ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि वैसे भी चीन ने 2040 तक ताइवान को अपना बनाने का ऐलान ही रखा है। इसलिए सभी दिशाओं पर विचार करते हुए अमेरिका ने ताइवान को 619 मिलियन डॉलर की कीमत के लिए आकर्षक बिक्री की अनुमति दी है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के विशेष कार्यक्रम शौर्य पथ में पहले इस सप्ताह ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी से जानना चाहते हैं कि ताइवान सेना को अमेरिका ने खतरनाक हथियार सौंपे हैं। इससे जल्दी से क्या असर होगा? इस पर उन्होंने कहा कि यूक्रेन के युद्ध में अमेरिका ने यह देख लिया है कि यूक्रेन को देरी से हथियार देने से नुकसान हुआ है कि रूस आगे बढ़ा है। इसलिए वह ताइवान में यह गलती नहीं दोहराना चाहता। यदि ताइवान को खतरनाक हथियार से नहीं दिया गया तो चीन अभी आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि वैसे भी चीन 2040 तक ताइवान को अपना बनाने का ऐलान कर चुका है। इसलिए सभी दिशाओं पर विचार करते हुए अमेरिका ने ताइवान को 619 मिलियन डॉलर की कीमत के लिए आकर्षक बिक्री की अनुमति दी है। इस डील के तहत ताइवान को अब F-16 फ्लीट की मिसाइलें मिलेंगी। ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि पेंटागन ने बताया है कि अमेरिकी सरकार ने ताइवान को 200 एंटी एयरक्राफ्ट उन्नत माध्यम की एयर टू एयर मिसाइलों और 100 एजीएम-88बी एचआरएम मिसाइलों की बिक्री करने का फैसला किया है। इससे ताइवान को अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा करने में मदद मिलेगी। ताइवान को जो हथियार उसे बेचेगा उससे अमेरिकी हथियार प्राधिकरण रेथियॉन टेक्नोलॉजीज और लॉकहीड मार्टिन को काफी फायदा होगा क्योंकि यह उन्हें ही मिला है।