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प्रचंड जुगाड़ से नेपाल के पीएम बने पुष्प कमल दहल, केपी ओली को भी मिलेगा मौका’प्रचंड’ जुगाड़ से नेपाल के पीएम बने पुष्प कमल दहल ने ली शपथ, केपी ओली को भी मौका मिलेगा

पुष्प कमल दहल प्रचंड, नेपाल के नए पीएम (फाइल)- इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: पीटीआई
पुष्प कमल दहल प्रचंड, नेपाल के नए पीएम (फाइल)

प्रचंड ने नेपाल के पीएम के रूप में शपथ ली: नेपाल के 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में मात्र 32 सीटें जीतकर भी पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ देश के प्रधानमंत्री बन गए। उन्होंने सोमवार को नेपाल के नए प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले ली है। ये पहले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व पीएम लायब बहादुर देउबा के फिर से प्रधानमंत्री बनने की संभावना थी। शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा 89 क्षेत्र पर जीत दर्ज की थी। मगर अपने ‘प्रचंड’ जुगाड़ से पुष्प कमल दहल ने शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में पीछे छोड़ दिया।

आपको बताएं कि पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। एक दिन पहले राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। पूर्व गुरिल्ला नेता प्रचंड (68) ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 169 सदस्यों के समर्थन में राष्ट्रपति को एक पत्र जारी किया था, जिसके बाद उन्हें देश का नया प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया। शीतल निवास में एक आधिकारिक समारोह में राष्ट्रपति भंडारी ने प्रचंड को पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। ग्यारहवें दिसंबर, 1954 को पोखरा के करीब कास्की जिले के धिकुरपोखरी में बने प्रचंड करीब 13 साल तक बने रहे। जब सीपीएन-माओवादी एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता छोड़ कर कार्य राजनीति का मार्ग अपना रहे थे, तब वे मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए थे। उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था, जो अंततः नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते के साथ समाप्त हुआ।

केपी शर्मा ओली बनेंगे अगले प्रधानमंत्री

प्रचंड ने पहले नेपाली कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था। मगर प्रचंड पहले पीएम बनना चाहते थे। जबकि नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा सबसे बड़ी पार्टी के नेता होने के कारण प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। मगर प्रचंड ने देउबा के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इसके बाद वे पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली के पास चले गए। केपी शर्मा ओली की सीपीएन-यू विधानसभाओं को 78 सीटें मिली थीं। कई अन्य समानता के समर्थन को लेकर उन्होंने राष्ट्रपति को 169 सदस्यों का समर्थन पत्र सौंपा था। जबकि बहुमत के लिए सिर्फ 138 सदस्यों की जरूरत थी। ओली की पार्टी से गठबंधन के मुताबिक प्रचंड के बाद ओली को भी पीएम बनने का मौका मिलेगा।

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जुगाड़ में विशेषज्ञ प्रचंड ने सीपीएन-यू के सभी सदस्यों के अध्यक्ष पी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ अध्यक्ष पद पर गए और सरकार बनाने के लिए समर्थन लिया। । पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यू एमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति बनी। प्रस्ताव में 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सदस्यों का समर्थन मिला। बाद में 4 अन्य सदस्य भी प्रचंड के समर्थन में आ गए। इस प्रकार शेर बहादुर देउबा का पत्ता कट गया।

प्रचंड के बारे में जानें
सूत्र के अनुसार, 68-चक्रीय ‘प्रचंड’ को नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के लिए राष्ट्रपति कार्यालय स्थित ‘शीतल निवास’ में एक पंजीकृत किया गया था। उन्होंने बताया कि प्रधान मंत्री पद के लिए केवल एक प्रस्ताव राष्ट्रपति कार्यालय में दर्ज किया गया था, ऐसे में राष्ट्रपति ने प्रचंड को नए प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त कर दिया। प्रचंड को तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। ग्यारहवें दिसंबर, 1954 को पोखरा के करीब कास्की जिले के धिकुरपोखरी में बने प्रचंड करीब 13 साल तक बने रहे। जब सीपीएन-माओवादी एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता छोड़ कर कार्य राजनीति का मार्ग अपना रहे थे, तब वे मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए थे। उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था, जो अंततः नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते के साथ समाप्त हुआ। इससे पहले ओली के आवास बालकोट पर बैठक हुई, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ओली के अलावा प्रचंड और अन्य छोटे दलों के नेताओं ने प्रचंड के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति बनाई।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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