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प्रभासाक्षी न्यूजरूम: अफगान तालिबान के शिष्टमंडल ने गुपचुप तरीके से पाकिस्तान का दौरा किया

काबुल में इस मामले की जानकारी रखने वाले फिक्सिंग से जर्नल ने लिखा है कि अलर्ट के इंटेलिजेंस विभाग के सदस्यों सहित कुल 10 सदस्यीय शिष्टमंडल पिछले सप्ताह जमकर आया था। हालांकि बैठक के बारे में दोनों पक्ष मौन हैं।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बिगड़ते जा रहे संबंधों के बीच संबंधों की शुरुआत भी हो रही है। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान तालिबान का एक शिष्टमंडल प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को लेकर पाकिस्तान की आशंकाओं को दूर करने के लक्ष्य से हाल ही में पाकिस्तान के एक गुपचुप दौरे पर आया था। इस शिष्टमंडल में खुफिया विभाग और सुरक्षा विभाग के अधिकारी शामिल थे। पाकिस्तान समाचार पत्र एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कारणों से लिखा है, काबुल में ऑटो प्रशासन ने भी इसकी पुष्टि की है कि इंटेलिजेंस महानिदेशालय (जी उदास) के प्रमुख अब्दुल्ला गजनवी के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल टीटीपी और पाकिस्तान को डैमेज के संबंध में बात करने लगा था । अत्याचारी है कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के नेतृत्व में पिछले महीने एक उच्च स्तरीय शिष्टमंडल काबुल गया था और उस दौरान भी इन्हीं सीमित मुद्दों पर चर्चा हुई थी।

हालांकि, पाकिस्तान का शिष्टमंडल उन कदमों से समझौता था और उसने ठोस कार्रवाई की मांग की थी। पाकिस्तान ने टीटीपी नेताओं के आधार सहित अन्य तर्कों के साथ अगेंज की अपनी अलग बात रखी थी। अखबार के अनुसार, फ्रेजर दौरे पर अफगान शिष्टमंडल ने संबंधित अधिकारियों से मिलने की और सुरक्षा स्थिति तथा टीटीपी और उनसे जुड़े लोगों के भविष्य पर चर्चा की। काबुल में इस मामले की जानकारी रखने वाले फिक्सिंग से जर्नल ने लिखा है कि अलर्ट के इंटेलिजेंस विभाग के सदस्यों सहित कुल 10 सदस्यीय शिष्टमंडल पिछले सप्ताह जमकर आया था।

सूत्रों ने बताया कि जी दुबले अधिकारी मोहम्मद वर्दाक ने शिष्टमंडल की मदद की। शिष्टमंडल काबुल से यह संदेश आया कि पाकिस्तान की चिंताओं को दूर कर दिया जाएगा। हालांकि इस यात्रा का क्या परिणाम हो रहा है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है क्योंकि यात्रा को लेकर दोनों पक्ष मौन हैं। झारखंड में सूत्र का कहना है कि मुद्दों की अटकलों पर ध्यान देते हुए दोनों पक्षों ने मीडिया की नजरों से दूर इस पर चर्चा करने का फैसला लिया। काबुल में सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों ने अलग-अलग मुद्दों पर कुछ प्रगति की है, लेकिन मीडिया को बयान देने का अधिकार नहीं है। हम आपको बता देंगे कि टीटीपी पाकिस्तान और अफगान गिरोह के गले लग गए हैं।

हम आपको यह भी बताते हैं कि अफगानिस्तान के बागडोर को संभालने में एक साल से ज्यादा समय लग गया। लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा पर तनाव अभी तक सुलझा नहीं है। एक तरफ़ अफ़ग़ानिस्तान ने पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं तो दूसरी ओर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने भी पाकिस्तानियों को हरा दिया है। हम आपको याद दिलाते हैं कि साल 2022 में अफ़ग़ान-पाक सीमा पर तबाही इतनी बढ़ गई थी कि पाकिस्तान का जीना ये तालेबंदियों ने मुहाल कर दिया जिनके धन और गन पाकिस्तान ने पाला था। इस विवाद का बड़ा कारण डूरंड लाइन माना गया। अफ़गानिस्तान सीमा पर यथास्थिति में कोई भी ‘एकतरफ़ा’ बदलाव को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उदर पाकिस्तान भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।

हम आपको याद दिलाते हैं कि पिछले साल नवंबर में टीटीपी ने जून 2022 में पाकिस्तान सरकार के साथ हुए सक्रियता युद्ध समझौते को रद्द कर दिया था और अपनी निगरानी को सुरक्षाबलों पर हमला करने का हुक्म दिया था। ऐसा माना जाता है कि टीटीपीके के अल-कायदा से घनिष्ठ संबंध हैं। उसने धमकी दी थी कि अगर सत्तारुढ़ गठबंधन सरकारों के खिलाफ एक निश्चित कदम उठाना जारी रखता है, तो प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के पीएमएल-एन और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी की पीपीपी के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाएंगे। हालांकि हाल ही में प्रतिबंधित संगठन टीटीपी के प्रमुख ने कहा था कि उनका संगठन पाकिस्तान सरकार के साथ युद्ध विराम समझौते के लिए ”अब भी तैयार” है।

बहरहाल, पाकिस्तान सरकार ने टीटीपी के बदले रुख के बावजूद अपना कड़ा रुख अड़ा हुआ है क्योंकि उसे लगता है कि तालेबान उसके साथ कोई बड़ा खेल खेल रहे हैं। दृश्य होने के दिनों में टीटीपी कौन-सा रास्ता अख्तियार करता है और क्या अफगानिस्तान-पाक सीमा पर असमंजस की स्थिति है? वैसे ताले ने पिछले साल के अंत में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान की पाकिस्तान सेना के आत्मसमर्पण करने वाली चर्चित तस्वीर ट्वीट करके पाकिस्तान को संदेश दे ही दिया था कि यदि वह हिमाकत की तो 1971 को अफगानिस्तान को भी दोहराएगा।

इस बीच पाकिस्तान में अंदेशे के हमले जारी हैं। आईएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी और उनके ड्राइवर की मंगलवार की रात एक आतंकवादी हमले में मौत हो गई। सुरक्षा अधिकारियों और पुलिस के अनुसार निगरानी ने अफगानिस्तान की सीमा से देश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में लगे उनके वाहन पर हमला किया। सेना की मीडिया शाखा ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ ने कहा कि दक्षिण वजीरिस्तान में आईएसआई के ब्रिगेडियर मुस्तफा मैजिक बरकी की मृत्यु हो गई। सेना के अनुसार इस दौरान दोनों तरफ मुठभेड़ हुई, जिसमें ब्रिगेडियर की टीम के सात सदस्य घायल हो गए।

दूसरी ओर पाकिस्तान सेना ने अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में खुफिया सूचना के आधार पर अभियान के दौरान आठ तस्वीरों को गिराया। पाकिस्तानी सेना के मीडिया डिवीजन इंटर-सर्विस पब्लिक रिलेशंस ने एक बयान में कहा है कि अभियान के दौरान शूटिंग के दौरान दो बच्चों की भी मौत हो गई थी। बयान में दावा किया गया है कि मारे गए आतंकवादियों के ठिकाने से हथियार और गोला-डायनेटोरिक बरामद किए गए हैं।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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