकी आंखों में फ्लैशिंग रही। लेकिन इन सब के बीच पाकिस्‍तान में कपूर हाउस का वह बेली भी था, जो हमेशा राज कपूर के करीब रहता था।

राज कपूर की फिल्मों में अपने समय से बहुत आगे जा रहे हैं। फिल्म में बनाना सिर्फ उनकी पेशा नहीं, प्यार था। भारतीय सिनेमा के इतिहास में वह ऐसे फिल्ममेकर हैं, जिंहोने फिल्म मेकिंग में सबसे ज्‍यादा प्रयोग किया। ‘आवारा’ से लेकर ‘बॉबी’ और ‘मेरा नाम जोकर’ से लेकर ‘राम तेरी गंगा मैली’ जैसी फिल्में उनकी इसी जुनून की कहानी कहती हैं। राज कपूर सिर्फ भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी काफी लोकप्रिय हैं। भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास तो हमेशा से रहे हैं, लेकिन राज कपूर कहीं न कहीं वो कड़ी थे, जिन्न ने दोनों मुल्कों के लोगों को हमेशा जोड़ने का काम किया।

पेशावर छोड़कर राज कपूर का परिवार मुंबई आ गया था

राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर खुद को पेशावर के ‘हिंदू पठान’ कहते थे। पेशावर के किस्सा खवानी इलाके में ही पृथ्वीराज कपूर से लेकर राज कपूर का बचपन बीता। राज कपूर का पुश्तैनी घर यानी ‘कपूर हवेली’ आज भी पेशावर की सबसे मशहूर इमारत है। इस तीन मंजिला हवेली का निर्माण राज कपूर के दादा दीवान बशेस्वरनाथ कपूर ने 1918-22 के दौरान किया था। राज तब कपूर 6 साल तक रहे, जब 1930 में कपूर परिवार मुंबई चला गया। इसके बाद कभी-कभी पेशावर हो जाता था। लेकिन 1947 में विभाजन के बाद यह शिलिश बंद हो गई।

कपूर

ब्लिट्ज से सूनी पड़ीं करोड़ों की हवेली की जरजर हालत

कपूर परिवार के मुंबई आने के बाद कपूर की हवेली सूनी पड़ गई। इस घर में 40 कमरे हैं। साल 1968 की एक नीलामी में चारसद्दा शहर के एक स्थानीय व्यक्ति ने सेटलमेंट क्लॉउज यानी बंदोबस्त खंड के तहत यह मकान खरीदा ली और फिर इसे पेशावर के ही एक शख्‍स को बेच दिया। लिपियों से बंद पड़ी इस हवेली की हालत जरजर हो चुकी है। स्थानापन्न, खैबर पख्तूनख्वा पाकिस्तान सरकार में आईएमजीसी वैश्विक मनोरंजन की मदद से इसे एक संग्रहालय बनाने की तैयारी में है। साल 2021 में पेशावर के उपायुक्त ने कपूर हवेली की कीमत 1.50 करोड़ रुपये थी। इस हवेली के मौजूदा मालिक, गुल रहमान मोहम्मद हैं, जिन्‍होंने म्यूजियम बनाने के लिए हवेली देने की बात तो मान ली, लेकिन इसके लिए सरकार से 2 करोड़ रुपये मांगे।

कपूर-हवेली

जब पाकिस्‍तानी सैनिकों को मिली राज कपूर की खबर

राज कपूर को जितना ज्यादा पाकिस्तान ने दिया, उतना ही पाकिस्‍तान ने भी। उनकी फिल्‍मों में पाकिस्‍तान में भी खूब देखी गईं। ‘बॉबी’ आज भी पाकिस्‍तान में सबसे ज्‍यादा दखल और कमाई करने वाली फिल्‍मों में है। वैसे तो ‘बॉबी’ की शूटिंग किस पाकिस्‍तान की भी है। राज तब कपूर फिल्म की शूटिंग से कश्मीर गए थे। ऐसी ही छाया हुई तो राज कपूर भारत-पाकिस्तान बोर्ड पर रहने वाले मजदूरों से मिलने पहुंचे। वायरलैस पर खबर आई तो भारतीय सैनिकों ने राज कपूर के लिए चाय-पकौड़ों का अख्तियार कर लिया। तभी सरहद पार हलचल हुई। पाकिस्तानी रेंजर्स के गाड़ियों का एक काफिला आया।

हवेली -1

सरहद पार से जलेबी लेकर आए थे पाकिस्‍तानी सैनिक

बताया जाता है कि राज कपूर वहां भारतीय सैनिकों के साथ चाय की चुस्कियां ले रहे थे। उसी वक्‍त पाकिस्तान से भरी एक ज्यादा जीप वहां पहुंचती है। पाकिस्तानी सैनिक राज कपूर से मिलने के लिए जी रहे हैं। वो सैनिक अपने शोमैन के लिए जलेबियां लेकर आए थे। कहते हैं कि सरहद पार का यह प्यार देखकर राज कपूर इमोशनल हो गए थे। बचपन में पेशावर की गलियाँ शायद ही सीहरन बनकर रगों में छपी थीं। कला का काम द्वेष भाईचारा नहीं, प्यार का संदेश देना है। राज कपूर में वो फोर्स थी।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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