
जहां तक मोहन भागवत के बयान की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने कहा है कि सात दशक से अधिक समय के बाद भी पाकिस्तान के लोग खुश नहीं हैं और अब वे मानते हैं कि भारत का विभाजन एक गलती थी।
आरएसएस को बाहर से नहीं समझा जा सकता। आरएसएस देश के लिए जो सोच रखता है वह उन लोगों को समझ नहीं सकता है जो परिवारवाद पर आधारित पार्टियों में काम कर रहे हैं। राजस्थान के बेशक अशोक गहलोत ने कहा है कि अमृतपाल सिंह इसलिए खालिस्तान की मांग कर रहे हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत हिंदू राष्ट्र की मांग करते हैं। गहलोत को बता दें कि मोहन भागवत और नरेंद्र मोदी का जन्म 1950 में हुआ था और खालिस्तान की मांग 1940 से हो रही है। गहलोत को मिलेगा कि जीवन की अनूठी आध्यात्मिकता- वचनबद्धता दृष्टिकोण को विश्व स्तर पर हिंदू नाम से जाना जाता है, जिसके कारण यह राष्ट्र हिंदू है और विशेष रूप से सनातन है। खास बात यह है कि यह शब्द हमारे द्वारा नहीं, बल्कि उन लोगों द्वारा दिया गया था, जिन्होंने हिंदुस्तान को बाहर देखा और हमें हिंदू के रूप में अलग करने के लिए हमारी इस विशिष्टता को हिंदू राष्ट्र का नाम दिया। यहां सवाल यह भी है कि जो भारत में पैदा हुआ है वह हिंदू नहीं है तो कौन है? दरअसल हिंदू शब्द का धार्मिक अर्थ निकालना गलत है। हिंदू शब्द तो शुद्ध रूप से भौगोलिक है। जरा संघ और कांग्रेस के लोगों की सोच का अंतर भी देखें। कांग्रेस ने देश का विभाजन सर्वेक्षण और आरएसएस का कहना है कि अखंड भारत सत्य है और खंडित भारत दुःस्वप्न है। आरएसएस का कहना है कि भारत का बंटवारा गलती से हुआ है और कांग्रेस के लोग नेहरू के उस फैसले पर गर्व करते हैं जिसके तहत देश का बंटवारा हुआ था।
बहरहाल, जहां तक मोहन भागवत के बयान की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने कहा है कि सात दशक से अधिक समय के बाद भी पाकिस्तान के लोग खुश नहीं हैं और अब वे मानते हैं कि भारत का विभाजन एक गलती थी। हम आपको बताते हैं कि मोहन भागवत किशोर क्रांतिकारी हेमू कालीणी की जयंती के अवसर पर एक समारोह में बोल रहे थे, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से सिंधी समाज के लोग शामिल हुए थे। भागवत ने कहा कि अखंड भारत सत्य है, खंडित भारत दु:स्वप्न है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारत से अलग होने के सात दशक बाद भी पाकिस्तान में दुख है, जबकि भारत में सुख है।
हम आपको यह भी बताते हैं कि अमर बलिदानी हेमू कालीणी की जयंती पर आयोजित समारोह में सिंधी समुदाय के लोगों को संदेश देते हुए भागवत ने कहा, ”हमको नया भारत बसाना है। भारत खंडित हो गया। आज हम पाकिस्तान कहते हैं, उसके लोग कह रहे हैं कि गलती हो गई है। अपनी हठधर्मिता के कारण भारत से अलग हो गए, संस्कृति से अलग हो गए। वे सुख में क्या हैं?” उन्होंने आगे कहा, ”यहां (भारत में) सुख है और वहां (पाकिस्तान में) दुख है।” भागवत ने कहा, ”जो सही है, वह टिकता है। जो गलत है, वह आता है और जाता है।” भागवत ने कहा कि सिंधी समुदाय के सभी मजदूर भी शरणार्थी नहीं बने, लेकिन उन्होंने पुरुषार्थी बनकर दिखा दिया। शहीद हेमू के नाम के साथ सिंध का नाम आरजीबी है। उन्होंने कहा कि सिंधी समुदाय के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, लेकिन इसका उल्लेख कम होता है।
उन्होंने कहा कि सिंधी समुदाय ने भारत नहीं छोड़ा था, वे भारत से भारत में ही आए थे। उन्होंने कहा, ”हम तो भारत बसा लिया, लेकिन वास्तव में राष्ट्र खंडित हो गया। आज भी उस विभाजन को कृत्रिम माने सिंध के साथ मन से लोग जुड़े हुए हैं। सिंधुरा नदी के प्रदेश सिंध से भारत का बना रहेगा।” भागवत ने कहा, ”आज भी अखंड भारत को सत्य और खंडित भारत को दुःस्वप्न माना जा सकता है। सिंधी समुदाय दोनों तरफ से भारत को जानता है। आदिकाल से सिंध की परंपराओं को अपनाया गया। भारत ऐसा हो जो संपूर्ण विश्व को सुख-शांति देने का कार्य करें। तमाम लेते-आते हैं, लेकिन हम मिटेंगे नहीं। उन्होंने कहा कि हम विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम हैं। भागवत ने डॉ. हेडगेवार और अन्य विचारकों के माध्यम से पूरी दुनिया को दिखाए गए कल्याण के मार्ग का भी उल्लेख किया।
दूसरी ओर, राजस्थान के अशोक गहलोत के बयान की बात करें तो आपको बताएं कि वे पंजाब में अमृतपाल सिंह जैसे अधिकारों के उदय के लिए केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपनाई जा रही ‘हिंदू राष्ट्र’ की विचारधारा को जिम्मेदार ठहराते हैं। गहलोत ने पंजाब में खालिस्तानी समर्थक समाजवादी अमृतपाल सिंह के उदय के लिए भाजपा व राष्ट्रीय कार्यकर्ता संघ की ‘हिंदू राष्ट्र’ की विचारधारा पर साधते हुए कहा, ”हमें देश की चिंता करनी चाहिए।” गहलोत ने कहा, ”देश हित। में यही है कि अगर आप सभी धर्म व जाति के लोगों को साथ लेकर चलेंगे तो यह देश एक रहेगा, अखंड रहेगा। एक नया आदमी अमृतपाल सिंह जो कह रहा है कि अगर मोहन भागवत वंद नरेंद्र मोदी हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं तो मैं खालिस्तान की बात क्यों नहीं बदलता। उसकी ऐसी हिम्मत क्यों हुई है… यह हिम्मत इसलिए हुई है क्योंकि आप हिंदू राष्ट्र की बात कैसे कर सकते हैं।” शर्मा ने यह भी कहा, ”आप सोचिएगा इस बात को। धर्म के नाम पर लोगों को खुश करना आसान काम होता है। आग लगाना बड़ा आसान काम करता है, आग से भोर होता है। आप सोच सकते हैं तोड़ना आसान है, जुड़ना बड़ा मुश्किल काम होता है।”
उन्होंने कहा, ”इस तरह के हालात में उस अमृतपाल की हिम्मत हो गई। आप हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, मैं खालिस्तान की बात क्यों नहीं करता। देश में पहली बार ऐसी आवाज आई है। इंस्पिरेशन गांधी ने कोलिस्तान नहीं बनने दिया, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई। इसी के कारण देश हमारा अखंड रहा है।”
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