
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर । भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) के प्रदेश अध्यक्ष नीरज पांडेय ने आज रायपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाजपा सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के फैसले सीधे-सीधे छात्रों के भविष्य और उनके मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात हैं।
सरकार द्वारा “युक्तियुक्तकरण” के नाम पर प्रदेश के 10,000 से अधिक स्कूलों को बंद किया जा रहा है, जो विशेष रूप से गरीब, ग्रामीण, आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा तक पहुंच को सीमित करता है। यह न केवल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धाराओं 3, 4 और 6 का उल्लंघन है, बल्कि संविधान की धारा 21-A की भावना के भी विपरीत है, जो 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करता है।
नीरज पांडेय ने यह भी कहा कि सरकार एक ओर 57000 शिक्षकों की भर्ती का वादा करती है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों को बंद कर रही है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब स्कूल ही नहीं रहेंगे तो शिक्षक किसे और कहाँ पढ़ाएंगे? उन्होंने यह आरोप लगाया कि यह वादा मात्र एक चुनावी जुमला बनकर रह गया है। NSUI ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तुरंत शुरू किया जाए और यह प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होनी चाहिए।
विश्वविद्यालय के कुलपति एबीवीपी पदाधिकारियों के स्वागत में लगे हुए है
NSUI प्रदेश अध्यक्ष नीरज पांडेय ने IGKV कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल पर आरोप लगाया कि वे विश्वविद्यालय को शिक्षा केंद्र बनाने की बजाय RSS और ABVP का कार्यालय बना रहे हैं। पं. रविशंकर शुक्ल और महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति भी ABVP कार्यक्रमों में सक्रिय रहे, जो शिक्षा व्यवस्था के लिए चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि कुलपति शिक्षा के बजाय राजनीतिक एजेंडा चला रहे हैं, छात्रों को मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, और कर्मचारियों को वेतन के लिए धरना देना पड़ता है। NSUI ने राज्यपाल से ऐसे कुलपतियों को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की।
प्रदेश अध्यक्ष ने CGSET परीक्षा परिणाम में हो रही देरी को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि परीक्षा आयोजित हुए एक साल से अधिक हो गया है, लेकिन परिणाम अब तक घोषित नहीं हुए हैं। इससे हज़ारों छात्र मानसिक, शैक्षणिक और आर्थिक दबाव में हैं। NSUI ने यह मांग की है कि परिणाम अविलंब और पारदर्शी तरीके से जारी किए जाएं तथा इस देरी के कारणों की रिपोर्ट लोकसभा में प्रस्तुत की जाए।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों को बिजली विभाग द्वारा बिल भुगतान के नोटिस भेजे जा रहे हैं। फंडिंग की कमी के चलते छात्र भीषण गर्मी में बिना बिजली, पंखे और रोशनी के पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यह सरकार की शिक्षा व्यवस्था के प्रति असंवेदनशीलता और उपेक्षा को दर्शाता है।
NSUI ने सरकार से यह भी सवाल किया कि क्या स्कूल बंद करना बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है? क्या यह इस बात का प्रमाण नहीं है कि सरकार की प्राथमिकताओं में शिक्षा नहीं, बल्कि केवल प्रचार और आंकड़ों का खेल रह गया है?
NSUI ने अपनी माँगें स्पष्ट रूप से सामने रखी हैं – युक्तियुक्तकरण नीति को तत्काल वापस लिया जाए, 57000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए, CGSET परीक्षा परिणाम तुरंत घोषित किया जाए, सरकारी स्कूलों को समय पर बिजली, फंडिंग और मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जाएं, और शिक्षा के अधिकार कानून तथा संविधान का पूर्ण सम्मान किया जाए।
राष्ट्रीय प्रवक्ता संजीव शुक्ला ने अंत में कहा कि NSUI शिक्षा को एक अधिकार मानती है, कोई सौदा नहीं। हम छात्रों के भविष्य के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होने देंगे और इस अन्याय के खिलाफ हर मोर्चे पर संघर्ष जारी रखेंगे।
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राष्ट्रीय प्रवक्ता संजीव शुक्ला, प्रदेश उपाध्यक्ष अमित शर्मा, महामंत्री हेमंत पाल, मीडिया चेयरमैन संकल्प मिश्रा, पुनेशवर लहरे, अतीक मेमन, अंकित बंजारे उपस्थित हुए।
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