
UNITED NEWS OF ASIA. खैरागढ़।छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ सिविल अस्पताल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सड़क हादसे में मृत युवक के पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल कर्मी द्वारा कथित तौर पर 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी गई। इस वार्ता का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे स्वास्थ्य तंत्र में फैली बेजवाबदारी और भ्रष्टाचार की तस्वीर फिर सामने आई है।
मामले के अनुसार, डॉक्टर के सहायक गोलू सिन्हा पर आरोप है कि उसने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में “अल्कोहल सेवन न दर्शाने के बदले” मृतक के परिजनों से पैसों की मांग की। ऑडियो क्लिप में साफ सुना जा सकता है कि वह बीमा क्लेम को आधार बनाकर “रिपोर्ट साफ-सुथरी रखने” की बात कर रहा है।
क्या है ऑडियो में?
ऑडियो में गोलू यह कहते सुना गया, “अगर रिपोर्ट में शराब लिखा गया, तो बीमा नहीं मिलेगा।” इसके साथ ही वह 10 हजार रुपए की डिमांड करता है। घटना के तूल पकड़ने पर गोलू सिन्हा ने सफाई देते हुए कहा कि वह सिर्फ BMO डॉ. विवेक बिसेन के कहने पर परिजनों से बात कर रहा था। उसने पैसों की मांग से इनकार किया है।
BMO की भूमिका पर सवाल
जब मीडिया ने बीएमओ से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आते ही नोटिस जारी कर दिया गया है। लेकिन वे इस विषय में और कुछ बोलने से बचते रहे। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि – अगर कर्मचारी बीएमओ के निर्देश पर बात कर रहा था तो कार्रवाई किस पर होगी? और क्या वरिष्ठ अधिकारी अपनी जवाबदेही से बच निकलेंगे?
सिस्टम पर सवाल, इंसानियत पर धब्बा
यह मामला सिर्फ रिश्वतखोरी का नहीं, सिस्टम की उस संवेदनहीनता का भी प्रमाण है, जहां दुख की घड़ी में भी परिजनों से पैसों की मांग की जाती है। जहां क्लेम और रिपोर्ट क्लियरेंस इंसानियत से ऊपर हो गए हैं। आम नागरिक, जो अपनों की मौत के बाद भी न्याय की उम्मीद से अस्पताल आता है, वही सबसे ज्यादा पिसता है।
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