लेटेस्ट न्यूज़

Pakistan Economic Crisis: भारत अगर कर सकता है तो हम… पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री ने आर्थिक निर्णय से निपटने का तरीका बताया

क्रिएटिव कॉमन

पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने “पाकिस्तान की फिर से कल्पना” करने वाले प्रतिभागियों को संदेश देते हुए कहा कि भारत, बांग्लादेश और कई अन्य इस्लामिक देशों का जन्म दर पाकिस्तान की तुलना में बहुत कम है।

पाकिस्तान इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस वजह से पाकिस्तान में बहस छिड़ गई है कि वे कहां चूक गए हैं कि आज भारत इतनी दूर चला गया है और विनाश के दंगल पर आ गया है। अब पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री ने कही बड़ी बात। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अपनी जनसंख्या को नियंत्रित करने के साथ-साथ अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है। पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने “पाकिस्तान की फिर से कल्पना” करने वाले प्रतिभागियों को संदेश देते हुए कहा कि भारत, बांग्लादेश और कई अन्य इस्लामिक देशों का जन्म दर पाकिस्तान की तुलना में बहुत कम है।

जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री पाकिस्तान में हर साल करीब 55 लाख बच्चे पैदा होते हैं और पाकिस्तान में जन्म दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि यदि पाकिस्तान का जन्म पिछले दस वर्षों में बांग्लादेश का जन्म दर के बराबर होता है, तो पाकिस्तान का प्रति व्यक्ति व्यवहार 10% अधिक होता है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि के कारण पाकिस्तान मानव विकास सूचकांक में सबसे नीचे है। अफ्रीकी देशों से भी नीचे। पाकिस्तान को सतत और तीव्र विकास के लिए अपनी जनसंख्या का प्रबंधन करने की आवश्यकता है।

शिक्षा पर दें ध्यान

पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री ने देश के विकास के लिए शिक्षा को महत्व देने पर जोर दिया। उनका कहना था कि पाकिस्तान में 50 प्रतिशत बच्चों के स्कूल कोई मायने नहीं रखते। पाकिस्तान में सिर्फ 44 प्रतिशत बच्चे का स्कूल बन जाता है, जबकि भारत में यह 85 प्रतिशत है। भारत के बारे में लोहा पूरी दुनिया कहती है। अब पाकिस्तान के पूर्व मंत्री ने भी माना है कि भारत के शेयर दुनिया के टॉप रेटेड में शामिल हैं और उनसे पढ़े-लिखे लोग आज दुनिया की बड़ी कंपनियों के सीईओ हैं। मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि भारत में जहां सभी बेहतरीन विश्वविद्यालय खुल रहे हैं, वहीं पाकिस्तान में औसत युवा तीन महीने का कर रहा है। पूर्व मंत्री ने कहा कि शिक्षा में सुधार के बिना भागीदारी नहीं कर सकते।

Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page