
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। “मैं सिर्फ 23 साल का हूं, पढ़ाई करता हूं, नौकरी करता हूं… लेकिन एक झूठे केस ने मेरा पूरा भविष्य अंधेरे में धकेल दिया है।” – यह मार्मिक शब्द हैं कोरबा जिले के करण कुमार बरेठ के, जो न्याय की उम्मीद लेकर 250 किलोमीटर दूर से राजधानी रायपुर पहुंचे। करण ने राज्य के गृह मंत्री और सरकार से निष्पक्ष जांच और न्याय की गुहार लगाई है।
करण का आरोप है कि उन्होंने स्कूल में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, जिसका खामियाजा उन्हें झूठे केस में फंसकर भुगतना पड़ा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज, बदले में झूठा केस?
करण बरेठ ने कोरबा जिले के करतला विकासखंड स्थित कोथारी के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य कमल नारायण भारद्वाज और पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधानपाठक तुलाराम भारद्वाज के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। ऑडियो-वीडियो सबूतों के आधार पर शिकायत हुई और बाद में दोनों शिक्षक निलंबित भी कर दिए गए।
लेकिन करण का दावा है कि इसके बाद दोनों शिक्षकों ने बदले की भावना से उनके खिलाफ षड्यंत्र रचकर झूठा केस दर्ज कराया, जिसमें उन्हें बिना जांच जेल भेज दिया गया।
“जिस दिन का आरोप है, उस दिन मैं वहां था ही नहीं”
करण ने बताया कि जिस तारीख को उनके खिलाफ FIR की गई, वह उस दिन घटनास्थल पर थे ही नहीं। उन्होंने दावा किया कि CCTV फुटेज और मोबाइल लोकेशन से उनकी निर्दोषता साबित की जा सकती है, लेकिन पुलिस ने बिना जांच किए ही कार्रवाई की।
करण का यह भी कहना है कि इस झूठे केस के कारण उनका पूरा करियर प्रभावित हो गया, खासकर सरकारी नौकरी के अवसर अब खतरे में हैं।



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