
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। रायपुर भौतिकता की दौड़ में जहां अधिकतर लोग केवल अपने लिए सोचते हैं, वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के धरसीवां क्षेत्र में स्थित एक भोजनालय न सिर्फ भूखों की भूख मिटा रहा है, बल्कि देशभक्ति, सेवा और श्रद्धा की जीवंत मिसाल भी बन गया है। यह अनोखा भोजनालय है – ‘अमर जवान की कोठी’, जिसकी स्थापना की है सामाजिक कार्यकर्ता और गौसेवक हरिभाई जोशी ने।
पेट्रोल पंप से सेवा की शुरुआत
हरिभाई जोशी ने रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाईवे पर सांकरा और सिमगा के बीच स्थित धरसीवां में ‘अमर जवान पेट्रोल पंप’ की शुरुआत की, जो इंडियन ऑयल का अधिकृत केंद्र है। यहां पर आने वाले ग्राहकों को चाय, कॉफी, वाहन धुलाई और टायर में हवा भरने जैसी सेवाएं निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। लेकिन हरिभाई ने यहीं रुकने के बजाय इस सेवा को भोजन तक भी विस्तारित किया।
‘अमर जवान भोजनालय’: सेवा और श्रद्धा का संगम
इस पेट्रोल पंप के परिसर में बना ‘अमर जवान भोजनालय’ एक वीआईपी होटल जैसा सुसज्जित है, जिसकी हर दीवार पर देशभक्ति की भावना दिखाई देती है। इसका नाम उन सैनिकों की याद में रखा गया है, जो देश की रक्षा में अपना जीवन बलिदान कर अमर हो गए।
यहां आने वाले सैनिकों, पुलिसकर्मियों, साधु-संतों, जैन मुनियों और उनके साथ चलने वालों के लिए भोजन पूरी तरह निःशुल्क है। इतना ही नहीं, जरूरतमंद और असहाय व्यक्तियों को भी यहीं आत्मसम्मान के साथ भोजन दिया जाता है। आम लोगों के लिए मात्र 90 रुपये में भरपेट, लहसुन-प्याज रहित शुद्ध शाकाहारी भोजन उपलब्ध है।
14 जून की प्रेरणादायक घटना
हाल ही में 14 जून को चंद्रगिरी तीर्थ से बिहार की ओर प्रस्थान कर रही 25-30 जैन साध्वियों और उनके सहयोगियों ने यहां रुककर भोजन किया। जब उन्होंने भुगतान करने की कोशिश की, तो हरिभाई ने विनम्रता से मना करते हुए कहा –
“तपस्वियों से पैसे नहीं लिए जाते, ये हमारी सेवा है। सेवा में ही सच्चा धर्म है।”
गौसेवा, गुरुकुल और संकल्पित जीवन
हरिभाई जोशी केवल भोजनालय ही नहीं चलाते, बल्कि रायभाठा स्थित ‘मां बंजारी गौशाला’ और एक गुरुकुल भी संचालित करते हैं, जहां परंपरागत वैदिक शिक्षा दी जाती है। उन्होंने जीवन भर नंगे पैर रहने का संकल्प लिया है और आजीवन गौसेवा तथा जरूरतमंदों की सेवा को ही अपना धर्म माना है।
अमर जवान की भावना: “कोई भूखा न रहे”
हरिभाई का स्पष्ट उद्देश्य है कि देश के लिए बलिदान देने वालों को सम्मान मिले, और कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए। उनका मानना है कि सैनिक कभी मरते नहीं, वे अमर होते हैं। इसी आदर्श को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस सेवा केंद्र का नाम ‘अमर जवान की कोठी’ रखा है।
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