दवाओं के दामों में बढ़ोतरी : जनता को एक और झटका मिल सकता है। एक अप्रैल से दिल्ली समेत देश के कई प्रदेशों में जरूरी दवाओं (दवाओं) के दाम में 10 से 12 प्रतिशत की वजह होने की पूरी आशंका जा रही है। इसे लेकर फार्मास्युटिकल इमेजिंग की तरफ से भी मंजूरी दी गई है। माना जा रहा है कि पेनकिलर, इंफेक्शन, कई एंटीबायोटिक और हार्ट की दवाओं के निशाने पर जा सकते हैं। निश्चित ही यह वस्तुस्थिति की एक और मार होगी। एक तरफ जहां निर्णय, दुग्ध बाजार में अन्य जरूरी वस्तुओं के बांध में अटका हुआ है, वहीं दवाओं के बढ़ने की वजह से भी जनता का सामना करना पड़ सकता है।
कच्चा माल महंगा होने पर दवाओं के दाम बढ़ जाता है?
दिल्ली के लाईक डीलर के नियम पांडे ने एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान बताया कि किसी भी दवा कंपनी द्वारा अपने मन से दवाओं के दाम नहीं बढ़ाए जाते हैं, बल्कि समय के अनुसार इसके कई कारण हो सकते हैं। प्रमुख तौर पर अप्रैल महीने में पूरे साल में जिन दवाओं का सबसे ज्यादा डिमांड रहता है, ज्यादातर उनके डैम में तय रेट के हिसाब से ही फैक्टर की जाती है। अलग-अलग कंपनियां अपने हिसाब से दवाओं का एमआरपी तय करती हैं, लेकिन इसके लिए सरकार की इजाजत जरूरी है।
नियमों के अनुसार ही कुछ बांधों को सींक माना जाता है। इसके अलावा दवाओं के बनने में इस्तेमाल होने वाले स्टार माल के दाम में कई बार दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह से स्ट्रेट-सीधे दवाओं के भी निर्धारित मूल्य पर असर पड़ता है। इसका एनपीपीए मानक राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल मूल्य निर्धारण निर्धारण द्वारा निर्धारित किया जाता है। मरीजों और उनके परिजनों के लिए अब बड़ी चुनौती होगी कि उनके बजट को इन दामों को लेकर भी संतुलित किया जाए।
कैंसर रोगियों को आसानी से दवाएं मिलेंगी
केंद्र सरकार की ओर से रेयर डिजीज के उपचार के लिए इंपोर्टेड औषधियों पर डाला जाने वाला कस्टम ड्यूटी खत्म कर दिया गया है। 10 फ़ाईसडीआई सबस्क्राइक ड्यूटी खत्म होने की वजह से गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएँ सस्ते हो जाती हैं। इनमें कैंसर में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी शामिल हैं। इससे रोगियों को इलाज में काफी राहत मिलेगी।
यह भी पढ़ेंः गुजरात उच्च न्यायालय ने महालेखा तो सीएम केजरीवाल ने पूछा- ‘क्या देश को ये जानने का भी अधिकार नहीं दिया गया है कि…’