
UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग नरसंहार की बरसी पर शहीदों को नमन करते हुए उन्हें “अदम्य साहस के प्रतीक” बताया और कहा कि उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने इस हृदयविदारक घटना को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़ बताया।
“जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि” – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“हम जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। आने वाली पीढ़ियां उनके अदम्य साहस को हमेशा याद रखेंगी। यह वास्तव में हमारे देश के इतिहास का एक काला अध्याय था। उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।“
उन्होंने आगे कहा:
“जलियांवाला बाग के अमर क्रांतिकारियों का बलिदान राष्ट्र के स्वाभिमान और स्वतंत्रता की अमर गाथा है, जो सदैव प्रेरणा देती रहेगी।“
क्या हुआ था जलियांवाला बाग में?
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में हजारों भारतीय रॉलेट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्ण सभा कर रहे थे। अंग्रेज अधिकारी जनरल डायर ने सभा स्थल को चारों ओर से घेर कर निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दीं।
सैकड़ों लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
भगदड़ में कई लोग कुचले गए, और संकरे रास्तों के कारण भाग नहीं सके।
डर से कई महिलाओं ने अपने बच्चों के साथ कुएं में कूदकर जान दे दी।
इस अमानवीय कृत्य ने देशभर में गुस्से की लहर दौड़ा दी और भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
इतिहास की अमिट छाप
जलियांवाला बाग आज भले ही एक स्मारक हो, लेकिन वहां की दीवारों पर अब भी गोलियों के निशान मौजूद हैं — जो आज भी उस अन्याय और बलिदान की गवाही देते हैं। यह घटना अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता का प्रतीक बन चुकी है और भारतीय स्वाभिमान की जड़ों में गहराई से समाई हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संदेश उन लाखों भारतीयों की भावनाओं को स्वर देता है, जो जलियांवाला बाग के शहीदों को केवल इतिहास नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा का हिस्सा मानते हैं। उनका बलिदान आज भी हर भारतीय को यह याद दिलाता है कि आज़ादी सिर्फ एक अधिकार नहीं, बल्कि अनगिनत कुर्बानियों की अमानत है।



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