
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में भारतमाला परियोजना के तहत प्रभावितों को मुआवजा वितरण में गड़बड़ी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विधानसभा के सातवें दिन प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने आपत्ति जताई कि उन्हें प्रश्न का उत्तर आधे घंटे पहले दिया गया था, जो उन्होंने राष्ट्रपति के निर्देश के बावजूद तय समय पर नहीं प्राप्त किया था। महंत ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए समय पर जवाब न मिलने पर नाराजगी व्यक्त की। इस मुद्दे पर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी महंत का समर्थन किया और कहा कि यह व्यवस्था के साथ सीधा खिलवाड़ है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस पर अपनी असहमति जताते हुए इसे “अत्यंत खेदजनक” बताया और संसदीय कार्य मंत्री को निर्देशित किया कि सभी अधिकारियों को उत्तर समय पर प्रदान करने का निर्देश दिया जाए। साथ ही, इस मुद्दे को अगले सप्ताह के पहले प्रश्न के रूप में लिया जाएगा।
निरभय साहू की गड़बड़ी से जुड़ी जानकारी
इस बीच, रायपुर-विशाखापटनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत भारतमाला परियोजना में मुआवजा वितरण की गड़बड़ी को लेकर निलंबित एसडीएम और वर्तमान में जगदलपुर नगर निगम आयुक्त, निर्भय साहू की कारगुजारियां सामने आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, 2020 से 2023 के बीच अभनपुर में एसडीएम रहते हुए निर्भय साहू ने मुआवजा वितरण में नियमों का उल्लंघन किया। इस दौरान 248 करोड़ रुपये का मुआवजा बंटने के बाद भी 78 करोड़ रुपये का और क्लेम बचा था।
साथ ही, 51 हेक्टेयर सरकारी जमीन को निजी कर मुआवजे के लिए विभाजित कर लिया गया। इस घोटाले का खुलासा दिल्ली से दबाव पड़ने के बाद हुआ, जब नेशनल हाईवे अथॉरिटी के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने रायपुर कलेक्टर से जांच करने का आदेश दिया। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि मूल मुआवजा 35 करोड़ रुपये के आसपास था, लेकिन 213 करोड़ रुपये ज्यादा बांट दिए गए।
यह मामला पूरी तरह से सामने आते हुए अब विधानसभा में सवालों का केंद्र बन चुका है, और इस घोटाले की जांच की दिशा में गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं।













