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राहुल गांधी ने कहा, पंजाब के नंबर भगवंत मान को किसी के ‘रिमोट कंट्रोल’ में नहीं रहना चाहिए

गांधी ने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान यहां एक सभा को संदेश देते हुए कहा कि पंजाब को पंजाब से जाना चाहिए, इसे दिल्ली से नहीं चलना चाहिए।

पंजाब के जिम्मेदार भगवंत मान पर देखा साधते कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि उन्हें किसी के ‘रिमोट कंट्रोल’ में नहीं रहना चाहिए और उन्हें स्वतंत्र राज्य के रूप में खर्च करना चाहिए। गांधी ने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान यहां एक सभा को संदेश देते हुए कहा कि पंजाब को पंजाब से जाना चाहिए, इसे दिल्ली से नहीं चलना चाहिए। उन्होंने कहा, ”मैं पंजाब के नंबर भगवंत मान से कहना चाहता हूं कि आप पंजाब के मालिक हैं, पंजाब को पंजाब से ही पैदल जाना चाहिए। भगवंत मान को (अरविंद) केजरीवाल जी और दिल्ली के दबाव में नहीं आना चाहिए।”

गांधी ने कहा, आपको स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए और किसी से संबंधित नियंत्रण में नहीं होना चाहिए। यह पंजाब के सम्मान का मामला है। भगवंत मान को विपक्षी दलों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, सच्चा आरोप है कि पंजाब सरकार के सभी बड़े फैसले दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय आयुक्त और दिल्ली के अरविंद केजरीवाल द्वारा लिए जा रहे हैं। गांधी ने कहा कि यात्रा को जबर्दस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सेंटर सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि देश में द्वेष और डर फैलाया जा रहा है तथा भाई को भाई के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है।

गांधी ने पत्रकारिता और दावों के मुद्दों पर भी भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा नफरत के बाजार में प्रेम की दुकान खोल रही है। उन्होंने कहा, ”यात्रा में तपस्या की भावना है। केवल मैं ही नहीं, लाखों लोग इस यात्रा में गए। तपस्या का क्या अर्थ है? हम 3,000 किलोमीटर चले जो कोई बड़ी बात नहीं है। हमें भोजन और समर्थन मिलता है। लेकिन ये किसान, मजदूर, छोटे दुकानदार, मध्यम कामकाजी मालिक और युवा हैं जो तपस्या करते हैं।”

गांधी ने कहा, 12वीं का छात्र जब परीक्षा देता है तो उसकी तपस्या होती है। किसान जब बीज बोता है, तो तपस्या होती है। मजदूर बनता है, तो तपस्या होती है। लेकिन देश में जो तपस्या कर रहा है, उसका कोई फल नहीं मिल रहा है। और जो लोग कोई तपस्या नहीं कर रहे हैं, उन्हें इसका पूरा फायदा मिल रहा है।’ दिया जाता है।

करार हो जाने के बाद तीन कृषि कानूनों का उल्लेख करते हुए गांधी ने कहा कि किसानों ने इसका विरोध किया था और वे एक साल से अधिक समय तक अपने घर वापस नहीं गए। गांधी ने कहा, उन्होंने तपस्या की। 700 लोग शहीद हुए और मैं उन्हें तसल्ली देता हूँ। जब मैंने उनकी याद में संसद में दो मिनट मौन रहने की मांग की, तो इसकी अनुमति नहीं दी गई। सरकार ने कहा कि कोई भी शहीद नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि एक साल के विरोध के बाद प्रधानमंत्री ने अपनी गलती से ऐसा किया, लेकिन उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से बात नहीं की। गांधी ने कहा, मैं आपको विवेक दे सकता हूं कि अगर यूपीए सरकार सत्ता में होती है और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री होते हैं, तो वह खुद किसानों से बात करते हैं।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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