
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। बस्तर में नक्सलियों के बढ़ते दबाव और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे की घोषणा के बाद, नक्सलियों की ओर से एक बार फिर शांति वार्ता की पेशकश की गई है। नक्सली लीडर रूपेश ने हाल ही में जारी पत्र में युद्धविराम और संवाद की बात कही है, लेकिन इस पर छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने दो टूक शब्दों में सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया है।
गृह मंत्री ने कहा – बंदूक का जवाब बंदूक से, बात करनी है तो संविधान मानना होगा
गृह मंत्री विजय शर्मा ने प्रेसवार्ता में कहा,
“अगर नक्सली सच में शांति चाहते हैं, तो पहले बंदूक छोड़ें और मुख्यधारा में लौटें। लोकतंत्र में संवाद तभी संभव है जब आप भारत के संविधान को स्वीकारें। यह भारत है, चीन नहीं।”
उन्होंने कहा कि नक्सलियों ने जिन स्कूलों, अस्पतालों और विकास कार्यों का विरोध नहीं करने की बात की है, तो फिर आज तक दूरस्थ गांवों में ये सुविधाएं क्यों नहीं पहुंच पाईं? क्यों ग्रामीणों को खेती, टीवी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा?
शर्मा ने किया स्पष्ट – सरकार वार्ता के लिए तैयार, लेकिन शर्तें नहीं चलेंगी
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन किसी समिति या मध्यस्थ के नाम पर भ्रम पैदा नहीं किया जाए।
“हमने किसी वार्ता समिति का गठन नहीं किया है। जो बात करना चाहता है, मुझसे सीधे संपर्क करे। सरकार सुरक्षा भी देगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई नक्सली स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करता है, तो सरकार नई नीति के तहत उसे संरक्षण और पुनर्वास का अवसर देगी।
शर्मा का नक्सलियों से आह्वान – मुख्यधारा में लौटें, हथियार छोड़ें
विजय शर्मा ने कहा कि नक्सली अगर शांति वार्ता की ईमानदार पहल करना चाहते हैं, तो सबसे पहले हथियार डालें और संविधान के तहत समाधान तलाशें।
“बंदूक की भाषा अब नहीं चलेगी। अगर बात करनी है, तो लोकतंत्र की भाषा में करनी होगी।”
अमित शाह का लक्ष्य – 2026 तक नक्सलमुक्त भारत
गृह मंत्री ने अपने बयान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस संकल्प का भी ज़िक्र किया, जिसमें उन्होंने 2026 तक देश को नक्सलवाद मुक्त बनाने की बात कही थी। शर्मा ने कहा,
“अभी हमारे पास चार साल हैं। हम ‘VIR’ जैसे अभियान के तहत गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद कर रहे हैं और जनता को मुख्यधारा से जोड़ रहे हैं।”
पिछली बार भी आई थी वार्ता की पेशकश, लेकिन शर्तों के साथ
गौरतलब है कि इससे पहले भी नक्सलियों ने एक पर्चे में यह स्वीकार किया था कि 15 महीनों में उनके 400 से ज्यादा सदस्य मारे गए, और उन्होंने ऑपरेशन रोकने की शर्त पर वार्ता की इच्छा जताई थी। इस पर गृह मंत्री ने फिर दोहराया कि,
“हम बिना शर्त वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन सुरक्षा बलों के ऑपरेशन पर कोई समझौता नहीं होगा।”
यह मसला छत्तीसगढ़ की आंतरिक सुरक्षा, विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़ा हुआ है। सरकार का सख्त लेकिन बातचीत के लिए खुला रुख आने वाले समय में बस्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।



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