
UNITED NEWS OF ASIA. असीम पाल, दंतेवाड़ा | दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ के सुदूर आदिवासी अंचल दंतेवाड़ा जिले के चितालंका गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) 2.0 एक आशा की किरण बनकर उभरी है। वर्षों से कच्चे मकानों और झोपड़ियों में कठिन जीवन जी रहे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को अब पक्के और सुरक्षित घर मिलने लगे हैं।
इस योजना के तहत गांव की निवासी सुकारी इच्छाम के अधूरे घर का प्लिंथ स्तर का कार्य पूर्ण हो चुका है और अब छत का काम आरंभ हो गया है। वहीं श्यामदई नाग का आवास छज्जा स्तर तक बन चुका है, जिससे यह साफ है कि जल्द ही उनका घर भी पूर्ण होगा।
घर नहीं, उम्मीदों की नींव
हितग्राही कलजुक नेताम का घर पूरी तरह बनकर तैयार हो गया है। अब उनका परिवार एक मजबूत, सुरक्षित और गरिमामय आवास में रह रहा है — यह सिर्फ ईंट-पत्थर का मकान नहीं बल्कि सपनों का ठिकाना है, जिसकी प्रतीक्षा उन्होंने बरसों तक की थी।
“पहले बारिश में छत से पानी टपकता था, दीवारें भीगती थीं और घर में साँप-बिच्छुओं का डर हमेशा बना रहता था,” — एक हितग्राही ने भावुक होकर कहा।
“अब बच्चों को पढ़ाई के लिए एक सुरक्षित कोना मिला है और हमें सुकून की नींद।”
सशक्त हो रहा ग्रामीण भारत
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण 2.0 न केवल छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों तक पहुंच रही है, बल्कि यह योजना गरीबों को स्वाभिमान और आत्मविश्वास भी दे रही है। इससे ग्रामीणों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार हो रहा है।
प्रशासनिक प्रयासों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रत्येक पात्र हितग्राही तक योजना का लाभ पहुंचे। यह योजना सिर्फ सरकारी घोषणा नहीं, बल्कि जमीनी बदलाव का सशक्त उदाहरण बन रही है।
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