विदेश मंत्री जयशंकर ने कांग्रेस पर परोक्ष रूप से कटाक्ष किया है। विदेश मंत्री ने सिकंदराबाद में एक कार्यक्रम को संदेश देते हुए कहा था कि रणनीतियों पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि हम 1962 को दोहराना नहीं चाहते हैं।”
हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने समाचार एजेंसी एनी को दिए गए इंटरव्यू में चीन से जुड़े मुद्दों पर कई बातें कही थीं। इन बातों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने तरीके से पेश किया है, लेकिन उन्हें सरकार की ओर से तगड़ा जवाब भी मिला है। हम आपको बताते हैं कि रायपुर में कांग्रेस के महाधिवेशन को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि ताकतवर के सामने झुक जाना और कमजोर से लड़ने कायरता है और यह राष्ट्रवाद नहीं हो सकता। इसके जवाब में विदेश मंत्री जयशंकर ने कांग्रेस पर परोक्ष रूप से चुटकी ली है। विदेश मंत्री ने सिकंदराबाद में एक कार्यक्रम को संदेश देते हुए कहा कि स्ट्रैटेजीज पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि हम 1962 को दोहराना नहीं चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपर्ण है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर कुछ लोग राजनीति करते हैं।
हम आपको यह भी बताते हैं कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस दौरान जी-20 मुकदमों पर भी कई बातें बताईं। भारत की एक साल की जी-20 की अध्यक्षता में अपने जुड़े में जयशंकर ने कहा, ”अगर आप आज मुझसे पूछते हैं, सामान्य भाषा में बताएं कि क्या होगा जब जी-20 होगा। मैं सब कुछ क्या रखूंगा। जी-20 भारत को दुनिया के लिए तैयार कर रहा है। जी-20 दुनिया को भारत के लिए तैयार कर रहा है।” विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 की मुख्य चिंता वैश्विक उद्योग को जोखिमों से जीने के तरीके मिलेंगे। जयशंकर ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पेट्रोल के दामों में बदलाव से राहत देने की कोशिश की है और झटके कम करने के कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा, ”आज दुनिया यह सब सीख गई है कि सुरक्षा का मतलब केवल भौतिक सुरक्षा नहीं है, ना ही केवल आर्थिक सुरक्षा है। इसका अर्थ स्वास्थ्य सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा भी है। इसलिए, हमें आज वैश्विक उद्योग को जोखिमों से बचाने के तरीके मिलेंगे।” जयशंकर ने कहा कि इस साल जी-20 के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री स्तर के सम्मेलनों के अलावा 15 मंत्री स्तरीय बैठकें भी होंगी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने आज पूरी दुनिया पर गहरा प्रभाव डाला है और इस तरह की निराशा की भावना है कि विकसित देशों ने महामारी के दौरान खुद के बारे में सोचा। जयशंकर ने कहा कि भारत को छोड़कर कुछ देशों ने बाकी दुनिया के बारे में ही सोचा है।