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युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से स्कूलों को मिले स्थायी शिक्षक, सुदृढ़ हुआ शैक्षणिक ढांचा

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से सुदृढ़ हो रहा सुकमा का शैक्षणिक वातावरण

UNITED NEWS OF ASIA. कृष्णा नायक, सुकमा । नई शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन के तहत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से लागू किया गया है। मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय के नेतृत्व व मार्गदर्शन में शिक्षकविहीन और एकल शिक्षक वाले विद्यालयों में अब नियमित शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है। इससे शैक्षणिक गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार के संकेत सुकमा जिले से सामने आ रहे हैं।

छिंदगढ़ विकासखंड बना मॉडल
विकासखंड शिक्षा अधिकारी कमलेश श्रीवास्तव ने बताया कि छिंदगढ़ विकासखंड में कुल 390 शासकीय विद्यालय संचालित हैं, जिनमें 288 प्राथमिक, 82 माध्यमिक, 13 हाई स्कूल और 7 हायर सेकंडरी स्कूल शामिल हैं। उन्होंने बताया कि युक्तियुक्तकरण से पहले 8 विद्यालय शिक्षकविहीन थे और 96 विद्यालय एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे थे।

अब शासन की पारदर्शी युक्तियुक्तकरण नीति के तहत सभी ऐसे विद्यालयों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिससे बच्चों को अब नियमित रूप से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। यह परिवर्तन न केवल शैक्षणिक परिणामों में सुधार लाएगा बल्कि छात्रों में सीखने की निरंतरता और विषय विशेषज्ञता भी सुनिश्चित करेगा।

स्थायी शिक्षकों से मिलेगा बच्चों को मार्गदर्शन
स्थायी शिक्षक मिलने से छात्रों को लंबे समय तक एक ही शिक्षक से पढ़ाई करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनके शैक्षणिक, मानसिक और सामाजिक विकास को मजबूती मिलेगी। अब ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों में भी शिक्षक उपलब्ध हैं, जिससे वहां के बच्चे भी शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।

शैक्षणिक वातावरण होगा और अधिक मजबूत
शिक्षक युक्तियुक्तकरण की यह प्रक्रिया शैक्षणिक संस्थानों को स्थायित्व प्रदान कर रही है। इससे विद्यालयों का शैक्षणिक वातावरण अधिक अनुशासित, निरंतर और केंद्रित हो गया है। एक शिक्षक पर कई कक्षाओं की जिम्मेदारी होने से जो समस्याएं उत्पन्न होती थीं, वे अब दूर हो रही हैं।

नई शिक्षा नीति की ओर सशक्त कदम
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा की जा रही यह पहल नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य हर बच्चे को समान, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। युक्तियुक्तकरण से अब यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि शिक्षकों का वितरण स्कूलों की आवश्यकता के अनुरूप हो, न कि केवल स्थानांतरण और पदस्थापन की सुविधा तक सीमित रहे।

सुकमा जैसे आदिवासी बहुल जिले में शिक्षक युक्तियुक्तकरण के सकारात्मक परिणाम यह दर्शाते हैं कि यदि नीति को जमीनी स्तर पर सही तरीके से लागू किया जाए, तो शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार संभव है। यह पहल राज्य सरकार की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है, जो कि “शिक्षा सबके लिए” के संकल्प को मजबूती प्रदान कर रही है।

 


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