
UNITED NEWS OF ASIA. रिजवान मेमन, धमतरी । धमतरी ज़िले के भखारा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सेमरा डी ने जनसहयोग के ज़रिए स्थायी सीमा चिन्ह (चांदा पत्थर) स्थापित कर प्रदेशभर के ग्रामों के लिए एक प्रेरक मिसाल पेश की है। ग्राम विकास समिति और ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से गांव की सीमाओं पर 14 चांदा पत्थरों का निर्माण कर स्थायी सीमांकन का कार्य 25,000 रुपये की लागत से पूर्ण किया गया, जिसमें राशि का वहन स्वयं ग्रामीणों ने किया।
क्या होता है चांदा पत्थर?
ग्रामों की सरहदों को चिन्हित करने के लिए नक्शे के अनुसार जमीन पर लगाए जाने वाले स्थायी सीमांकन पत्थरों को ‘चांदा पत्थर’ कहा जाता है। ये भूमि सीमांकन, विवाद निवारण, मापन एवं विभाजन जैसे कार्यों में बेहद सहायक होते हैं। अक्सर ये पुराने चिन्ह समय के साथ नष्ट हो जाते हैं जिससे विवाद और भ्रम की स्थिति बनती है।
सर्वे-रीसर्वे योजना और जनजागरूकता अभियान
राज्य सरकार की सर्वे-रीसर्वे योजना के अंतर्गत जिले में पुनः सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ हुआ है। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा और अपर कलेक्टर इंदिरा नवीन सिंह के निर्देशन में ग्राम चौपालों के ज़रिए ग्रामीणों को इस विषय में जागरूक किया जा रहा है।
ग्राम सेमरा डी में आयोजित चौपाल में अधीक्षक भू-अभिलेख दीपचंद भारती ने चांदा पत्थरों के महत्व, रखरखाव और विधिक उपयोगिता पर ग्रामीणों को विस्तार से समझाया। इसके पश्चात राजस्व निरीक्षक, पटवारी, चैनमैन और कोटवारों की टीम ने मौके पर सीमाओं की पहचान कर चिन्हित स्थलों पर पत्थर स्थापित किए।
स्थायी सीमांकन कार्य का विवरण
स्थापित चिन्ह : 14 चांदा पत्थर
आकार : 2×2 वर्गफुट
लागत : ₹25,000 (जनसहयोग से)
मुख्य सहयोगी :
सरपंच – सुनीता कमल नारायण ध्रुव
समिति कोषाध्यक्ष – कमल नारायण ध्रुव
सदस्य – सोहन साहू, लक्ष्मण साहू, चंद्रकुमार साहू, नितेश ध्रुव
कोटवार – कुलेश्वर साहू, श्री भीमराज साहू
संरक्षण हेतु सतर्कता और प्रस्ताव
ग्राम सभा ने इन चिन्हों को नुकसान से बचाने हेतु निगरानी दल का गठन और नुकसान पहुंचाने वालों पर सख्त कार्यवाही का प्रस्ताव भी पारित किया है। इससे भविष्य के सर्वे व मापन कार्यों में पारदर्शिता और सुगमता आएगी।
कलेक्टर की प्रतिक्रिया
कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने इस नवाचार की प्रशंसा करते हुए कहा—
“जनभागीदारी से यदि सीमांकन जैसे कार्य किए जाएं तो वे स्थायी समाधान और सामाजिक सौहार्द की दिशा में मील का पत्थर साबित होते हैं। सेमरा डी की यह पहल निश्चित रूप से जिले के अन्य ग्रामों को प्रेरित करेगी।”
ग्राम सेमरा डी का यह प्रयास इस बात का प्रतीक है कि जब ग्रामवासी, प्रतिनिधि और प्रशासन मिलकर कार्य करते हैं, तो वर्षों पुराने विवादों का समाधान न केवल संभव होता है, बल्कि वह दूसरों के लिए भी उदाहरण बन जाता है। यह पहल भूमि विवादों की जटिलता को समाप्त कर राजस्व व्यवस्था में स्थायित्व और पारदर्शिता लाने में मील का पत्थर साबित होगी।
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