
व्लादिमिर मैक्सिम, रूस के राष्ट्रपति
रूस यूरोपीय संघ: युद्ध में यूक्रेन के मदद करने वालों की शुरुआत से ही रूस की पैनी नजर है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित राष्ट्रवादी यूरोपीय संघ ने पहले भी इसके लिए कई बार चेतावनियां दी हैं, लेकिन अमेरिका और नाटो ने यूक्रेन को मदद के लिए संदेश जारी किया है। इससे जुड़ी बातें अब में आ गए हैं। उन्होंने यूरोपीय संघ के देशों और समझौते को भी तय करने की योजना तैयार कर ली है। स्थिति ने इन देशों में तबाही शुरू करने की तारीख भी बता दी है। इससे यूरोपियन यूनियन और ऑस्ट्रेलिया के साथ दुनिया भर में खलबली मच गई है। यूक्रेन के बाद और यूरोपीय संघ अब रूस के निशान पर हैं।
बहुत इन देशों को समझने के लिए कुछ ऐसा कदम उठा जा रहे हैं, जिससे यहां हाहाकार मच जाए और जनता सड़कों पर आ जाए। इसके लिए सादृश्य का ब्लू प्रिंट तैयार है। आपको बता दें कि हाल ही में यूक्रेन पर सैन्य हमलों के आरोप में यूरोपीय संघ ने रूस के चार्ट तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत डिक्री कैप लगा दिया है। इसका मतलब यह है कि रूस से कोई भी देश अधिक दाम पर कच्चा तेल नहीं खरीद सकता। यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया का यह निर्णय रूस की उद्योग-धंधों पर चोट करने के लिए पहुँचा। रूस पर प्राइस-कैप डिक्री लागू होने से उसका जवाब देने पर घाटा उठाना पड़ रहा है। इससे रूस बौखलाया हुआ है। शक इन देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंध और यूक्रेन को युद्ध में धीमी मदद करने के कारण बेहद खफा हैं।
1 फरवरी से यूरोपीय संघ और पैच में मचेगा हाहाकार
स्पॉटलाइट ने यूक्रेन की मदद करने और रूस पर कीमत कैप-डिक्री लगाने की वजह से उन सभी देशों को तेल भरने पर रोक लगा दी है। 1 फरवरी से यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ऑस्ट्रेलिया ऑस्ट्रेलिया की आपूर्ति नहीं करेगा। ऐसे में आंतरिक देशों में ऊर्जा का भारी संकट पैदा हो सकता है। इसके प्रभाव यूरोपीय देशों में जोखिम के तौर पर पूरी तरह से देख सकते हैं। शक्तिशाली यूरोपीय संघ और 7 प्रमुख देशों का समूह है, जो पिछले 5 दिसंबर से रूस में अपने समुद्री चार्ट तेल पर $ 60 प्रति बिस्तर मूल्य सीमा पर सहमत हैं। इससे रूस को तेल की बिक्री पर भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादिमीर ने मंगलवार को रूस की लंबे समय से प्रतीक्षित प्रतिक्रिया के तौर पर इन देशों को तेल की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने वाले मसौदे पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। क्रेमलिन की फरमान में कहा गया है कि यह 1 फरवरी, 2023 से लागू हो जाएगा और 1 जुलाई, 2023 तक सर्वे ऑयल के हूबहू पर यह प्रतिबंध लागू हो जाएगा। यानी 5 महीने तक रूस के इन देशों को तेल की आपूर्ति नहीं होगी। इसके बाद वह प्रतिबंध को आगे भी बढ़ा सकता है। इससे इन देशों में ऊर्जा का भारी संकट पैदा हो सकता है। झंझट चरम पर आशंका की आशंका है।



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