राष्ट्रपति ने जलियांवाला बाग, दुर्गियाना मंदिर और भगवान वाल्मीकि राम तीर्थ स्थल का भी दौरा किया। मुर्मू पंजाब के भगवंत मान और शिरोमणि गुरु द्वारा प्रबंधक समिति के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी के साथ स्वर्ण मंदिर पहुंचे, वहां मत्था टेका और ‘कीर्तन’ सुना। उन्होंने वहां ‘कड़ह प्रसाद’ भी ग्रहण किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को यहां स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका और देश की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए शहर में सुरक्षा के पुख्ता अख्तियार किए गए थे। राष्ट्रपति ने जलियांवाला बाग, दुर्गियाना मंदिर और भगवान वाल्मीकि राम तीर्थ स्थल का भी दौरा किया। मुर्मू पंजाब के भगवंत मान और शिरोमणि गुरु द्वारा प्रबंधक समिति के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी के साथ स्वर्ण मंदिर पहुंचे, वहां मत्था टेका और ‘कीर्तन’ सुना। उन्होंने वहां ‘कड़ह प्रसाद’ भी ग्रहण किया।
राष्ट्रपति बनने के बाद अमृतसर की यह पहली यात्रा है। मत्था टेकने के बाद वह ‘लैंगर हॉल’ में गिर गया और वहां के हिस्से को देखने पहुंचा जहां धब्बे बन गए। बाद में, वह स्वर्ण मंदिर के सूचना केंद्र गए, जहां उन्हें सम्मानित किया गया। उन्हें सिक्खों की धार्मिक पुस्तकें, स्वर्ण मंदिर की प्रतिकृति और कुछ ऊनी शाल भी नामांकित किए गए। सूचना केंद्र से दुर्घटना से पहले राष्ट्रपति ने विघातक पुस्तिका में लिखा, ”मुझे श्री हरमंदिर साहिब के दर्शन करने और पवित्र मंदिर में मत्था टेकने की खुशी है। सुंदर वास्तुकला और इसके चारों ओर दिव्य शांति के साथ यह पवित्र स्थान शांति एवं सद्भाव की भावना पैदा करता है।”
उन्होंने लिखा, ”मैं एक देश की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। विशेष रूप से, स्वयंसेवकों को स्वयंसेवकों की सेवा और भक्ति की भावना के साथ अथक परिश्रम करते हुए देखना बहुत अच्छा लगता है। सिख गुरुओं की शिक्षा हमें भाईचारे और एकता बनाए रखने के लिए प्रेरित करती रहे।” राष्ट्रपति ने ऐतिहासिक जलियांवाला बाग का भी दौरा किया, जहां उन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों को पुष्पांजलि अर्पित की।
उन्होंने विघातक पुस्तिका में लिखा कि वह देश के उन वीरों को बुरी तरह से नमन करते हैं जो वर्ष 1919 के दुर्भाग्यपूर्ण नरसंहार के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी। मुर्मू प्रसिद्ध दुर्गियाना मंदिर में भी पूजा-आरा की, जहां उन्हें मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा सम्मानित किया गया। वहीं, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के सचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने बताया कि स्वर्ण मंदिर की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति को सिखों के सर्वोच्च धार्मिक निकाय द्वारा दो दिए गए, जिनमें से एक सिख राजनीतिक कैद की रिलीज से संबंधित है।
एसजीपीसी उन सिख बंदियों की रिहाई की मांग कर रहा है, जिनके बारे में उनका दावा है कि जेलों में बंद होने के बावजूद ये कैदी पूरी तरह से सजा काट रहे हैं। अनुसूचित में हरजिंदर सिंह धामी ने कहा, ”एसजीपीसी लंबे समय से लोकतांत्रिक तरीके से ‘बंधी सिखों’ की रिलीज की मांग कर रही है।” उन्होंने कहा, ”…हम महसूस करते हैं कि सिखों को रिहा कर दिया गया है। उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में उनके मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है।”
धामी ने राष्ट्रपति को लिखा है, ”हम आपसे सिख कब्जे की इस महत्वपूर्ण मुद्दे का नाम लेने और भारत सरकार एवं संबंधित राज्यों को उनकी रिलीज के लिए जरूरी निर्देश देने की मांग करते हैं।” एक अन्य निर्देशों हरियाणा में गुरुद्वारों प्रबंधन के लिए एक अलग हरियाणा सिख गुरु, प्रबंधक समिति की स्थापना से संबंधित है। अत्याचारी है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 की संवैधानिक स्थिति को बरकरार रखा था, जिसके तहत हरियाणा में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए एक अलग समिति का गठन किया गया था। इसके बाद, हरियाणा सरकार ने पिछले साल दिसंबर में एक तदर्थ गुरुद्वारा पैनल नामित किया था।
स्टेटिक में कहा गया है, ”उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहीं भी हरियाणा सरकार को एसजीपीसी प्रबंधन के तहत राज्य के गुरुद्वारों के प्रबंधन को जबरन अपने व्यवसाय में पात्रता की छूट नहीं दी है।” इससे पहले, यहां हवाई अड्डे पर पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, सांसद मान, केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश और अमृतसर से कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने राष्ट्रपति की अगवानी की।
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