कंगाल पाकिस्तान की हालत हर नए दिन के साथ और बिगड़ती जा रही है। यह स्थिति हो गई है कि खाने के कारण बीमार पड़ गए हैं। एक ओर भोजन को रोटी नहीं है, दूसरी ओर भारत और अफगानिस्तान से सीमा पर सेना का खर्च उसे बहुत भारी लगता है। ऐसे में पाकिस्तान कई अटकलों के खर्च में कटौती करता है। यही कर्ज चुकाने के लिए वह नए नए जतन कर रहा है। सरकारी नोकरी तक को बेचने पर तेजी से विचार किया जा रहा है। सेना में शॉट लेकर उसका क्या फैसला है? मजबूरियां क्या होती हैं?
पाकिस्तान की शाहबाज सरकार ने सेना को सभी जोड़ों के खर्च में कटौती करना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान पर चीन का कर्ज सबसे ज्यादा है। अरब और अमेरिका से भी उसे कर्ज मिलता है। अब स्थिति यह हो गई है कि कई देशों ने उन्हें कर्ज देकर अवसाद दिखाना शुरू कर दिया है। सऊदी अरब ने तो अब यह घोषणा कर दी है कि वह बिना शर्त किसी देश को कर्ज नहीं देगा। ऐसे में पाकिस्तान के झटके और बढ़ गए हैं।
कर्ज में डूबे पाकिस्तान का 6 महीने का व्याज व्यय 2.67 रुपये
एक तरफ तो पाकिस्तान की कंपनियों का दिवालियापन पर दृष्टांत है। इसके बावजूद पाकिस्तान के सैन्य खर्च का नाम नहीं लिया जा रहा है। हालत इतने गंभीर हो गए हैं कि प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और सेना प्रमुख मुनीर दुनियभर में कर्ज की गहराई में जा रहे हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली झलक में पाकिस्तान का व्याज व्यय 2.67 रुपये हो गया है। यह पाकिस्तान का ब्लूप्रिंट ऋण बकाया बजट का 65 फीसदी हिस्सा है। ऐसे में पाकिस्तान सरकार को छोड़कर बाकी सब विकल्पों में कटौती करने के लिए मजबूर हो रही है।
सेना के खर्च में शॉट पाकिस्तान क्यों नहीं पा रहा है?
पाकिस्तान सरकार यह नहीं चाहती कि सेना के बजट में किसी भी तरह की कमी हो, क्योंकि इससे सरकार के अस्थिर होने का खतरा ज्यादा है। पाकिस्तान की मजबूरी है कि वह सेना के बजट में कटौती नहीं कर सकता। पाकिस्तान में सरकार को सेना ही चलाती है। इसके अलावा पाकिस्तान सेना अपनी आय के लिए अन्य भी कई तरह का कारोबार करती है। पाकिस्तान का इतिहास गवाह है कि वहां के नागरिक शासन की तुलना में सैन्य बल काफी अधिक हैं। सेना हमेशा से किंगमेकर की भूमिका में है।
रक्षा विभाग को छोड़कर अन्य सभी दलाली के खर्चों में 15 प्रतिशत की कमी आई है
जियो डेटा के अनुसार, पाकिस्तान में डिफेंस सेक्टर को छोड़कर अन्य सभी विकल्प में 15 प्रतिशत की कमी आई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, विकास खर्च में 50 फीसदी की कमी की गई है। पाकिस्तान सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट खर्च के रूप में 3.95 रुपये का बजट रखा था, लेकिन इसका 65% केवल छह महीने में खर्च हो गया है।
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